लोकसभा चुनाव 2019: बदल सकता है SP-BSP गठबंधन का समीकरण, सीटें खिसकने से नाराज कई नेता बीजेपी-कांग्रेस के सम्पर्क में
2019 के लोकसभा चुनाव में सपा और बसपा गठबंधन के साथ उतर रही है, बसपा 38 जबकि सपा 37 सीटों पर ताल ठोक रही है. लेकिन सीट शेयरिंग के बाद कई नेताओं के चुनाव लड़ने के मंसूबे पर पानी फिर गया है. पांच साल तक चुनाव लड़ने की तैयारी करने के बाद अब उनका पत्ता कट रहा है.
नई दिल्ली: 2019 के लोकसभा चुनाव में यूपी में महागठबंधन बन जाने के बाद सपा और बसपा के कई नेता बीजेपी और कांग्रेस की तरफ उम्मीद लगाए हुए हैं. बीजेपी और कांग्रेस भी इन जिताऊ नेताओं की कुंडली खगाल रही है. यानी लोकसभा चुनाव में यूपी में ऐसे दल बदलू नेता प्रभावी हो सकते हैं.
2019 के लोकसभा चुनाव में सपा और बसपा गठबंधन के साथ उतर रही है, बसपा 38 जबकि सपा 37 सीटों पर ताल ठोक रही है. लेकिन सीट शेयरिंग के बाद कई नेताओं के चुनाव लड़ने के मंसूबे पर पानी फिर गया है. पांच साल तक चुनाव लड़ने की तैयारी करने के बाद अब उनका पत्ता कट रहा है. इसको ऐसे समझते हैं की अगर 38 सीटों पर बसपा लड़ रही है तो 42 सीट पर तैयारी कर रहे बसपाई अब क्या करेगें. इसी तरह अखिलेश की पार्टी जिन 43 सीट पर नहीं लड़ रही है, ऐसे सपा के चुनाव लड़ने की हसरत रखने वाले नेता अब क्या करेगें और अगर वो विद्रोही हुए तो गठबंधन की मुसीबत बढ़ सकती है.
यूपी की राजनीति को क़रीब से जानने वाले वरिष्ठ पत्रकार योगेश मिश्रा के मुताबिक़ कई सपाई और बसपाई अपनी सीट गंवाने के बाद बीजेपी और कांग्रेस की तरफ जा सकते हैं , और कई पार्टी के खिलाफ निर्दलीय भी हैं.
यूपी की राजनीति में ये कोई नई चीज़ नहीं है, विधानसभा चुनाव से पहले बसपा का दामन छोड़कर स्वामी प्रसाद मौर्या, ब्रजेश पाठक बीजेपी से मंत्री है, रीता बहुगुणा जोशी कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में आ गयीं थी. यूपी में सत्तधारी पार्टी बीजेपी क्या हुयी, अशोक बाजपेयी, यशवंत सिंह और बुक्कल नवाब ने बीजेपी का दामन थाम लिया. इस लिहाज़ से सपा और बसपा से नाराज़ दल बदलुओं की पहली पसंद बीजेपी है. माना जा रहा है की करीब तीस सांसदों की टिकट काटेगी ऐसे में वो भी ऐसे नेताओं पर निगाह लगाए हुए हैं.
बीजेपी प्रवक्ता नवीन श्रीवास्तव कहते हैं की बीजेपी के पास प्रत्याशियों की कमी नहीं क्योंकि हम कैडर बेस पार्टी हैं, लेकिन तमाम दल के लोग हमारी नीतियों और पीएम मोदी और सीएम योगी की कार्यशैली से प्रभावित हैं और उनका रुझान बीजेपी पर है.
प्रियंका के राजनीति में आने से न सिर्फ कांग्रेस का उत्साह बढ़ा है बल्कि कांग्रेस का सियासी पारा भी बढ़ गया है. कांग्रेस ने एलान किया है की सभी सीटों पर अपने दम पर चुनाव लड़ेगी, जिसके बाद ऐसे सपा और बसपा के नेता जिनकी सीट छीन ली गयी है वो कांग्रेस की तरफ भी टकतकी लगाए हैं. ऐसे नेता जिनका अपना जनाधार है या जिनके पास पचास हजार से एक लाख वोट हैं वो बाकायदा राजबब्बर और नसीमुद्दीन सिद्दीकी के जरिये प्रियंका और ज्योतिरादित्य तक अपनी अर्जी पहुंचा रहे हैं. छोटे दाल भी इस गठबंधन की सीट शेयरिंग से नाराज हैं अभी कुछ दिन पहले पीस पार्टी के डॉ अयूब सपा से नाराज़ होकर प्रियंका से मिलने दिल्ली पहुंच गए थे.
कांग्रेस प्रवक्ता अखिलेश प्रताप सिंह ने कहा, ''हमारे पास लड़ने वाले प्रत्याशियों की कमी नहीं है, लेकिन कई अन्य दल के लोग भी हमारी तरफ़ देख रहे हैं जिनका फ़ैसला केंद्र नेतृत्व करेगा.''
जिन नेताओं के पास अपना जनाधार है और वो पचीस हजार से एक लाख वोट तक पकड़ रखते हैं, उनकी सीट बदल जाने के बाद सपा बसपा उनको मनाने में जुटी है. लेकिन कई नेता अब बीजेपी और कांग्रेस से संपर्क में हैं. हालांकि सपा प्रवक्ता सुनील सिंह साजन का कहना है कि जो लोग पार्टी की विचारधारा से जुड़े हैं वो किसी और पार्टी से सम्पर्क में नहीं जायगें, हालांकि वो मानते हैं की कांग्रेस और बीजेपी ऐसे नेताओं नज़ार जरूर गड़ायेगी.