नई दिल्लीलोकसभा चुनाव में बिहार में नीतीश कुमार ने बीजेपी और एलजेपी के साथ मिलकर ऐतिहासिक जीत दर्ज की. राज्य की कुल 40 लोकसभा सीटों में से एनडीए ने 39 सीटों पर जीत दर्ज की. एनडीए की इस लहर में महागठबंधन के कई बड़े नेता चुनाव हार गए. आरजेडी की मीसा भारती, चंद्रिका राय, रघुवंश प्रसाद सिंह और शरद यादव के अलावा आरएलएसपी अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा और हम पार्टी के अध्यक्ष जीतन राम मांझी भी नहीं जीत सके. कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ रहे शत्रुघ्न सिन्हा भी अपनी सीट नहीं बचा सके.


बेगूसराय सीट पर बीजेपी के गिरिराज सिंह बाजी मार गए तो आरजेडी के तनवीर हसन तीसरे नंबर पर पहुंच गए. यहां कन्हैया कुमार दूसरे नंबर पर रहे. इसके अलावा सासाराम से कांग्रेस की सीनियर नेता मीरा कुमार, कटिहार से कांग्रेस के तारिक अनवर, सुपौल से कांग्रेस की रंजीत रंजन और गया से जीतन राम मांझी जैसे बड़े नेताओं को हार का मुंह देखना पड़ा. बिहार में एनडीए की जीत के पीछे की वजहें क्या रही हैं, यहां उसे टटोलने की कोशिश की गई है.


पिछले लोकसभा चुनाव में बिहार में बीजेपी ने 22 सीटें जीती थीं. इस बार वह 17 सीटों पर लड़ी. नीतीश कुमार के एनडीए में शामिल होने से बीजेपी को अपनी पांच सीटों के साथ समझौता करना पड़ा. जेडीयू को भी 17 सीटें दी गई. इतना ही नहीं बीजेपी ने पिछले चुनाव में जीती हुई पांच सीटें भी जेडीयू को दी. इसके अलावा एलजेपी को छह सीटें दी गई.


जानकार बताते हैं कि एनडीए की इस सफलता में नरेंद्र मोदी की छवि के साथ-साथ नीतीश कुमार की इमेज ने भी बड़ी भूमिका निभाई. नीतीश कुमार अपने सारे वोट एनडीए के लिए ट्रांसफर करवाने में कामयाब हुए, जिसका नतीजा ये हुआ कि अपने कोटे की 17 में से जेडीयू ने भी 16 सीटें हासिल कर ली. जैसे-जैसे नीतीश वोट ट्रांसफर करवाते चले गए महागठबंधन का सूपड़ा साफ होता चला गया. बीजेपी पहले से ही बिहार की सबसे बड़ी पार्टी थी.


पाटलिपुत्र


पाटलिपुत्र सीट पर बीजेपी के उम्मीदवार रामकृपाल यादव ने जीत दर्ज की और मीसा भारती एक बार फिर हार गईं. रामकृपाल यादव को 509557 वोट मिले, वहीं मीसा भारती को 470236 वोट मिले. रामकृपाल यादव की छवि साफ-सुथरी बताई जाती है. उन्होंने पीएम मोदी के काम के नाम पर वोट मांगे. वहीं मीसा भारती की पहचान थी कि वे लालू यादव की बेटी हैं, जिसे लोगों ने नकार दिया.


पटना साहिब


पटना साहिब सीट की बात करें तो पिछले दो चुनावों से यहां बीजेपी के शत्रुघ्न सिन्हा चुनाव जीतते आ रहे थे. लेकिन इस बार उनका टिकट गया और बीजेपी ने केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद को मैदान में उतारा. शत्रुघ्न सिन्हा कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ें. नतीजों में रविशंकर प्रसाद जीत गए, उन्हें 607506 वोट मिले. यानी तीसरी बार भी यहां बीजेपी का ही उम्मीदवार जीता. बिहार के उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी लगातार ये कहते दिखे कि शत्रुघ्न सिन्हा इसलिए जीतते थे क्योंकि वे बीजेपी के उम्मीदवार थे. अब उन्हें पता चल जाएगा. चुनाव के नतीजों के बाद सुशील मोदी की ये बात सच साबित हुई. शत्रुघ्न सिन्हा को 322849 वोट मिले.


