पटना: सामान्य वर्ग को आरक्षण दिए जाने के फैसले के बीच बिहार के मुख्यमंत्री और जेडीयू अध्यक्ष नीतीश कुमार ने जातिगत जनगणना कराए जाने की मांग छेड़ दी है. उन्होंने कहा कि 2021 में जाति आधारित जनगणना होनी चाहिए. आगामी लोकसभा चुनाव के ख्याल से नीतीश कुमार की यह मांग काफी अहम है. बिहार में जेडीयू की विपक्षी पार्टी राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) पूर्व में की गई जातिगत जनगणना की रिपोर्ट सार्वजनिक करने की मांग उठाती रही है.


2015 के बिहार विधानसभा चुनाव से पहले आरजेडी के अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव ने जमकर जातिगत जनगणना रिपोर्ट सार्वजनिक करने की मांग उठाई थी. हाल ही में जब केंद्र की मोदी सरकार ने आर्थिक रूप से पिछड़े सामान्य वर्ग को शिक्षा और रोजगार में 10 प्रतिशत आरक्षण देने का फैसला किया तो आरजेडी ने एक बार फिर से जातिगत जनगणना रिपोर्ट सार्वजनिक करने की मांग की थी.


आरजेडी नेता और बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने सवाल किया कि केंद्र सरकार आखिर जातिगत जनगणना के आंकड़े सार्वजनिक क्यों नहीं कर रही है? दरअसल, आरजेडी और अन्य कुछ पार्टियों का कहना है कि जातिगत जनगणना संबंधी रिपोर्ट आने से ओबीसी, एससी, एसटी का आरक्षण दायरा बढ़ेगा.


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लोकसभा में सामान्य वर्ग को दिये जाने वाले आरक्षण संबंधी बिल पर आरजेडी सांसद जयप्रकाश नारायण यादव ने कहा था कि सरकार जातिगत जनगणना की रिपोर्ट सामने लाए और एससी, एसटी और ओबीसी को 85 फीसदी आरक्षण दिया जाए.


तब समाजवादी पार्टी सांसद धर्मेंद्र यादव ने कहा था कि जातिगत जनगणना पर करोड़ों रुपए खर्च किया, लेकिन रिपोर्ट जारी नहीं की जा रही है. यह रिपोर्ट जारी की जाए और जिसकी जितनी आबादी है, उसे उतना आरक्षण दिया जाए.


आपको बता दें कि 2011 में जगणना के समय जाति को लेकर लोगों से सवाल पूछे गए थे. लेकिन डाटा सार्वजनिक नहीं किया गया. समय-समय पर इसकी मांग उठती रही है.