लखनऊ: लोकसभा चुनाव की रणभेरी बजने के साथ ही सियासी लिहाज से सबसे महत्वपूर्ण राज्य उत्तर प्रदेश में राजनीतिक हलचलें तेज होना बस समय की बात है. आमतौर पर दिल्ली का गद्दीनशीं तय करने वाले इस सूबे में खासकर भाजपा की साख दांव पर होगी, वहीं सपा-बसपा गठबंधन के लिये भी यह चुनाव किसी लिटमस टेस्ट से कम नहीं होगा.


निर्वाचन आयोग द्वारा जारी कार्यक्रम के मुताबिक 80 लोकसभा सीटों वाले उत्तर प्रदेश में सात चरणों में लोकसभा चुनाव होगा. तेज गर्मी में हो रहे इस चुनाव में प्रदेश का सियासी पारा चरम पर पहुंचने की पूरी सम्भावना है.

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वर्ष 2014 में हुए लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने 71 और उसके सहयोगी अपना दल ने दो सीटें जीती थीं. खुद बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने इस बार 73 से ज्यादा सीटें जीतने का लक्ष्य तय किया है. ऐसे में बीजेपी की साख सबसे ज्यादा दांव पर है.

यह लोकसभा चुनाव सपा और बसपा गठबंधन के भविष्य को भी तय करेगा. कभी घोर प्रतिद्वंद्वी रहे सपा और बसपा ने अपने तमाम गिले-शिकवे भुलाकर इस चुनाव में बीजेपी को हराने के लिये हाथ मिलाया है.

प्रदेश के मुख्य निर्वाचन अधिकारी एम. वेंकटेश्वर लू ने रविवार को बताया कि प्रदेश में सात चरणों में चुनाव होंगे. इसके तहत 11, 18, 23 और 29 अप्रैल और 6, 12 और 19 मई को मतदान होगा. मतों की गिनती 23 मई को होगी. चुनाव की तारीखों की घोषणा के साथ ही प्रदेश में आदर्श आचार संहिता भी लागू हो गयी है.

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उन्होंने बताया कि प्रदेश में 7.79 करोड़ पुरुष, 6.61 करोड़ महिला और 8374 अन्य समेत 14.4 करोड़ मतदाता हैं. मतदान के लिये कुल 91709 मतदान केन्द्र बनाये जाएंगे.

लू ने बताया कि लोकसभा चुनाव के साथ ही निघासन विधानसभा का उपचुनाव भी कराया जाएगा.

वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में मौजूदा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी समेत भाजपा के 71 सांसद जीते थे. इसके अलावा सपा को पांच और कांग्रेस को दो सीटें मिली थीं. वहीं, बसपा का खाता भी नहीं खुल सका था.