मुजफ्फरनगर: लोकसभा चुनाव लड़ने का सपना बिना लाखों रूपये खर्च किये पूरा नहीं होता मगर मुजफ्फरनगर के मांगेराम कश्यप ने जेब में फूटी कौड़ी नहीं होने के बावजूद भी बीते 19 सालों में कोई चुनाव बिना लड़े नहीं छोड़ा. सन 2000 में मांगेराम कश्यप ने मजदूर किसान यूनियन पार्टी बनाई और गरीब-मजदूरों के नेता बन गये. वह पेशे से एडवोकेट हैं और दो बच्चों के पिता भी.
मुजफ्फरनगर के 51 साल के वकील मांगेराम कश्यप इस लोकसभा चुनाव में पूर्व केन्द्रीय मंत्री संजीव बालियान और राष्ट्रीय लोकदल के अध्यक्ष चौधरी अजीतसिंह के सामने चुनाव लड़ रहे हैं. अपने नामांकन पत्र के साथ दाखिल किये गये हलफनामे के मुताबिक मांगेराम कश्यप और उनकी पत्नी बबिता चौहान के पास न तो ज्वैलरी है, न नकद रूपये और न बैंक खाते में कोई बैलेंस. सम्पत्ति के नाम पर 100 गज का एक प्लाट है जिसकी कीमत 5 लाख रूपये है.
अपनी पत्नी और दो बच्चों के साथ वह 60 गज क्षेत्रफल के एक मकान में रहते है जो उन्हें उनकी ससुराल की ओर से गिफ्ट में मिला है. वाहन के नाम पर उनके पास एक पुरानी मोटरसाइकिल है जिसका इस्तेमाल वह घर से कचहरी तक आने-जाने के लिए करते हैं. इस बाइक की कीमत हलफनामे में 36 हजार रूपये दर्शायी गयी है.
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चुनाव प्रचार के लिए उनके पास कोई वाहन नहीं है. चुनाव प्रचार के लिए वह बाइक का इस्तेमाल नहीं कर सकते क्योंकि उसके पेट्रोल खर्च के लिए उनके पास पैसे नहीं है. आपको बता दें कि मांगेराम कश्यप डेली बेसिस पर कचहरी में काम करते है.
मांगेराम कहते हैं कि उन्हें पैदल ही चुनाव प्रचार करना पड़ता है इसका उन्हें कोई अफसोस नहीं. उनके सामने पत्नी और दो बच्चों की परवरिश का जिम्मा है. वह कहते है कि उन्हें ताज्जुब होता है कि चुनाव प्रत्याशी इतनी मोटी रकम आखिर कैसे चुनाव प्रचार पर खर्च कर देते है. इस पैसे का इस्तैमाल जरूरतमंदों की मदद के लिए किया जाये तब भी वोट मिल सकता है.
यह पूछे जाने पर कि संजीव बालियान और अजीत सिंह जैसे दिग्गज नेताओं के सामने वह खुद को कहां खड़ा पाते हैं, मांगेराम कहते है कि मुझे मालूम है कि मैं कहां हूं. लेकिन एक दिन जरूर ऐसा आयेगा जब जनता उनकी बात सुनेगी. इस चुनाव में भी बदलाव देखने को मिलेगा. वोटर जानते है कि मैं हमेशा से उनका मददगार रहा हूं. वह मुझे वोट जरूर करेगें.
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