गोरखपुर: लोकसभा चुनाव का बिगुल बज चुका है. सीएम योगी की सीट पर उप-चुनाव में कब्जा जमा चुके सपा ने पत्ते तो नहीं खोले हैं. लेकिन, अनुमान है कि सिटिंग एमपी प्रवीण निषाद को ही गठबंधन टिकट देकर एक बार फिर बीजेपी के खिलाफ मैदान में उतारेगा. उप-चुनाव में बाजी पलटने वाले प्रवीण निषाद पर गठबंधन फिर दांव आजमा सकता है. वहीं उप-चुनाव की हार से सबक लेकर बीजेपी फूंक-फूंक कर कदम रख रही है. 2019 के लोकसभा चुनाव में फिर लहर चलेगी या फिर निषाद से निषाद की टक्कर होगी इस पर सभी की निगाह टिकी हुई है.


गोरखपुर सदर लोकसभा सीट को मंदिर की प्रतिष्ठा माना जाता रहा है. पांच बार लगातार चुनाव जीतकर संसद पहुंचने वाले सबसे कम उम्र के सांसद के रूप में पहचान बना चुके गोरक्षपीठ के महंत योगी आदित्यनाथ की कठिन दिनचर्या और हाड़-तोड़ मेहनत के साथ आमजन तक उनकी पहुंच ने इस सीट को हमेशा के लिए जैसे मंदिर के खाते में डाल दिया था.


लेकिन, समय करवट लेता है तो हालात भी बदल जाते हैं. यही वजह है कि उनके मुख्यमंत्री बनने के बाद खाली हुई सीट पर जब उपचुनाव हुए तो जनता किसी और प्रत्याशी को स्वीकार नहीं कर पाई. ठाकुर के बाद ब्राह्मण प्रत्याशी उपेन्द्र दत्त शुक्ल को जनता ने खारिज कर दिया. रही सही कसर निषाद वोटबैंक ने पूरी कर दी.


सपा ने निषाद पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष डा. संजय निषाद के बेटे प्रवीण निषाद को टिकट देकर बड़ा दांव खेला. जब बसपा ने समर्थन का ऐलान कर हाथी को साइकिल के पाले में दौड़ा दिया, तो कमल का मुरझाना तय सा दिखने लगा. वहीं, बीजेपी ने ब्राह्मण प्रत्याशी खड़ा कर बड़ी चूक कर दी. नतीजा अहम सीट बीजेपी के हाथ से फिसल गई.


अब 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी के लिए निषाद की काट खोजना मजबूरी हो गई. यही वजह है कि सपा में उपेक्षा से नाराज होकर बीजेपी में आए अमरेन्द्र निषाद पर सभी की निगाह टिकी हुई है. ऐसे में देखना ये होगा कि इस महत्वपूर्ण सीट पर फिर लहर चलेगी या फिर निषाद से निषाद की टक्कर होगी. अब ये बीजेपी के पत्ते खोलने के बाद ही पता चलेगा.