कानपुर: बहुजन समाज पार्टी का फर्रुखाबाद लोकसभा सीट पर कभी खाता नहीं खुला है. सपा-बसपा गठबंधन होने फर्रुखाबाद लोकसभा सीट बसपा के खाते में गई है. 2019 लोकसभा चुनाव में सपा-बसपा गठबंधन होने के बाद फर्रुखाबाद में बसपा मजबूत स्थिति में है. बसपा सुप्रीमो मायावती को भी पूरा यकीन है कि फर्रुखाबाद लोकसभा सीट जीत का खाता खुलेगा. फर्रुखाबाद में अपनी स्थिति को मजबूत करने के लिए मायावती विशाल जनसभा को संबोधित कर माहौल बनाएंगी. वही कांग्रेस ने पूर्व केंद्रीय मंत्री सलमान खुर्शीद पर मैदान में उतारा है. बीजेपी ने वर्तमान सांसद मुकेश राजपूत को दोबारा कैंडिडेट बनाया है.


फर्रुखाबाद की समस्या


फर्रुखाबाद क्षेत्रफल की दृष्टि से छोटा जनपद है. आलू की फसल यहां की मुख्य फसल है किसान पूरी तरह से आलू की फसल पर ही निर्भर हैं. बीते तीन वर्षो में आलू की इतनी ज्यादा पैदावार हुई है कि किसान के लिए सिरदर्द बन गई. किसानों का आलू उनके घर पर ही सड़ने लगा, आलू के सही दाम नहीं मिलने पर किसानों ने आलू को बर्बाद कर दिया. कोल्ड स्टोर में आलू रखने की जगह नहीं थी इस दिशा में सरकारों ने भी ध्यान नहीं दिया. इस बात को लेकर फर्रुखाबाद का किसान नाराज हैं. फर्रुखाबाद में बिजली समस्या और क्षेत्र का विकास सबसे बड़ी समस्या है. किसानों की इन समस्याओं को सभी दलों के नेताओं ने नजरंदाज किया है.


फर्रुखाबाद लोकसभा सीट पर वोट पर्सेंटेज


फर्रुखाबाद लोकसभा सीट में 5 विधानसभा सीटें आती है. फर्रुखाबाद विधानसभा सीट, कायमगंज विधानसभा सीट, अमृतपुर विधानसभा सीट, अलीगंज विधानसभा सीट और भोजपुर विधानसभा सीट. कायमगंज विधानसभा सीट सुरक्षित सीट है, इस सीट पर एससी वोटरों की संख्या सबसे अधिक है. फर्रुखाबाद लोकसभा सीट में वोटरों की संख्या 16,89,299 है जिसमें वोटरों की संख्या 9,19,362 और महिला वोटरों की संख्या 7,69,161 है. जिसमें क्षत्रिय मतदाताओं की संख्या 1,84,270 है. शाक्य मतदाताओं की संख्या 1,38,600 है, लोधी वोटरों की संख्या 2,75,200 है, यादव वोटर 2,18,480, मुस्लिम वोटरों की संख्या 1,74,000 है, ब्राह्मण मतदातओं की संख्या 1,50,260 है, कुर्मी वोटरों की संख्या 1,03,021 है, वैश्य वोटर 87,130 ,जाटव वोटरों की संख्या 98,250 है. इसके साथ ही अन्य वोटरों की संख्या 2,60,088 है.


फर्रुखाबाद की साक्षरता दर 72 फीसदी है. दरअसल फर्रुखाबाद की राजनीति जातिगत आकड़ों पर निर्भर करती है. फर्रुखाबाद में क्षत्रिय वोटर सबसे ज्यादा है, इसके बाद शाक्य वोटर आते हैं. यही वोटर प्रत्याशियों के भाग्य का फैसला करते हैं.


2014 के लोकसभा चुनाव में 16,13,781 मतदाताओं ने हिस्सा लिया था. जिसमें 55 फीसदी पुरुषों और 44 फीसदी महिलाओं की मतदान में वोटिंग की थी. फर्रुखाबाद देश के 250 पिछड़े क्षेत्रों में होने की वजह से पिछड़ा क्षेत्र अनुदान निधि के तहत विशेष सहायता राशि भी मिलती है. इस क्षेत्र में 79.05 प्रतिशत हिन्दू आबादी है और 20.05 प्रतिशत मुस्लिम आबादी है.


पार्टियां और उम्मीदवार


फर्रुखाबाद लोकसभा सीट से बीजेपी ने मुकेश राजपूत पर एक बार फिर से भरोसा जताया है. मुकेश राजपूत ने 2014 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी को जीत दिलाई थी. बीजेपी के 2019 के लोकसभा चुनाव में उन्हें कैंडिडेट बनाया है. मुकेश राजपूत की क्षत्रिय वोटरों में जबर्दस्त पकड़ है. कांग्रेस पार्टी ने पूर्व केंद्रीयमंत्री सलमान खुर्शीद पर भरोसा जताया है. फर्रुखाबाद लोकसभा सीट यूपी वेस्ट प्रभारी ज्योतिरादित्य सिंधिया के पास है. ज्योतिरादित्य सिंधिया सलमान खुर्शीद के समर्थन में रोड शो और जनसभा भी करेंगे. सपा-बसपा गठबंधन में फर्रुखाबाद लोकसभा सीट बसपा सुप्रीमो के खाते में गई है. फर्रुखाबाद लोकसभा सीट पर बसपा का खाता नहीं खुला है. बसपा ने फर्रुखाबाद लोकसभा सीट से मनोज अग्रवाल को प्रत्याशी बनाया है. सपा-बसपा गठबंधन होने के बाद मुकेश अग्रवाल सबसे मजबूत स्थिति में है. बसपा सुप्रीमों मायावती खुद मनोज अग्रवाल के समर्थन में रैली करेंगी. बसपा किसी भी हालत में ये सीट जीत कर फर्रुखाबाद में जीत का खाता खोलना चाहती है.


