लालू ने 'छोटे भाई' नीतीश को लिखा खुला खत, कहा- 'तीर' हिंसा का 'लालटेन' भाईचारे का प्रतीक
लालू यादव ने नीतीश कुमार की तरफ से बार-बार लालटेन के दिन लद गए कहे जाने को लेकर पलटवार किया. उन्होंने कहा कि 'तीर' हिंसा का प्रतीक है जबकि 'लालटेन' मोहब्बत और भाईचारे का प्रतीक है.
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Lok Sabha Election 2019: राष्ट्रीय जनता दल (राजद) प्रमुख लालू यादव ने कहा कि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी जनता दल यूनाईटेड का चुनाव चिन्ह तीर, हिंसा का पुराना प्रतीक है. चारा घोटाला मामले में झारखंड में सजा काट रहे पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि आरजेडी का चुनाव चिन्ह लालटेन प्रेम और भाईचारे का प्रतीक है और इसलिए यह हमेशा प्रकाश फैलायेगा.
लालू यादव ने यह टिप्पणी आम चुनाव के अंतिम चरण से पहले नीतीश कुमार को एक लिखे खुले पत्र में की है. वह नीतीश कुमार के चुनावी रैलियों में बार बार कहे गए ‘लालटेन के दिन लद गए’ वाले बयान को लेकर पलटवार कर रहे थे. नीतीश के इस बयान के दो आशय समझे गए, एक यह कि बिहार में बिजली आपूर्ति में सुधार हुआ है और दूसरा यह कि कथित तौर पर राज्य में आरजेडी कमजोर हुई है.
सुनो छोटे भाई नीतीश,
ऐसा प्रतीत हो रहा है कि तुम्हें आजकल उजालों से कुछ ज़्यादा ही नफ़रत सी हो गयी है। दिनभर लालू और उसकी लौ लालटेन-लालटेन का जाप करते रहते हो। तुम्हें पता है कि नहीं, लालटेन प्रकाश और रोशनी का पर्याय है। मोहब्बत और..https://t.co/odjDnNbjGm — Lalu Prasad Yadav (@laluprasadrjd) May 13, 2019
जेडीयू प्रमुख नीतीश कुमार को छोटे भाई संबोधित करते हुये लालू यादव ने कहा कि ऐसा प्रतीत हो रहा है कि तुम्हें आजकल उजालों से कुछ ज़्यादा ही नफ़रत सी हो गयी है. दिनभर लालू और उसकी लौ लालटेन-लालटेन का जाप करते रहते हो. तुम्हें पता है कि नहीं, लालटेन प्रकाश और रोशनी का पर्याय है. मोहब्बत और भाईचारे का प्रतीक है. ग़रीबों के जीवन से अंधेरा हटाने का उपकरण है.
सोशल मीडिया पर भी जारी इस पत्र में लालू ने कहा कि हमने लालटेन के प्रकाश से ग़ैरबराबरी, नफ़रत, अत्याचार और अन्याय का अंधेरा दूर भगाया है और भगाते रहेंगे. तुम्हारा चिह्न तीर तो हिंसा फैलाने वाला हथियार है. मार-काट व हिंसा का पर्याय और प्रतीक है.
पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि याद रखो कि जनता को लालटेन की ज़रूरत हर परिस्थिति में होती है. प्रकाश तो दीये का भी होता है. लालटेन का भी होता है और बल्ब का भी होता है. बल्ब की रोशनी से तुम बेरोज़गारी, उत्पीड़न, घृणा, अत्याचार, अन्याय और असमानता का अंधेरा नहीं हटा सकते इसके लिए मोहब्बत के साथ खुले दिल और दिमाग़ से दीया जलाना होता है. समानता, शांति, प्रेम और न्याय दिलाने के लिए ख़ुद को ‘दीया और बाती’ बनना पड़ता है. समझौतों को दरकिनार कर जातिवादी, मनुवादी और नफ़रती आंधियों से उलझते और जूझते हुए ख़ुद को निरंतर जलाए रहना पड़ता है.
लालू यादव ने आरोप लगाते हुये लिखा कि तुम क्या जानो इन सब वैचारिक और सैद्धांतिक उसूलों को. डरकर शॉर्टकट ढूँढना और अवसर देख समझौते करना तुम्हारी बहुत पुरानी आदत रही है. उनका इशारा परोक्ष रूप से दो साल पहले आरजेडी और कांग्रेस गठबंधन से जेडीयू के निकलने और बीजेपी में शामिल होने की ओर था. उन्होंने जेडीयू के चुनाव चिन्ह ‘तीर’ का उल्लेख करते हुये कटाक्ष किया कि तुम कहाँ मिसाइल के ज़माने में तीर-तीर किए जा रहे हो? तीर का ज़माना अब लद गया. तीर अब संग्रहालय में ही दिखेगा. लालटेन तो हर जगह जलती दिखेगी और पहले से अधिक जलती हुयी मिलेगी क्योंकि 11 करोड़ ग़रीब जनता की पीठ में तुमने विश्वासघाती तीर ही ऐसे घोंपे है. बाक़ी तुम अब कीचड़ वाले फूल में तीर घोंपो या छुपाओ. तुम्हारी मर्ज़ी..
इस घटना पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुये जेडीयू के प्रवक्ता संजय सिंह ने कहा कि जेल में बंद किसी व्यक्ति का पत्र लिखना जेल नियम पुस्तिका का उल्लंघन है. रांची जेल प्रशासन को इस पर संज्ञान लेकर उचित कार्रवाई करनी चाहिए.
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