लखनऊ: बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की सुप्रीमो मायावती ने मंगलवार को सपा और बसपा कार्यकर्ताओं से सभी मतभेद भुलाकर आगामी लोकसभा चुनाव में इन पार्टियों के गठबंधन के प्रत्याशियों को जिताने की अपील की. मायावती ने कहा कि सपा बसपा प्रत्याशियों की जीत ही उनके लिए जन्मदिन का तोहफा होगी.


मायावती ने अपने 63वें जन्मदिन पर मंगलवार को भाजपा और कांग्रेस पर ताबड़तोड़ हमला बोलते हुए हर मुद्दा उठाया. उन्होंने कांग्रेस पर कर्जमाफी के खिलाफ निशाना साधते हुये कहा कि गरीब किसानों के लिए कर्जमाफी की योजना बेकार है. उन्होंने मुसलमानों के लिये भी आर्थिक आरक्षण की मांग की. इसके अलावा कुछ स्थानों पर उन्होंने जुमे की नमाज पढ़ने का मुद्दा भी उठाया.


संवाददाता सम्मेलन के बाद समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव भी मायावती के आवास पर पहुंचे और उन्हें फूलों का गुलदस्ता भेंट कर जन्मदिन की बधाई दी. इससे पहले संवाददाता सम्मेलन में बसपा नेता ने सपा नेता अखिलेश यादव के खिलाफ सीबीआई का इस्तेमाल किये जाने की भी निंदा की.


मायावती ने मंगलवार को अपने जन्मदिवस पर संवाददाता सम्मेलन में सपा और बसपा कार्यकर्ताओं से अपील की कि वे पुराने मतभेद भुला दें और अगले लोकसभा चुनाव में सपा और बसपा के प्रत्याशियों की जीत सुनिश्चित करें. यही उनके लिए जन्मदिन का सबसे बड़ा तोहफा होगा.


मायावती ने कहा, '12 जनवरी को हमारी पार्टी ने समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन करके लोकसभा चुनाव लड़ने का फैसला किया है. इससे भाजपा की नींद उड़ी हुई है. देश का सबसे बड़ा राज्य होने के लिहाज से उत्तर प्रदेश काफी मायने रखता है. उत्तर प्रदेश ही तय करता है कि केंद्र में किसकी सरकार बनेगी और अगला प्रधानमंत्री कौन होगा.'


मायावती ने इस मौके पर कांग्रेस पर भी हमला बोला. उन्होंने कहा कि हालिया विधानसभा चुनाव के नतीजों से भाजपा ही नहीं, कांग्रेस को भी सबक लेने की जरूरत है. उन्होंने कहा, 'लोकलुभावन और झूठे वादे करके किसी भी पार्टी की दाल ज्यादा दिन तक गलने वाली नहीं है. तीन राज्यों में बनी कांग्रेस की सरकार की कर्जमाफी की योजना पर भी अब उंगलियां उठ रही हैं. कांग्रेस सरकार ने किसानों को धोखा दिया है. उन्होंने सरकार बनने के बाद सिर्फ दो लाख रुपये वाला कर्ज़ ही माफ किया है.'


उन्होंने कहा, ज्यादातर किसान साहूकार से कर्ज़ लेते हैं इसलिए सरकार को इस प्रकार के कर्ज को माफ करने के लिए भी विचार करना चाहिए. किसानों की समस्या हल करने के लिए स्वामीनाथन रिपोर्ट की सिफारिशों को लागू करना चाहिए.