जानिए यूपी की उन 14 लोकसभा सीटों के बारे में जहां 6 मई को होनी है वोटिंग
जिन 14 लोकसभा सीटों पर वोटिंग होगी वो हैं- अमेठी, रायबरेली, लखनऊ, धौरहरा, सीतापुर, मोहनलाल गंज, बांदा, फतेहपुर, कौशाम्बी, बाराबंकी, फैजाबाद, बहराइच, कैसरगंज और गोंडा.
लखनऊ: 6 मई को लोकसभा चुनाव के पांचवें चरण में यूपी में 14 जगहों पर वोट डाले जाएंगे. जिन 14 लोकसभा सीटों पर वोटिंग होगी वो हैं- अमेठी, रायबरेली, लखनऊ, धौरहरा, सीतापुर, मोहनलाल गंज, बांदा, फतेहपुर, कौशाम्बी, बाराबंकी, फैजाबाद, बहराइच, कैसरगंज और गोंडा.
2014 में अमेठी और रायबरेली को छोड़ कर बीजपी ने बाकी सभी 12 लोकसभा सीटों पर जीत दर्ज कराई थी. ये दोनों की सीटें कांग्रेस का गढ़ मानी जाती हैं. अमेठी से राहुल गांधी और रायबरेली से सोनिया गांधी वर्तमान सांसद हैं.
बात लखनऊ की करें तो राजनाथ सिंह यहां से सांसद हैं. इस सीट को बीजेपी का गढ़ माना जाता है. पिछले करीब 23 साल से यहां पर बीजेपी का झंडा काबिज है. अटल बिहारी वाजपेयी यहां से सांसद रहे और फिर लालजी टंडन भी यहां से सांसद रहे. कांग्रेस की ओर से आचार्य प्रमोद कृष्णम और गठबंधन की ओर से पूनम सिन्हा चुनाव मैदान में हैं.
2008 में अस्तित्व में आयी धौरहरा सीट पर पहली बार 2009 में चुनाव हुए और जितिन प्रसाद सांसद चुने गए. 2014 में बीजेपी की रेखा वर्मा यहां से सांसद चुनी गईं. 2019 में जितिन प्रसाद एक बार फिर चुनाव मैदान में हैं और उनका सामना रेखा वर्मा से है. महागठबंधन की ओर से अरशद इलियास सिद्दीकी मैदान में हैं.
सीतापुर के वर्तमान सांसद राजेश वर्मा पहले बीएसपी में थे और यहां से दो बार सांसद रह चुके हैं. 2014 में वो बीजेपी के टिकट पर चुनाव लड़े और तीसरी बार सांसद बने. कांग्रेस ने यहां से कैसर जहां को अपना उम्मीदवार बनाया है और गठबंधन की ओर से नकुल दुबे चुनाव मैदान में हैं.
मोहनलालगंज सीट पर कांग्रेस ने आरके चौधरी को मैदान में उतारा है तो वहीं गठबंधन मे सीएल वर्मा को टिकट दिया है. बीजेपी ने मौजूदा सांसद कौशल किशोर को ही प्रत्याशी बनाया है. यहां बड़ी टक्कर चौधरी और वर्मा के बीच मानी जा रही है.
बांदा सीट पर गठबंधन ने श्यामा चरण गुप्ता को, बीजेपी ने आरके सिंह पटेल को और कांग्रेस ने बाल कुमार पटेल को मैदान में उतारा है. बांदा लोकसभा सीट कभी किसी खास पार्टी की गढ़ नहीं रही. गुप्ता बीजेपी के टिकट पर इलाहाबाद से सांसद थे लेकिन वो लगातार पार्टी के खिलाफ बागी तेवर अपनाए रहे. शहर का नाम पदलने पर भी उन्होंने अपना नाराजगी दिखाई थी.
फतेहपुर लोकसभा सीट पर बीजेपी ने एक बार फिर साध्वी निरंजन ज्योति को चुनाव मैदान में उतारा है. सपा-बसपा गठबंधन की ओर से सुखदेव प्रसाद वर्मा मैदान में हैं और कांग्रेस ने सपा छोड़ कर आए राकेश सचान को टिकट दिया है.
कौशाम्बी लोकसभा सीट 2008 में बनी थी और 2009 में यहां से समाजवादी पार्टी के शैलेंद्र कुमार को जीत हासिल हुई. 2014 में यहां से विनोद कुमार सोनकर बीजेपी के टिकट पर जीते. इस बार बीजेपी ने एक बार फिर विनोद सोनकर को मैदान में उतारा है जबकि गठबंधन की ओर से इंद्रजीत सरोज प्रत्याशी हैं. कांग्रेस ने गिरीश चंद्र पासी को टिकट दिया है.
बाराबंकी लोकसभा सीट से बीजेपी ने उपेंद्र रावत को, कांग्रेस ने तनुज पुनिया को और गठबंधन ने राम सागर रावत को मैदान में उतारा है. 2014 में यहां से बीजेपी की प्रियंका रावत ने जीत हासिल की थी. हालांकि देखा जाए तो यहां मुकाबला पीएल पुनिया और बेनी प्रसाद वर्मा का भी है. राम सागर रावत को बेनी का करीबी माना जाता है और तनुज, पीएल पुनिया के बेटे हैं.
फैजाबाद लोकसभा सीट से बीजेपी ने वर्तमान सांसद लल्लू सिंह को चुनाव मैदान में उतारा है. कांग्रेस ने निर्मल खत्री और सपा-बसपा गठबंधन ने आनंदसेन यादव को चुनाव मैदान में उतारा है. तीनों लोगों के पास ही लंबा राजनीतिक अनुभव है और अयोध्या के कारण इस सीट पर देश भर की निगाहें भी रहती हैं.
2014 में बहराइच से बीजेपी के टिकट पर सावित्री बाई फुले सांसद बनी थीं लेकिन 2019 आते-आते वो बागी हो गईं और अब कांग्रेस के टिकट पर चुनाव मैदान में हैं. सपा-बसपा गठबंधन ने शब्बीर अहमद पर दांव लगाया है और बीजेपी ने अक्षयवर गोंड को उम्मीदवार बनाया है.
कैसरगंज सीट से बीजेपी ने बृजभूषण सिंह, गठबंधन ने चंद्रदेव राम यादव और कांग्रेस ने विनय पांडे पर दांव लगाया है. 2014 में भी बीजेपी उम्मीदवार बृजभूषण सिंह को जीत हासिल हुई थी लेकिन इस सीट को सपा का गढ़ माना जाता रहा है.
गोंडा लोकसभा सीट पर बीजेपी की ओर से कीर्तिवर्धन सिंह, सपा-बसपा गठबंधन की ओर से विनोद सिंह और कांग्रेस की ओर से कृष्णा पटेल चुनाव मैदान में हैं. गठबंधन प्रत्याशी अपने बयानों के कारण अक्सर चर्चा में रहे हैं. 2014 में यहां से बीजेपी के कीर्तिवर्धन सिंह ने जीत हासिल की थी.