बीजेपी ने किया धारा-35A हटाने का वादा, नीतीश की पार्टी ने कहा- हम इससे असहमत
जाहिर है कि बीजेपी ने अपने संकल्प पत्र में ये वादा किया कि वे धारा 35ए को हटाएंगे. इसपर जेडीयू ने केसी त्यागी ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि बीजेपी के इस फैसले से उनकी पार्टी असहमत है. हालांकि उन्होंने ये भी कहा कि बीजेपी को अपने घोषणा पत्र को प्रचारित-प्रसारित करने का अधिकार है.
Lok Sabha Election 2019: बीजेपी ने अपने घोषणापत्र में धारा 35-ए हटाने की बात कही है. इस पर अब बिहार में बीजेपी की सहयोगी जेडीयू ने दी प्रतिक्रिया दी है. एबीपी न्यूज़ से बातचीत में जेडीयू के सीनियर नेता और पार्टी के महासचिव केसी त्यागी ने इससे असहमति जताई. हालांकि उन्होंने ये भी कहा कि बीजेपी स्वतंत्र पार्टी है और उसे अधिकार है कि वह अपने तरीके से घोषणापत्र को प्रचारित करे लेकिन जेडीयू इससे असहमत है.
केसी त्यागी ने कहा कि जेडीयू एनडीए की बहुत पुरानी सदस्य रही है और इस तरह की चीजों को हमने एनडीए के एजेंडे से हटाया था. चाहे वह आर्टिकल 370 या 35ए हो, अयोध्या का मुद्दा हो या यूनिफॉर्म सिविल कोड हो. उन्होंने कहा कि समाजवादी आंदोलन के समय से जो हमारा स्टैंड था वो आज भी है. जेडीयू नेता ने कहा कि अगर एनडीए की सरकार बनेगी तो वह सबको साथ लेकर चलेगी. आम सहमति से फैसले लिए जाएंगे.
गौरतलब है कि बीजेपी ने अपने घोषणा पत्र में कहा है कि अनुच्छेद 370 को लेकर भारतीय जनता पार्टी की नजरिए में कोई बदलाव नहीं है. इसके साथ ही बीजेपी ने धारा 35-ए हटाने की बात भी दोहराई है. बीजेपी के इस वादे पर जम्मू कश्मीर से कड़ी प्रतिक्रिया आई थी. पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने कहा था कि बीजेपी आग से खेलना बंद करे. वहीं फारूक अब्दुल्ला ने कहा था कि अगर बीजेपी जम्मू कश्मीर से धारा 370 हटाती है तो हमारे लिए इनसे आजाद होने का रास्ता साफ हो जाएगा.
क्या है अनुच्छेद 35A? यहां समझें
अनुच्छेद 35A को मई 1954 में राष्ट्रपति के आदेश के ज़रिए संविधान में जोड़ा गया. ये अनुच्छेद जम्मू कश्मीर विधान सभा को अधिकार देता है कि वो राज्य के स्थायी नागरिक की परिभाषा तय कर सके. इन्हीं नागरिकों को राज्य में संपत्ति रखने, सरकारी नौकरी पाने या विधानसभा चुनाव में वोट देने का हक मिलता है. इसका नतीजा ये हुआ कि विभाजन के बाद जम्मू कश्मीर में बसे लाखों लोग वहां के स्थायी नागरिक नहीं माने जाते. वो वहां सरकारी नौकरी या कई ज़रूरी सरकारी सुविधाएं नहीं पा सकते. ये लोग लोकसभा चुनाव में वोट डाल सकते हैं. लेकिन राज्य में पंचायत से लेकर विधान सभा तक किसी भी चुनाव में इन्हें वोट डालने का अधिकार नहीं है.
इस अनुच्छेद के चलते जम्मू कश्मीर की स्थायी निवासी महिला अगर कश्मीर से बाहर के शख्स से शादी करती है, तो वो कई ज़रूरी अधिकार खो देती है. उसके बच्चों को स्थायी निवासी का सर्टिफिकेट नही मिलता. उन्हें माँ की संपत्ति पर हक नहीं मिलता. वो राज्य में रोजगार नहीं हासिल कर सकते.
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