बीजेपी ने मुकेश राजपूत को एक फिर से 209 लोकसभा चुनाव में कैंडिडेट बनाया है. मुकेश राजपूत ने 2014 के लोकसभा चुनाव में 1,50,502 वोटों से जीत दर्ज की थी. मुकेश राजपूत की ये जीत मोदी लहर में हुई थी. 2019 के लोकसभा चुनाव में उनकी सीधी टक्कर सपा-बसपा गठबंधन और कांग्रेस के सलमान खुर्शीद से है. मुकेश राजपूत ने अपनी सांसद निधि की 25 करोड़ रूपए से 22.5 करोड़ रूपए क्षेत्र के विकास में खर्च किए है. जिसमें से रेलवे लाइन के ऊपर से 4 ओवर ब्रिज मंजूर कराए थे. जिसमें से 2 ब्रिज का शिलान्यास डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मोर्य ने किया था. लेकिन 2 ब्रिजों का काम अभी भी धरातल पर नहीं उतारा है. जनता के बीच सांसद के खिलाफ नाराजगी भी है.


कांग्रेस पार्टी ने फर्रुखाबाद से अपने सबसे कद्दावर नेता पूर्व केंद्रीय मंत्री सलमान खुर्शीद को मैदान में उतारा है. सलमान खुर्शीद की मुस्लिम वोटरों में बहुत अच्छी पकड़ है. सलमान खुर्शीद फर्रुखाबाद लोकसभा सीट से दो बार सांसद रह चुके है. 1991 में वो पहली बार फर्रुखाबाद से सांसद बने थे, इसके बाद 2009 में उन्होंने भी जीत दर्ज करके यूपीए सरकार में केंद्रीय मंत्री बने थे. सलमान खुर्शीद को भरोसा है कि 2019 के लोकसभा चुनाव में फर्रुखाबाद की जनता उनके साथ है.


सपा-बसपा गठबंधन में फर्रुखाबाद लोकसभा सीट बसपा के खाते में गई है. बसपा का इस सीट पर खाता नहीं खुला है. बसपा ने मनोज अग्रवाल को प्रत्याशी बनाया है. सपा-बसपा गठबंधन होने के बाद मनोज अग्रवाल सबसे मजबूत प्रत्याशियों में है. मनोज अग्रवाल की वैश्य वोटरों के साथ ही ब्राह्मण वोटरों और अनुसूचित जाति के वोटरों में जबर्दस्त पकड़ है. मनोज अग्रवाल अपनी जीत का दावा भी करने लगे हैं.


2014 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी के मुकेश राजपूत ने सपा के रामेश्वर सिंह यादव को 1,50,502 वोटों से हराया था. मुकेश राजपूत को 4,06,195 वोट हासिल हुए थे. सपा के रामेश्वर सिंह यादव को 2,55,693 वोट मिले थे. बसपा के जयवीर सिंह को 1,14,521 वोट मिले थे. कांग्रेस के सलमान खुर्शीद चौथे नंबर रहे थे उन्हें 95,543 वोट मिले थे.


फर्रुखाबाद लोकसभा सीट का इतिहास
-1957 में कांग्रेस के मूल चन्द्र फर्रुखाबाद के सांसद बने थे.
-1967 में कांग्रेस के ए सी सिंह सांसद बने थे.
-1971 में कांग्रेस के अवधेष चंद्र सिंह सांसद बने थे.
-1977 में भारतीय लोक दल के दया राम शाक्य सांसद बने थे.
-1980 में जनता पार्टी से दया राम शाक्य सांसद बने थे.
-1984 में कांग्रेस के खुर्शीद आलम खान सांसद बने थे.
-1989 में जनता दल के संतोष भारतीय सांसद बने थे.
-1991 में कांग्रेस के सलमान खुर्शीद सांसद बने थे.
-1996 में बीजेपी के स्वामी सच्चिदानंद साक्षी सांसद बने थे.
-1998 में बीजेपी के स्वामी सच्चिदानंद साक्षी दोबारा फिर से सांसद बने थे.
-1999 में सपा ने अपना खाता खोला था चंद्र भूषण सिंह सांसद बने थे.
-2004 में सपा के चंद्र भूषण सिंह फिर से सांसद बने थे.
-2009 में कांग्रेस के सलमान खुर्शीद सांसद बने थे.
-2018 में बीजेपी के मुकेश राजपूत ने जीत दर्ज की थी.