लखनऊ: उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार पर किसानों के माफ किए गये कर्ज की उनकी खातों से भरपाई किए जाने का आरोप लगा है. सरकार ने इसे नकारते हुए कहा कि अगर किसी किसान से ऐसी वसूली की जा रही है तो वह जांच करायेगी. संवाददाता सम्मेलन में मेरठ के सरधना निवासी किसान गौरव चौधरी ने बताया कि उसके गांव जमालपुर में सात-आठ माह पहले किसान ऋणमोचन योजना के तहत कुछ लोगों का कर्ज माफ किया गया था. उन लोगों के पास मुख्यमंत्री द्वारा वितरित ऋणमोचन प्रमाणपत्र भी हैं.
उन्होंने आरोप लगाया कि उन किसानों का जो कर्ज माफ हुआ है, उसकी उनके खातों से ‘रिकवरी‘ की जा रही है. उन किसानों के खाते में बकाया गन्ना मूल्य के रूप में 65 हजार रुपये आये थे, उनमें से उनके माफ हुए कर्ज की धनराशि 58 हजार 682 रुपये काट लिये गये. पासबुक में डेबिट की मद में रिकवरी की बात भी लिखी है.
चौधरी ने बताया कि सरकार दो तरह से रिकवरी कर रही है. पहला, अगर किसान के बैंक खाते में धन नहीं है तो उसके माफ किए गये कर्ज को ग्रीन कार्ड की देनदारी में जोड़ा जा रहा है. दूसरा, अगर खाते में धन है तो है तो उसमें से माफ की गयी धनराशि काट ली जा रही है. उन्होंने कहा कि वह जब सम्बन्धित भारतीय स्टेट बैंक की सम्बन्धित शाखा में पहुंचे तो प्रबन्धक ने बताया कि जिस तरह आपका कर्ज माफ किया गया है, उसे वैसे ही वापस लिया जा रहा है.
चौधरी ने कहा कि उनके गांव में ऐसे छह किसानों से वसूली की गयी. आसपास के कुल 35 लोग ऐसे हैं, जिनके साथ ऐसा हुआ है. जब बैंक प्रबन्धक से इसका कारण पूछा गया तो उन्होंने कहा कि यह तो पहली सूची है. ऐसी सूची पूरे प्रदेश में जारी होगी.
इस बीच, प्रदेश के कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही ने बताया कि किसानों से इस तरह की कोई भरपाई नहीं करायी जा रही है. अगर बैंक ने धनराशि का गलत अंतरण किया होगा तो वे उसे सही कर रहे होंगे. उन्होंने कहा कि बैंकों ने ही किसानों को कर्ज दिया था. बैंकों ने जो डेटा उपलब्ध कराया, उसी के आधार पर कर्जमाफी हुई है. अगर उनसे कोई गड़बड़ी हुई है तो वे अपना हिसाब-किताब ठीक कर रहे होंगे. हो सकता है कि किसी ने पम्पिंग सेट और ट्रैक्टर के लिये कर्ज लिया हो और बैंकों ने उसे फसली कर्ज में अंतरित कर दिया होगा. ऐसे में सम्भव है कि वे उसे वापस ले रहे हों.
कृषि मंत्री ने कहा कि फसली कर्ज की माफी के लिये जो पात्रता थी, उसे पूरा करने वाले सभी किसानों का कर्ज माफ होना है. उसमें किसी प्रकार की कोताही नहीं होगी. जो नियम और शर्तें हैं, उनका पालन बैंकों और सरकारी मशीनरी दोनों को ही करना है. शाही ने कहा कि अगर किसी किसान से गलत भरपाई की जा रही है तो वह शिकायत करे. सरकार उसकी जांच करायेगी.