लखनऊ: अखिलेश यादव के कुछ क़रीबी नेता चाहते हैं कि रायबरेली और अमेठी से भी गठबंधन चुनाव लड़े. यही राय मायावती की पार्टी बीएसपी के भी कुछ नेताओं की है. आम चुनाव के लिए यूपी में एसपी और बीएसपी ने बीजेपी के ख़िलाफ़ मिल कर चुनाव लड़ने का फ़ैसला किया है. समाजवादी पार्टी 37 और बीएसपी 38 सीटों पर लड़ेगी. चौधरी अजीत सिंह की पार्टी आरएलडी भी इस गठबंधन में शामिल है. उसके लिए 3 सीटें छोड़ी गई हैं.


मीडिया में बार-बार कांग्रेस से समझौते की ख़बरों से गठबंधन के नेता बेहद नाराज़ हैं. उन्हें लगता है दिल्ली के कुछ कांग्रेसी नेता जान बूझ कर ऐसी अफ़वाहें फैला रहे हैं. समाजवादी पार्टी के एक सांसद ने कहा कि गठबंधन से कांग्रेस डर गई है. इसीलिए ऐसी भ्रामक ख़बरें रची जा रही हैं. जिससे ये संदेश जाये कि एसपी और बीएसपी के नेता कांग्रेस से गठबंधन को बेताब हैं. पिछले दो दिनों से मीडिया के एक वर्ग में ये बताया जा रहा है कि गठबंधन कांग्रेस के लिए 9 सीटें छोड़ने को तैयार हैं.


पिछले दो आम चुनावों से समाजवादी पार्टी रायबरेली और अमेठी में चुनाव नहीं लड़ रही है. बीएसपी ने हमेशा ही दोनों सीटों पर उम्मीदवार उतारे हैं. इस बार तो दोनों ही पार्टियों ने गठबंधन के बाद रायबरेली और अमेठी की सीटें कांग्रेस के लिए छोड़ दी हैं. रायबरेली से सोनिया गॉंधी और अमेठी से कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी लोकसभा सांसद हैं. इस बार ये तय नहीं हो पाया है कि रायबरेली से सोनिया लड़ेंगी या फिर प्रियंका. प्रियंका गांधी वाड्रा को महासचिव और यूपी के पूर्वांचल का प्रभारी बनाए जाने से कांग्रेस के नेता गदगद हैं.


इसी महीने एसपी और बीएसपी के दो पूर्व सांसद कांग्रेस पार्टी में शामिल हो गए हैं. दोनों नेताओं ने दिल्ली में राहुल गांधी और प्रियंका गांधी वाड्रा से मुलाक़ात की. कौसर जहां सीतापुर से बीएसपी की सांसद रह चुकी हैं . जबकि राकेश सचान फ़तेहपुर से समाजवादी पार्टी के एमपी रह चुके हैं. कहा जा रहा है कि दोनों नेताओं को कांग्रेस की टिकट पर लोकसभा चुनाव लड़ाया जायेगा. पार्टी के नेताओं का एक गुट बीजेपी के साथ साथ एसपी बीएसपी से भी आर पार की लड़ाई के मूड में है. वहीं नेताओं का एक खेमा गठबंधन की जुगाड़ में है. लेकिन इसकी गुंजाइश बहुत कम है.


न तो अखिलेश यादव और न ही मायावती किसी सूरत में कांग्रेस से गठबंधन को तैयार हैं. दोनों ही पार्टियों की राय है कि कांग्रेस भरोसेमंद साथी नहीं है. वैसे भी पिछले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस से समझौते का अनुभव एसपी के लिए अच्छा नहीं था. पिछले लोकसभा चुनाव में यूपी में एसपी को 5 और कांग्रेस को 2 सीटें मिली थीं. जबकि बीएसपी का खाता तक नहीं खुल पाया था.