Lockdown: मुंबई में खिलखिला उठी है कुदरत, सड़कों पर निकले मोर और हिरणों के झुंड
मुंबई में प्रदूषण के स्तर में आई है 38 फीसदी तक की गिरावट. आंकड़ो की मानें तो अब 30 साल पहले जैसी शुद्ध हो गई है हवा.
मुंबई: कोरोना वायरस के कारण देशभर में चल रहे लॉकडाउन की वजह से एक सकारात्मक परिणाम भी देखने मिल रहा है. इसकी वजह से कुदरत को खुद को दुरूस्त करने का एक मौका मिला है. पर्यावरण को राहत मिल रही है. अगर बात मुंबई जैसे महानगर की करें तो यहां कुदरत खिलखिला रही है.
मुंबई में इस वक्त जितनी साफ हवा चल रही है उतनी साफ हवा बीते सालों में कभी नहीं चली. शहर के सबसे प्रदूषित माने जाने वाले इलाकों में एयर क्वालिटी इंडेक्स हवा की ऐसी शुद्धता दर्शा रहा है जो अब से 30 साल पहले थी. नाइट्रोजन ऑक्साइड की वजह से होने वाले प्रदूषण का स्तर भी 38 फीसदी तक घटा है. जिस तरह से लॉकडाउन के दिन बीत रहे हैं प्रदूषण के स्तर में और गिरावट आ रही है.
इसकी मुख्य वजह है कि सडकों से गाड़ियां ग़ायब हैं और इनकी वजह से होने वाला प्रदूषण भी बिल्कुल कम हो गया है. इसके अलावा पर्यावरण में जहरीला धुआं घोलने वाली बडी बडी फैक्ट्रियां भी बंद हो गई हैं. सड़कें सूनी होने की वजह से ध्वनि प्रदूषण भी एकदम न के बराबर हो गया है.
लॉकडाउन के कारण समुद्र में मोटरबोट और नौकाएं भी नहीं चल रहीं. इस वजह से डॉल्फिन मछलियां जो आमतौर पर गहरे समंदर में रहतीं है वे समंदर के किनारे तक आकर उछल कूद कर रहीं है. मुंबई अरब सागर के किनारे बसा है और जो लोग समंदर के किनारे रहते हैं वे अपनी खिडकियों से डॉल्फिन की मस्ती का आनंद ले रहे हैं. उनके वीडियो बनाकर सोशल मीडिया पर शेयर कर रहे हैं.
वहीं, मुंबई के शिवडी इलाके में हर साल नवंबर-दिसंबर से यूरोप से हजारों की तादाद में खूबसूरत फ्लेमिंगो पक्षी आते हैं. उन्हें देखने के लिये सैकड़ों पर्यटकों की भीड़ रहती है लेकिन पर्यटकों की भीड़ न होने के कारण फ्लेमिंगो भी बेखौफ होकर समंदर किनारे घूम रहे हैं.
दक्षिण मुंबई के मालाबार हिल पर मोर सिर्फ राजभवन में ही नजर आते थे. लेकिन सुनसान सडकों ने उन मोरों को भी हिम्मत दी और इन दिनों वे मालाबार हिल की तमाम सडकों पर बेखौफ होकर घूमते नज़र आ रहे हैं.
संजय गांधी नेशनल पार्क से होकर गुजरने वाली सडक के इर्द-गिर्द भीड़भाड़ और वाहनों की आवाजाही की वजह से कभी हिरण भी बाहर नहीं आते थे. लेकिन अब हिरणों का झुंड भी बैखोफ होकर बाहर घूम रहा है. कुल मिलाकर लॉकडाउन ने भले ही लोगों को अपने घरों में कैद कर दिया हो. लेकिन कुदरत को इसने आज़ादी की सांस लेने का मौका दिया है. ये आज़ादी तब तक ही है जब तक कोरोना वायरस के चलते सरकार लॉकडाउन पर अमल कर रही है.
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