लखनऊ: यूपी में सहायक अध्यापक भर्ती मामले में कट ऑफ लिस्ट से हटाए गए अभ्यर्थियों ने विधानसभा रोड का घेराव किया. इस दौरान उनकी पुलिस के साथ जमकर नोंक-झोंक हुई. पुलिस ने उन्हें हटाने के लिए हल्का लाठीचार्ज भी किया. कई लड़कों को इस लाठीचार्ज में चोट भी लग गई. प्रदर्शन करने वाले लोग 21 मई का शासनादेश लागू किए जाने की मांग कर रहे थे.


यूपी में टीचर भर्ती प्रक्रिया पर लगातार सवाल उठ रहे हैं. इलाहाबाद हाईकोर्ट ने योगी सरकार के 68500 सहायक टीचरों की भर्ती मामले की सीबीआई जांच के आदेश दिए हैं. भर्ती मामले में धांधली के आरोप लगे तो योगी सरकार ने कई अधिकारियों पर गाज भी गिरायी थी और उच्च स्तरीय जांच कमिटी भी बनाई थी, लेकिन अब इस मामले की जांच सीबीआई करेगी.


राजधानी लखनऊ में विधानसभा के सामने उन लोगों को पुलिस की लाठियां खानी पड़ीं जिन्हें स्कूलों में पढ़ाना था. सरकार ने 68500 टीचरों की भर्ती का आवेदन मांगा था लेकिन बाद में कट ऑफ नंबर बदल दिए जाने से इनको अयोग्य मान लिया गया. हक मांगा तो लाठियां मिलीं.


यूपी में इसी साल जनवरी के पहले हफ़्ते में बेसिक शिक्षा परिषद के प्राथमिक स्कूलों में 68500 सहायक अध्यापकों की भर्ती का नोटिफ़िकेशन जारी हुआ था. 25 जनवरी इसके आवेदन की अंतिम तारीख़ थी. इसकी लिखित परीक्षा 12 मार्च को हुयी थी. अभ्यर्थियों को 3 घंटे में 150 सवाल हल करना थे. सवाल 12वीं तक के पाठ्यक्रम से पूछे गए थे.


सामान्य और ओबीसी संवर्ग के अभ्यर्थियों के लिए 45% (65) अंक और एससी/एसटी अभ्यर्थियों के लिए 40% (60) अंक क्वालीफाइंग थे. जबकि विज्ञापन के दौरान क़्वालिफायिंग कट ऑफ 33 और 30 फ़ीसदी था. जिन विषयों के सवाल पूछे गए थे उनमें भाषा यानी हिंदी, संस्कृत व अंग्रेजी के 40 अंक, पर्यावरण व सामाजिक अध्ययन के 10, गणित के 20, विज्ञान के 10, शिक्षण कौशल के 10, बाल मनोविज्ञान के 10, समसामयिक के 30, तार्किक ज्ञान के 05, सूचना तकनीकी के 05, जीवन कौशल के 10 नम्बर निर्धारित किए गए थे.


बेसिक स्कूलों में सहायक शिक्षकों के 68,500 पदों पर भर्ती के लिए 1.82 लाख अभ्यर्थियों ने आवेदन आए जिसमें क़रीब एक लाख आवेदन सही पाए गए. शिक्षक पद के लिए तैयार हो रही मेरिट लिस्ट में शिक्षामित्रों को उनके अनुभव के आधार पर भारांक (वेटेज) दिया गया जो अधिकतम 25 अंकों का था.


शिक्षामित्रों के अनुभव के आधार पर उन्हें हर साल के लिए उन्हें 2.5 अंकों का वेटेज दिया गया जो अधिकतम 10 साल तक के शैक्षणिक अनुभव तक मान्य था. इस वजह से क़रीब चालीस हज़ार आवेदक ही परीक्षा पास कर आए थे और करीब 27713 पोस्ट खाली रह गयी. इसी के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का बयान आया कि नौकरियां हैं जबकि योग्य अभ्यर्थी नहीं हैं.


इस भर्ती में शुरू से ही धांधली के आरोप लगते रहे. कुछ तस्वीरें भी सोशल मीडिया पर वायरल हुई. योगी सरकार ने अधिकारीयों पर कार्यवाही की और मामले की जांच एक हाईलेवल कमिटी से कराने का आदेश दिया लेकिन इस बीच कुछ लोग हाईकोर्ट चले गए और अब मामले की सीबीआई जांच के आदेश हो गए हैं.


यानी जिन लोगों को नौकरी मिली भी वो भी खतरे में है. कोर्ट ने सीबीआई को इस मामले में अपनी प्रगति रिपोर्ट 26 नवम्बर को पेश करने के आदेश देने के साथ-साथ मामले की जांच छह माह में पूरी करने के निर्देश भी दिये हैं. बाकी बचे पदों पर भर्ती की मांग कर रहे इन प्रशिक्षु टीचरों ने सरकार तक बात पहुंचाने के लिए प्रदर्शन किया तो इन पर लाठीचार्ज कर दिया गया.


इस मामले में सपा का कहना है कि योगी सरकार नौकरियाँ देने के बजाय नौकरियाँ छीन रही है, पिछली सरकार की भर्तियाँ रद्द कर रही है और नयी भर्ती कर नहीं पा रही है. पेपर लीक हो जाते हैं. जो अधिकारी गड़बड़ी करते हैं वही मामले की जाँच भी करते हैं. हर जगह धाँधली हो रही है. जबकि कांग्रेस का कहना है कि पिछली सरकार पर आरोप लगाने वाली योगी सरकार ख़ुद आरोपों के घेरे में है.