लखनऊ: लोकसभा चुनाव में बीजेपी को टक्कर देने के लिए विपक्षी दलों के महागठबंधन की संभावनाओं को झटका लगा है. बसपा ने मंगलवार को साफ कर दिया कि वह 11 अप्रैल से शुरू हो रहे चुनाव में कांग्रेस के साथ किसी भी राज्य में गठबंधन नहीं करेगी.


मायावती के बयान पर कड़ी प्रतिक्रिया जाहिर करते हुए कांग्रेस की उत्तर प्रदेश इकाई के एक प्रवक्ता ने कहा, ‘‘हमें उनकी जरूरत नहीं है.’’


मायावती ने कहा, 'ये बात पुन: स्पष्ट की जा रही है कि बहुजन समाज पार्टी किसी भी राज्य में कांग्रेस के साथ गठबंधन नहीं करेगी.'


बसपा सुप्रीमो की टिप्पणी ऐसे दिन आई, जब कांग्रेस की शीर्ष नीति निर्धारक इकाई कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक अहमदाबाद में चल रही है.


सपा के साथ उत्तर प्रदेश में चुनाव पूर्व गठबंधन का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि बसपा-सपा का गठबंधन दोनों ओर से परस्पर सम्मान व पूरी नेक नीयति के साथ काम कर रहा है. यह 'परफेक्ट अलायंस’ माना जा रहा है जो सामाजिक परिवर्तन की जरूरतों को पूरा करता है और बीजेपी को पराजित करने की क्षमता भी रखता है और देशहित में यह आज की आवश्यकता है.


बता दें कि सपा-बसपा ने हाल ही में उत्तर प्रदेश में गठजोड़ किया है. कांग्रेस को इससे बाहर रखा गया. हालांकि, सपा-बसपा ने तय किया कि वे रायबरेली और अमेठी से अपने उम्मीदवार नहीं उतारेंगे. अमेठी से इस समय कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी और रायबरेली से उनकी मां सोनिया गांधी लोकसभा सांसद हैं.


कांग्रेस की प्रदेश इकाई के प्रवक्ता राजीव बख्शी ने कहा कि यह मायावती को नहीं तय करना कि कांग्रेस उनकी पार्टी के साथ गठबंधन चाहती है कि नहीं.


उन्होंने कहा, ‘‘उनके पास संसद में एक भी सीट नहीं है. फिर वह कैसे तय कर सकती हैं कि कांग्रेस गठबंधन करेगी कि नहीं?’’


बख्शी ने कहा, ‘‘हम अकेले चुनाव लड़ रहे हैं और गठबंधन नहीं चाहते. हमें उनकी जरूरत नहीं है.’’


उन्होंने कहा, ‘‘कांग्रेस के बारे में बोलने की बजाय उन्होंने सपा से अपने गठबंधन पर काम करने की जरूरत है, जो टूट रहा है. 15-20 दिन रुकिए और फिर देखिए कि चीजें कैसे आगे बढ़ती हैं.’’


बख्शी ने कहा कि कांग्रेस में किसी भी स्तर पर बसपा से गठबंधन की कोई चर्चा नहीं हुई.


बसपा की तरफ इशारा करते हुए उन्होंने कहा, ‘‘वे बेसब्र हैं.’’


मायावती की टिप्पणी के बारे में पूछे जाने पर कांग्रेस के पश्चिमी उत्तर प्रदेश मामलों के प्रभारी महासचिव ज्योतिरादित्य सिंधिया ने एक न्यूज चैनल से कहा, ‘‘हम हर पार्टी की राय का सम्मान करते हैं. हम इस राय का भी सम्मान करते हैं.’’


इससे पहले, उन्होंने कहा था कि कांग्रेस उत्तर प्रदेश में अपने दम पर चुनाव लड़ेगी. उन्होंने कहा कि उनकी राह सपा और बसपा से अलग हो सकती है, लेकिन उनका मकसद एक ही है.


प्रदेश की 80 लोकसभा सीटों में से सपा 37 पर और बसपा 38 पर चुनाव लड़ेगी. तीन सीटें अजित सिंह के नेतृत्व वाली रालोद के लिए छोडी गयी हैं.


बसपा पश्चिमी उत्तर प्रदेश की सहारनपुर, बिजनौर, नगीना, अमरोहा, मेरठ, गौतम बुद्ध नगर, बुलंदशहर, अलीगढ, आगरा और फतेहपुर सीटों पर प्रत्याशी उतार रही है.


वह आंवला, शाहजहांपुर, धौरहडा, सीतापुर, मिश्रिख, मोहनलालगंज, सुल्तानपुर, प्रतापगढ, फर्रूखाबाद, अकबरपुर, जालौन, हमीरपुर, फतेहपुर, आंबेडकरनगर, कैसरगंज, श्रावस्ती, डुमरियागंज, बस्ती, संत कबीर नगर, देवरिया, बांसगांव, लालगंज, घोसी, सलेमपुर, जौनपुर, मछलीशहर, गाजीपुर और भदोही से भी उम्मीदवार उतारेगी.


उत्तर प्रदेश को छोड़ बाकी अन्य विभिन्न राज्यों के पार्टी नेताओं को नई दिल्ली में संबोधित करते हुए मायावती ने कहा कि बसपा से चुनावी गठबंधन के लिए कई पार्टियां काफी आतुर हैं, लेकिन थोड़े से चुनावी लाभ के लिए हमें ऐसा कोई काम नहीं करना है जो पार्टी मूवमेन्ट के हित में बेहतर नहीं है.


उधर मायावती की टिप्पणी ऐसे दिन आई है, जब आयकर विभाग ने मंगलवार को ही उनके पूर्व सचिव और सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी नेतराम के दिल्ली और लखनऊ परिसरों में छापा मारकर तलाशी ली. यह छापेमारी कथित कर चोरी के मामले में की गई है.


वर्ष 1979 बैच के उत्तर प्रदेश काडर के अधिकारी नेतराम ने मायावती के मुख्यमंत्री काल में कई शीर्ष पदों पर काम किया. अब सेवानिवृत्त हो चुके नेतराम वर्ष 2002-03 में मायावती के सचिव भी रहे.


यह छापेमारी 90 करोड़ रुपये मूल्य के फर्जी लेनदेन या कारोबार में कथित कर चोरी के मामले में की गई है.


यह छापेमारी नोटबंदी के बाद बैंक में जमा करायी नकदी के मामले से संबंधित हो सकती है.


नेतराम उत्तर प्रदेश में आबकारी, चीनी उद्योग और गन्ना विभाग, स्टांप एवं पंजीकरण, खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति विभाग जैसे प्रमुखों के पद पर रहे.