देश लौटीं प्रियंका गांधी, राहुल गांधी के घर यूपी की नई टीम की पहली बैठक में हुईं शामिल
अब प्रियंका की चुनौती है कि इस वोट प्रतिशत में कुछ इजाफा करे. राजनीतिक जानकार मान रहे हैं प्रियंका गांधी के आने से कांग्रेस कार्यकर्ताओं का मनोबल बढ़ेगा और साथ ही वोट प्रतिशत बढ़ाने में मदद मिलेगी.
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नई दिल्ली: अमेरिका से भारत लौटते ही प्रियंका गांधी, कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के घर बैठक में शामिल हुईं. इस बैठक में प्रियंका गांधी के अलावा यूपी के प्रभारी ज्योतिरादित्य सिंधिया, यूपी कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष राज बब्बर और संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल भी शरीक हुए. बता दें कि प्रियंका गांधी को लोकसभा चुनाव के मद्देनजर कांग्रेस ने पूर्वी उत्तर प्रदेश की कमान सौंपी है.
प्रियंका के पास यूपी में 80 में से 43 सीटों की जिम्मेदारी
प्रियंका के पास यूपी में 80 में से 43 सीटों की जिम्मेदारी है. इन 43 में से 2014 में सिर्फ 2 सीट कांग्रेस ने जीती थी. पूर्वांचल की 30 सीटों पर कांग्रेस को 6 फीसदी वोट मिले थे. अवध की 13 सीटों पर 18 फीसदी वोट मिले थे, जबकि राज्यभर में कांग्रेस को 8.4 फीसदी वोट मिले थे.
अब प्रियंका की चुनौती है कि इस वोट प्रतिशत में कुछ इजाफा करे. राजनीतिक जानकार मान रहे हैं प्रियंका गांधी के आने से कांग्रेस कार्यकर्ताओं का मनोबल बढ़ेगा और साथ ही वोट प्रतिशत बढ़ाने में मदद मिलेगी.
किसके वोट काटेंगी प्रियंका?
साल 2014 में कांग्रेस को 11 फीसदी ब्राह्मण, 16 फीसदी कुर्मी-कोइरी, 13-13 फीसदी जाट-वैश्य और 11 फीसदी मुस्लिम वोट मिले थे. मतलब जो 8.4 फीसदी वोट मिले उसमें हर तबके के लोग थे. ऐसे में क्या प्रियंका को मैदान में उतार कर राहुल गांधी एसपी-बीएसपी को सजा दी है, क्योंकि माना जा रहा है कि प्रियंका गांधी वाड्रा के आने से बीजेपी विरोधी वोट कटेंगे.
कांग्रेस के लिये छोड़ी गई हैं अमेठी और रायबरेली की सीटें सपा और बसपा 80 लोकसभा सीटों वाले उत्तर प्रदेश में 38-38 सीटों पर चुनाव लड़ेंगी. कांग्रेस के लिये अमेठी और रायबरेली की सीटें छोड़ी गई हैं जबकि दो सीटें छोटे दलों के लिये आरक्षित की गई हैं. माना जा रहा है कि दो सीटें निषाद पार्टी और पीस पार्टी के लिए छोड़ी गई हैं. निषाद पार्टी का निषाद बिरादरी में प्रभुत्व माना जाता है वहीं पीस पार्टी का पूर्वांचल की मुस्लिम बिरादरी में असर माना जाता है.
इन सीटों पर होगी कांग्रेस की नज़र
ऐसा कहा जाता है कि दिल्ली में पीएम बनने का रास्ता यूपी से होकर आता है. ऐसे में एसपी और बीएसपी के दरकिनार करने के बाद कांग्रेस की नज़रें उन सीटों पर है, जिनपर वह 2014 दूसरे और तीसरे नंबर पर रही थी.
अमेठी और रायबरेली की सीट जीतने के अलावा कांग्रेस 6 सीटों पर दूसरे नंबर पर रही थी. ये 6 सीटें सहारनपुर, गाजियाबाद, लखनऊ, कानपुर, बाराबंकी और कुशीनगर हैं. इन सभी सीटों पर कांग्रेस के दिग्गज नेता राज बब्बर, श्रीप्रकाश जायसवाल, पी एल पुनिया ने चुनाव लड़ा था. कांग्रेस के ये दिग्गज चुनाव तो नहीं जीत पाए, पर दूसरे नंबर पर आने में कामयाब रहे थे.
2014 के लोकभा चुनाव में 4 सीटों पर कांग्रेस तीसरे नंबर की पार्टी बनने में कामयाब हुई थी. इनमें खीरी, धुव्रा, प्रतापगढ़ और मिर्जापुर की सीट शामिल है. इसके अलावा उन्नाव, इलाहाबाद, गोंडा में कांग्रेस चौथे नंबर पर रही थी, लेकिन एसपी और बीएसपी की तुलना में उसके वोटों का अंतर 5 हजार से भी कम था.
2014 में क्या था पूर्वी यूपी का रिजल्ट पूर्वी उत्तर प्रदेश 2014 में मोदी लहर का असर साफ दिखाई दिया था. 26 सीट में बीजेपी के खाते 23 सीट आई थीं, जबकि सहयोगी अपना दल ने भी दो सीटों पर कब्जा जमाया था. समाजवादी पार्टी एक हासिल करने में कामयाब रही थी जबकि कांग्रेस खाता भी नहीं खोल पाई थी. बीएसपी भी जीरो पर ही आउट हो गई थी.
2009 में क्या था पूर्वी यूपी का रिजल्ट यूपीए वन के बाद जनता ने कांग्रेस को एक मौका और दिया था. पूर्वी उत्तर प्रदेश की बात करें तो यहां बीजेपी और एसपी ने 9-9 सीटों पर कब्जा जमाया था. कांग्रेस और बीएसपी महज चार-चार सीटें ही अपने स्कोर बोर्ड पर लगा पायी थीं.
2017 विधानसभा में क्या था पूर्वी यूपी का रिजल्ट 2017 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने अभूतपूर्व प्रदर्शन किया था. 130 सीटों में से बीजेपी ने पूर्वी यूपी में 87, अपना दल ने 9 और सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी ने चार सीटों पर कब्जा जमाया. इस तरह एनडीए ने कुल 100 सीटें अपने नाम कीं. वहीं साइकिल (एसपी) का हैंडल थामे हाथ (कांग्रेस) में कुछ खास हासिल नहीं हुआ. एसपी 14 तो कांग्रेस सिर्फ दो सीटें ही जीत पाई. इस तरह कुल मिलाकर यूपीए के खाते सिर्फ 16 सीटें ही आईं. इसके अलावा बीएसपी से 10, निशात पार्टी से एक और तीन निर्दलीय उम्मीदवार भी विधानसभा पहुंचने में कामयाब रहे.
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