नई दिल्ली: बिहार में महागठबंधन के सीटों का बंटवारा तो सही से हो गया लेकिन एक अलग ही समस्या खड़ी हो गई है. लालू प्रसाद यादव के परिवार में 'महाभारत' खुलकर सामने आ गई है. लालू के बड़े बेटे तेजप्रताप यादव ने बगावती तेवर दिखा दिए हैं. पार्टी से बगावत करते हुए तेजप्रताप ने पहले छात्र इकाई के संरक्षक के पद से इस्तीफा दे दिया. बाद में सीट बंटवारे को लेकर नाराजगी दिखाते हुए अपने पिता और मां के नाम से 'लालू-राबड़ी मोर्चा' बनाने का एलान कर दिया. तेजप्रताप से साफ किया है कि अगर शिवहर और जहानाबाद से उनके मनपसंद नेता को टिकट नहीं मिलता है उनका 'लालू-राबड़ी मोर्चा' 20 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारेगा.
तेजप्रताप की नाराजगी और बगावती तेवर के पीछे की वजह तीन चेहरे हैं. इन्हीं चेहरों की वजह से वह अपनी ही पार्टी में बगावत करने को तैयार हो गए. दरअसल तेजप्रताप चाहते हैं कि पार्टी युवाओं को टिकट दे. इसलिए वह अपने करीबी दोस्त चंद्र प्रकाश के लिए जहानाबाद से टिकट की मांग कर रहे थे. हालांकि राष्ट्रीय जनता दल ने जब अपने उम्मीदवारों के नाम की घोषणा की तो जहानाबाद सीट से सुरेंद्र यादव को टिकट दे दिया. वहीं तेज प्रताप एक अन्य सीट शिवहर से अंगेश को टिकट दिलवाना चाहते थे. इस सीट पर भी उनकी बात नहीं मानी गई और पार्टी ने शिवहर से अपने करीबी नेता के लिए सीट रिजर्व रखी है. दोनों जगहों से अपने पसंद के उम्मीदवारों को टिकट नहीं मिलने से तेजप्रताप खासा नाराज हुए.
उनकी नाराजगी की तीसरी और सबसे बड़ी वजह है सारण लोकसभा सीट है. इस सीट पर आरजेडी ने तेजप्रताप के ससुर चंद्रिका राय को टिकट दिया है. पार्टी के इस फैसले से तेजप्रताप सबसे ज्यादा नाराज हैं. पार्टी के इस फैसले के बाद ही उन्होंने कहा, ''सारण मेरे पिता लालू यादव और मां राबड़ी देवी की सीट है. मैं अपनी मां से हाथ जोड़कर आग्रह करता हूं कि वह खुद वहां से चुनावी मैदान में उतरें. अगर ऐसा नहीं होता है तो मैं एक निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर चुनाव लडूंगा और इसे जीतने की पूरी कोशिश करूंगा.'' उन्होंने यहां तक कह दिया कि वे खुद वहां से निर्दलीय चुनाव लड़ेंगे. साफ है कि चंद्र प्रकाश, सुरेंद्र यादव और चंद्रिका राय को टिकट मिलने की वजह से तेजप्रताप अपनी ही पार्टी के विरोध में खुलकर आ गए.
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