मधेपुरा


इस बार मधेपुरा से आरजेडी के शरद यादव, जन अधिकार पार्टी के पप्पू यादव और जेडीयू के दिनेश चंद्र यादव उम्मीदवार थे. यहां से जेडीयू ने जीत दर्ज की, दिनेश चंद्र यादव को 624334 वोट मिले. दूसरे नंबर पर शरद यादव रहे जिन्हें 322807 वोट मिले. पिछली बार आरजेडी के पप्पू यादव ने यहां से जीत दर्ज की थी. वहीं जेडीयू के शरद पवार दूसरे और बीजेपी के कैंडिडेट तीसरे नंबर पर रहे थे. पप्पू यादव को 97631 वोट मिले. इस बार जब जेडीयू और बीजेपी का गठबंधन हुआ तो ये दो नंबर और तीन नंबर वाले वोट एक साथ आ गए और एनडीए ने जीत दर्ज कर ली.


सारण


एनडीए की लहर में सारण से बीजेपी के राजीव प्रताप रूडी एक बार फिर जीतने में कामयाब हो गए. रूडी को कुल 499342 वोट मिले. यहां लालू यादव के समधी चंद्रिका राय को आरजेडी ने मैदान में उतारा था लेकिन वे हार गए. चंद्रिका राय दूसरे स्थान पर रहे और उन्हें 360913 वोट मिले. जैसा कि बीजेपी ने पिछली बार भी ये सीट जीती थी ऐसे में एनडीए की लहर में दोबारा जीतने में उसे कोई परेशानी नहीं हुई. चंद्रिका राय को अपने दामाद तेजप्रताप यादव का विरोध भी झेलना पड़ा. तेजप्रताप ने उन्हें ‘बहरूपिया’ तक कह दिया था और लोगों से अपील की थी कि वे चंद्रिका राय को वोट न दें.


काराकाट और उजियारपुर


एनडीए का साथ छोड़ महागठबंधन का दामन थामने वाले आरएलएसपी अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा इस बार दो सीटों पर चुनाव लड़े लेकिन उन्हें दोनों सीटों पर हार का सामना करना पड़ा. पिछला लोकसभा चुनाव उन्होंने ‘मोदी लहर’ की मदद से काराकाट से जीता था लेकिन इस बार वहां की जनता ने उन्हें बाहर का रास्ता दिखा दिया. काराकाट से जेडीयू के महाबलि सिंह को 398408 वोट मिले और उन्होंने जीत दर्ज की. वहीं उपेंद्र कुशवाहा को 313866 वोट मिले. वहीं उजियारपुर सीट पर एक बार फिर बीजेपी के नित्यानंद राय ने जीत दर्ज की और कुशवाहा को यहां भी हार का सामना करना पड़ा. उजियारपुर सीट पर नित्यानंद राय को 543906 वोट मिले वहीं कुशवाहा को 266628 वोट मिले.


बेगूसराय


सबसे ज्यादा चर्चा में रही बेगूसराय सीट पर एक बार फिर बीजेपी ने कामयाबी हासिल की. पिछले चुनाव में दूसरे नंबर पर रहने वाली आरजेडी इस बार तीसरे नंबर पर चली गई. बीजेपी के गिरिराज सिंह ने यहां से जीत दर्ज की. गिरिराज सिंह को 692193 वोट मिले. दूसरे नंबर पर सीपीआई के कन्हैया कुमार रहे. कन्हैया कुमार ने आरजेडी के वोट में सेध लगाई और उन्हें 269976 वोट मिले. आरजेडी के तनवीर हसन को इस बात तीसरे नंबर से संतोष करना पड़ा. उन्हें 198233 वोट मिले. कहा जा रहा है कि बेगूसराय सीट पर कुर्मी और कुशवाहा वोटरों ने बीजेपी के पक्ष में वोट किया. इन्हें नीतीश कुमार का वोटर माना जाता है. इसके अलावा भूमिहार वोटरों ने गिरिराज सिंह को कन्हैया के मुकाबले ज्यादा वोट दिया.