लोकसभा चुनाव: वाराणसी के साथ कांग्रेस ने गोरखपुर सीट पर भी की उम्मीदवार की घोषणा, वकील मधुसूदन त्रिपाठी को टिकट
बता दें कि मधुसूदन त्रिपाठी 39 साल से वकालत के पेशे से जुड़े हुए हैं. उन्होंने साल 1980 में वकालत शुरू की थी. उनकी गिनती शहर के नामी क्रिमिनल लॉयर के रूप में होती है. वे यूपी बार काउंसिल के मेंबर और गोरखपुर सिविल कोर्ट बार एसोसिएशन के तीन बार अध्यक्ष रह चुके हैं.
गोरखपुरः कांग्रेस ने लंबे इंतजार के बाद वारणसी और गोरखुपर सीट पर उम्मीदवारों का एलान कर दिया. पार्टी की ओर से जारी उम्मीदवारों की सूची के मुताबिक, वाराणसी से अजय राय और गोरखपुर से मधुसूदन तिवारी को उम्मीदवार बनाया गया है. कांग्रेस शीर्ष नेतृत्व ने गुरुवार को वरिष्ठ वकील मधुसूदन त्रिपाठी के नाम की घोषणा कर इस सीट पर संशय खत्म कर दिया. मधुसूदन त्रिपाठी क्रिमिनल केस के जाने-माने अधिवक्ताओं में शुमार हैं. वे यूपी बार काउंसिल के मेंबर होने के साथ तीन बार सिविल कोर्ट गोरखपुर के अध्यक्ष रह चुके हैं.
सातवें और अंतिम चरण में 19 मई को होने वाले चुनाव के लिए गोरखपुर में 22 से 29 अप्रैल तक नामांकन होना है. नामांकन शुरू होने के बावजूद कांग्रेस से टिकट की घोषणा नहीं होने के कारण लोगों के बीच इस बात को लेकर संशय रहा है कि अब गोरखपुर से कांग्रेस किसी प्रत्याशी को मैदान में उतारती है कि नहीं उतारती है. लेकिन, कांग्रेस ने इस सीट पर प्रत्याशी की घोषणा कर इस संशय को खत्म कर दिया है. 1980 से वकालत के पेशे से जुड़े वरिष्ठ अधिवक्ता मधुसूदन त्रिपाठी को कांग्रेस ने टिकट दिया है. कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव और पूर्वांचल के सह प्रभारी सचिन नाइक ने उन्हें फूलों की माला पहनाकर उनका स्वागत किया.इस अवसर पर महानगर अध्यक्ष अरुण अग्रहरि, जिलाध्यक्ष राकेश यादव और कांग्रेस के अन्य पदाधिकारी और कार्यकर्ता उपस्थित रहे. मधुसूदन त्रिपाठी 39 साल से वकालत के पेशे से जुड़े हुए हैं. उन्होंने साल 1980 में वकालत शुरू की थी. उनकी गिनती शहर के नामी क्रिमिनल लॉयर के रूप में होती है. वे यूपी बार काउंसिल के मेंबर और गोरखपुर सिविल कोर्ट बार एसोसिएशन के तीन बार अध्यक्ष रह चुके हैं. उनकी उम्र 65 साल है. उनके दो पुत्र हैं. उनके बड़े पुत्र मुंसफ मजिस्ट्रेट और दूसरे पुत्र दिल्ली में सीए हैं. पत्नी गृहणी हैं.
मंदिर और सीएम योगी आदित्यनाथ की सीट होने के कारण सभी पार्टियों में प्रत्याशी के नाम को लेकर संशय बना हुआ था. भाजपा, गठबंधन और कांग्रेस भी प्रत्याशी के नाम को लेकर संशय में रही है. ऐसे में प्रत्याशी की घोषणा करना भाजपा के लिए भी मुश्किल पैदा कर रहा था. क्योंकि उपचुनाव में सपा प्रत्याशी प्रवीण निषाद की जीत के बाद से ही ये सीट भाजपा के हाथ से निकल गई थी. आखिरकार काफी मंथन के बाद शीर्ष नेतृत्व ने भाजपा से फिल्म अभिनेता रविकिशन को उम्मीदवार घोषित कर संशय खत्म कर दिया. वहीं गठबंधन में सपा के खाते में गई सीट से रामभुआल निषाद को मैदान में उतार कर इस सीट पर उहापोह खत्म हो गया.
गोरखपुर संसदीय सीट का इतिहास
आजादी के बाद साल 1952 के लोकसभा चुनाव में गोरखपुर लोकसभा सीट अस्तित्व में आई. इस सीट पर साल 1967 तक कांग्रेस का कब्जा रहा. 1967 के लोकसभा चुनाव में महंत दिग्विजयनाथ ने निर्दल चुनाव जीतकर सीट पर कब्जा जमाया. उनके निधन के बाद हुए उपचुनाव में महंत अवेद्यनाथ ने चुनाव में जीत हासिल कर 1971 तक सांसद रहे. उसके बाद 1971 से 77 तक कांग्रेस के टिकट पर नरसिंह नारायण पाण्डेय सांसद रहे. 1980 से 89 तक भारतीय लोकदल और कांग्रेस आई से हरिकेश बहादुर सांसद बने. 1984 से 89 तक कांग्रेस के मदन पाण्डेय सांसद बने. उसके बाद साल 1989 से 98 तक महंत अवेद्यनाथ इस सीट से लगतार तीन बार जीत कर संसद तक पहुंचे.
2014 के लोकसभा चुनाव में ये था रिजल्ट
गोरखपुर लोकसभा सीट उत्तर प्रदेश में आती है जो कि पूर्वांचल इलाके में आता है. 2014 के लोकसभा चुनाव में इस सीट से भारतीय जनता पार्टी के आदित्यनाथ ने 5 लाख 39 हजार 127 वोट हासिल किये थे और 3 लाख 12 हजार 783 वोटों के भारी अंतर से जीत दर्ज की थी. गोरखपुर लोकसभा सीट पर दूसरे स्थान पर समाजवादी पार्टी के राजमति निषाद रहे थे जिन्होंने 2 लाख 26 हजार 344 वोट हासिल किये थे. बहुजन समाज पार्टी के राम निषाद 1 लाख 76 हजार 412 वोट पाकर तीसरे तो कांग्रेस पार्टी के अस्तबुजा प्रसाद त्रिपाठी 45 हजार 719 वोट पाकर चौथें स्थान पर रहे थे.
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