शिवपाल सिंह आर-पार के मूड में, समाजवादी सेक्युलर मोर्चा को मजबूत करने में जुटे
शिवपाल यादव अब आर पार की लड़ाई के मूड में हैं. समाजवादी पार्टी में अब उनके दिन गिने चुने रह गए हैं. लोगों से मिलना मिलाना और राज्य के अलग अलग इलाक़ों का दौरा उन्होंने तेज़ कर दिया है. शिवपाल यादव अब समाजवादी सेक्युलर मोर्चा को मज़बूत कर रहे हैं.
लखनऊ: शिवपाल यादव अब आर पार की लड़ाई के मूड में हैं. समाजवादी पार्टी में अब उनके दिन गिने चुने रह गए हैं. लोगों से मिलना मिलाना और राज्य के अलग अलग इलाक़ों का दौरा उन्होंने तेज़ कर दिया है. शिवपाल यादव अब समाजवादी सेक्युलर मोर्चा को मज़बूत कर रहे हैं.
तीन महीने पहले ही उनके समर्थकों ने ये मोर्चा बनाया था. कई जिलों में इसके दफ़्तर भी खुल गए हैं. कल ही योगी सरकार के मंत्री ओम प्रकाश राजभर ने उनसे मुलाक़ात की थी. वे बीजेपी की सहयोगी पार्टी सुहेलदेव समाज पार्टी के अध्यक्ष हैं. पिछले कुछ महीनों से राजभर कई मौक़ों पर योगी सरकार और बीजेपी का विरोध कर चुके हैं. सूत्रों की माने तो यूपी सरकार के तीन मंत्रियों ने भी हाल के दिनों में शिवपाल यादव से फ़ोन पर बातचीत की है.
समाजवादी पार्टी में शिवपाल यादव अब हाशिए पर हैं. वे कहते हैं मैंने जिस पार्टी को खड़ा किया, वहीं अब उपेक्षित महसूस कर रहा हूँ. न तो मुझे राष्ट्रीय कार्यकारिणी में बुलाया गया. न ही विधायक दल की बैठकों में बुलाया जाता है. मैं पार्टी का प्रदेश अध्यक्ष रहा हूँ. अखिलेश यादव के कहने पर राज्य सभा चुनाव के दौरान कहने पर मैंने वोट डाला. समाजवादी पार्टी ने होटल ताज में जो डिनर दिया था, मैं वहां भी गया. जो बन पड़ा, परिवार और पार्टी को एकजुट करने के लिए मैंने किया. मेरे एक एक समर्थक को चुन चुन कर टारगेट किया गया, लेकिन मैं ख़ामोश रह, लेकिन कब तक. सहने की भी एक सीमा होती है. इतना कह कर शिवपाल यादव कुछ देर के लिए चुप हो गए.
शिवपाल यादव राजनीति की दूसरी पारी खेलने का मन बना चुके हैं. कैसे और किसके साथ? इस पर होमवर्क चल रहा है. हफ़्ते के पांच दिन तो वे लखनऊ से बाहर यूपी के अलग अलग इलाक़ों का दौरा करते हैं. अपने समर्थकों के साथ मिलते हैं. समाजवादी पार्टी के कई पुराने नेता उनसे अब भी जुड़े हुए हैं. लखनऊ में लोहिया ट्रस्ट के ऑफ़िस में लगातार बैठकें शुरू हो गई हैं. ये एक तरह से शिवपाल यादव का नया दफ़्तर बन गया है. यूपी की कई छोटी पार्टियों से वे बातचीत कर रहे हैं. भदोही से निषाद पार्टी के विधायक विजय मिश्र ने भी उनसे मुलाक़ात की.
शिवपाल यादव अपने लिए समाजवादी पार्टी में एक ज़िम्मेदारी का पद चाहते थे. कहते हैं कि मुलायम सिंह ने उन्हें पार्टी का राष्ट्रीय महासचिव बनाने का भरोसा दिया था लेकिन ये वादा तो वादा ही रहा. शिवपाल यादव ने तो दिल्ली की राजनीति करने का मन बना लिया था. अब भी वे इसी मूड में हैं. वे लगातार इटावा, मैनपुरी, एटा और फ़िरोज़ाबाद के कार्यकर्ताओं से मिलते रहते हैं. उनके क़रीबियों की मानें तो शिवपाल यादव लोकसभा चुनाव लड़ने के मूड में हैं. शिवपाल कैंप के नेताओं का कहना है कि बीएसपी एसपी गठबंधन होने पर कई नेताओं को टिकट नहीं मिल पायेगा लेकिन हर हाल में वे चुनाव लड़ेंगे. ऐसे लोगों के लिए शिवपाल यादव का झंडा और बैनर एक विकल्प हो सकता है.