जिस आतंकी की बात हो रही है वो कुछ महीने तक इसी कैम्पस में रिसर्च छात्र था. आतंकी का नाम मन्नान वानी और उसके हीरो बनाने की कोशिश करने वाले एएमयू के छात्रों का एक गुट है जिसमें ज्यादातर कश्मीरी छात्र हैं.
जैसे ही मन्नान की मौत की खबर एएमयू पहुंची, कुछ छात्रों ने उसे शहीद घोषित करते हुए फेसबुक और अन्य सोशल मीडिया पर श्रद्धांजलि देना शुरू कर दिया. इसके बाद नमाज ए जनाजा पढ़ने का भी प्रयास किया गया. हालांकि एएमयू के ही कुछ छात्रों ने इसका विरोध भी किया.
करीब 150 छात्रों ने एक शोक सभा भी आयोजित की. तीन छात्रों को अनुशासनहीनता के लिए निलंबित किया गया है. तीनों छात्र कश्मीरी बताए जा रहे हैं. यूनिवर्सिटी प्रशासन ने जब सभा का विरोध किया तो उनको भी विरोध का सामना करना पड़ा.
शोकसभा में शामिल छात्र उन लोगों से बहस कर रहे थे जो लोग सभा के लिए छात्रों को रोक रहे थे.
मन्नान वानी अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी का छात्र था. कलम से उसका वास्ता होना था लेकिन न जाने कब उसने एके 47 राइफल थाम लिया. जम्मू कश्मीर में कल सुरक्षाबलों ने जिन दो आतंकियों का एनकाउंटर किया, मन्नान वाऩी उन्हीं में से एक था.
एनकाउंटर के दौरान 500 स्थानीय लोग जमा हो गए और सुरक्षाबलों पर पत्थरबाजी भी हुई. बहरहाल मन्नान की मौत आतंकियों के लिए सबक भी है, और नसीहत भी. खासकर पढ़े लिखे युवाओं के लिए क्योंकि आतंक से कुछ हासिल हो नहीं सकता सिवाय मौत के.
मन्नान के जब हिज्बुल में शामिल होने की खबर आई थी तो घरवालों ने रो रोकर मन्नान से घर लौटने की अपील की थी. हाथ जोड़कर टीवी कैमरों के सामने अपील कर रहे थे कि घर लौट आओ, लेकिन मन्नान नहीं माना. हिज्बुल ने उसे कमांडर बनाया. फिर उसने आतंक का खेल शुरु किया तो सेना की मोस्ट वांटेड की लिस्ट में मन्नान का नाम भी शामिल हो गया था.