मथुरा: उत्तर प्रदेश में मथुरा जिले के बरसाना कस्बे में खेली जाने वाली लट्ठमार होली का आयोजन 15 मार्च को होगा. अगले दिन इसी प्रकार की लट्ठमार होली नन्दगांव में मनाई जाएगी. राज्य पर्यटन विभाग इस साल भी होली के इस अद्भुत आयोजन को पहले से भी अधिक आकर्षक बनाने के लिए यहां दो दिन तक सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन करेगा. जिला प्रशासन ने इस अवसर पर देश-विदेश से आने वाले श्रद्धालुओं की सुरक्षा के लिए विशेष इंतजाम किए हैं.


वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक सत्यार्थ अनिरुद्ध पंकज और यातायात पुलिस अधीक्षक डा. ब्रजेश कुमार सिंह ने बताया कि होली मेले में आने वाले वाहनों की व्यवस्था बनाए रखने के लिए बरसाना में लड्डू-होली से एक दिन पूर्व (13 मार्च) की शाम से ही बाहरी वाहनों का प्रवेश वर्जित कर दिया जाएगा तथा वाहनों को जगह-जगह बनाए गए पार्किंग स्थलों पर ही खड़ा कराया जाएगा. उन्होंने बताया, ''किसी भी अवांछित गतिविधि से निपटने के लिए पूरे मेला परिसर में चप्पे-चप्पे पर पुलिसकर्मी तैनात रहेंगे. इसके अलावा सीसीटीवी नेटवर्क तथा ड्रोन कैमरों से भी मेले पर नजर रखी जाएगी."


ब्रज में 10 दिन तक मनाया जाएगा रंगोत्सव


ब्रज में रंगोत्सव की तैयारियां जोरों पर हैं जो 10 दिन तक चलेगा. ब्रज तीर्थ विकास परिषद, राज्य पर्यटन विभाग और संस्कृति विभाग और जिला प्रशासन उत्सव के मद्देनजर जी-जान से जुटे हैं. ब्रज में होली महोत्सव के कार्यक्रम वसंत पंचमी से शुरू होकर होली जलने तक बदस्तूर पूरे 50 दिन तक जारी रहते हैं. योगी सरकार ने पिछले साल से इन्हें पर्यटन विकास की दृष्टि से और भी ज्यादा प्रचारित-प्रसारित कर आकर्षक एवं पर्यटक हितैषी बनाने के प्रयास शुरू किए हैं.


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बता दें कि वसंत पंचमी के अवसर पर रविवार को वृन्दावन के बांकेबिहारी मंदिर सहित सभी मंदिरों में ठाकुरजी को गुलाल अर्पित किए जाने के साथ ही ब्रज में पचास दिन के चलने वाले होली महोत्सव की शुरुआत हो गई. सदियों से चली आ रही परंपरानुसार ब्रजमण्डल के सभी मंदिरों में रविवार को वासंती परिधान में सजे-संवरे ठाकुर को अर्पण कर भक्तों के ऊपर प्रसाद के रूप में अबीर-गुलाल फेंका गया. इसी के साथ अब होली फाल्गुन शुक्ल पूर्णिमा (होली जलाए जाने तक) प्रतिदिन होली खेली जाएगी.


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बांकेबिहारी मंदिर में टेसू के फूलों से बने रंग से होली खेली जाती है. ये रंग शरीर को कोई हानि नहीं पहुंचाता. बल्कि, अनेक शास्त्रोक्त औषधियों के मिश्रण से बना यह रंग त्वचा को कांति पहुंचाता है. इसीलिए, अन्य मंदिरों में भी होली खेलने के लिए टेसू के रंगों का प्रयोग किया जाता है.