Lok Sabha Election 2019: बिहार की राजनीति में पिछले कुछ दशकों से बाहुबलियों की अपनी खास पहचान रही है. दीगर बात है कि इन दिनों बाहुबलियों की अनुपस्थिति या राजनीति में छद्म शुचिता की वजह से उनका स्थान उनकी पत्नियों ने ले लिया है. बिहार में इस लोकसभा चुनाव में भी कई बाहुबलियों की पत्नियां चुनावी अखाड़े में खम ठोंक रही हैं. ऐसे में बिहार का सीवान एक ऐसा लोकसभा क्षेत्र है, जहां से दो बाहुबलियों की पत्नियां आमने-सामने हैं. ऐसे में सीवान का मुकाबला दिलचस्प बना हुआ है, जिस पर सिर्फ बिहार की नहीं बल्कि देश की भी नजर है.


अपराध के लिए चर्चित सीवान लोकसभा क्षेत्र से महागठबंधन की ओर से राष्ट्रीय जनता दल के पूर्व सांसद मोहम्मद शहाबुद्दीन की पत्नी हिना शहाब को एक बार फिर से चुनावी समर में उतारा गया है, जबकि राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) की ओर से जनता दल (युनाइटेड) ने बाहुबली नेता अजय सिंह की पत्नी और विधायक कविता सिंह को मैदान में उतारकर मुकाबले को कांटे का बना दिया है. कविता सिंह की सास जगमातो देवी भी जेडीयू की विधायक थीं. उनके निधन के बाद दरौंदा विधानसभा क्षेत्र में हुए उपचुनाव में कविता विधायक बनीं.


सीवान संसदीय क्षेत्र के तहत छह विधानसभा सीवान, जीरादेई, दरौली, रघुनाथपुर, दरौंदा और बरहड़िया विधनसभा क्षेत्र आते हैं. माना जाता है कि इस क्षेत्र में यादव, मुस्लिम, राजपूत जातियों का खासा प्रभाव है.


पिछले लोकसभा चुनाव में बीजेपी के ओम प्रकाश यादव ने आरजेडी की हिना शहाब को पराजित किया था. उस चुनाव में ओम प्रकाश को 3,72,670 मत मिले थे, जबकि हिना शहाब को 2,58,823 मतों से संतोष करना पड़ा था. साल 2009 के चुनाव में भी हिना को ओमप्रकाश ने बतौर निर्दलीय पराजित किया था. इस चुनाव में एनडीए में यह सीट जेडीयू के खाते में चली गई.


हिना शहाब भले ही इस बार तीसरी बार चुनाव मैदान में उतरी हैं, लेकिन राजनीति में उनकी पहचान आज भी इस क्षेत्र का चार बार लोकसभा में प्रतिनिधित्व करने वाले उनके पति मोहम्मद शहाबुद्दीन से ही होती है. शहाबुद्दीन की राजनीतिक पारी की शुरुआत साल 1990 से निर्दलीय विधायक के रूप में हुई थी. साल 1992 से 2004 तक वो चार बार इलाके के सांसद चुने गए. वर्तमान समय में वे सीवान के चर्चित तिहरे हत्याकांड समेत लगभग दर्जनभर मामलों में सजायाफ्ता हैं और दिल्ली की तिहाड़ जेल में बंद हैं.


बहरहाल, हिना शहाब को जहां 'एम-वाई' (मुस्लिम-यादव) समीकरण के अलावा कुशवाहा, मल्लाह और दलितों के वोट बैंक के सहारे जीत की उम्मीद है, वहीं कविता सिंह को सवर्ण जाति के अलावा वैश्य, अतिपिछड़ी और दलित जाति के साथ मोदी लहर पर भरोसा है.


आरजेडी के प्रत्याशी और कार्यकर्ता लोगों के बीच राष्ट्रवाद, प्रधानमंत्री के व्यक्तित्व को लेकर मतदाताओं के पास पहुंच रहे हैं, वहीं बिहार के पुराने 'जंगलराज' को भी याद करवा रहे हैं. इधर, महागठबंधन प्रधानमंत्री पर वादाखिलाफी का आरोप लगाकर मतदाताओं को रिझाने में लगी है.


बहरहाल, सभी दल मतदताओं को अपनी ओर आकर्षित करने के लिए जी-तोड़ मेहनत कर रहे हैं. इस चुनाव में सीवान से कुल 19 प्रत्याशी चुनाव मैदान में हैं, जो जीतने नहीं तो वोट काटने की स्थिति में माने जाते हैं. ऐसे में कहा जा रहा है कि दोनों गठबंधनों के लिए चुनाव तक अपने वोटबैंक को सुरक्षित रखने की चुनौती है. इस क्षेत्र में छठे चरण के तहत 12 मई को मतदान होना है, जबकि परिणाम 23 मई को घोषित किए जाएंगे.