लखनऊ: यूपी में समाजवादी पार्टी में सुलह की तमाम कोशिशें नाकाम होती जा रही हैं. बैठकों और मुलाकातों के कई दौर बीत चुके हैं, लेकिन पिता और बेटे के बीच की दरार नहीं भर पा रही. परिवार में मची कलह पर जब अखिलेश यादव से सवाल पूछे गए, तो वो जवाब देने से बचते नज़र आए.


सवाल- क्या आपको लगता है कि नेताजी से जो समझौते की बात चल रही है ? उसको किस तरह से आप देखते हैं, क्या समझौता होगा ?


जवाब- मैं समझता हूं कि यह समय ऐसा है कि समाजवादी सिद्धांत कैसे आगे बढ़े.


जवाब बता रहा है कि अखिलेश का ऐसे सवालों पर मूड क्या है, लेकिन जब चुनाव सर पर हों और पार्टी के साथ-साथ परिवार में खलबली मची हो तो ऐसे सवालों के जवाब बेहद ज़रूरी हो जाते हैं.  इसलिए रिपोर्टरों ने दोबारा सवाल पूछा.



सवाल- साइकिल में इंजन लगाएंगे या साइकिल पर चलेंगे, सिंबल क्या होगा, साइकिल या मोटरसाइकल ?


जवाब- मैने कहा कि ये विचारधारा, समाजवादी विचारधारा......


अखिलेश से सवाल सीधा पूछा गया था पर उनका जवाब कहीं और जा रहा था. लिहाज़ा थोड़ी ही देर बाद सवाल तीसरी बार दागा गया.


सवाल- नेताजी की बात, किस बात पर फंसी है, क्या समझौता नहीं कर पा रहे हैं या ये स्थिति आ गयी कि चुनाव आयोग फैसला करेगा और आप लोगों में सहमति नहीं पा रही है ?


जवाब- राजनीति में, मैं समझता हूं कि जब फैसले लेने की बात हो......


चौथी बार भी वही हुआ, अखिलेश ने सवाल सुना. जवाब में चुनावी भाषण शुरु कर दिया.


इस बार तो अखिलेश ने सवाल ही अनसुना कर दिया.  साफ था वह कुछ भी ऐसा नहीं बोलना चाहते थे, जिससे बात और बिगड़ जाए. वैसे अखिलेश जितनी देर बोलते रहे, नेताजी का नाम उनकी ज़बान पर बार-बार आता रहा.



जांच जारी, सही वक्त पर लेंगे फैसला- चुनाव आयोग


आपको याद होगा अखिलेश यादव, अमर सिंह को परिवार में आग लगाने वाला करार दे चुके हैं. अखिलेश खेमा अभी भी यही दावा कर रहा है कि नेताजी गलत लोगों के बीच फंसे हुए हैं. इधर चुनाव आयोग ने भी साफ कर दिया है कि दोनों पक्षों की दलीलों और दावों को जांचा परखा जा रहा है, सही वक्त पर फैसला ले लिया जाएगा.


अखिलेश खेमे की ओर से दावा मज़बूत करने के लिए एक और दांव चल दिया गया है. कई ज़िलों में ज़िला अध्यक्षों के नामों को घोषणा कर दी गयी है और उनसे पार्टी को मज़बूत करने के लिए कहा गया है.


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