नई दिल्ली: यूपी चुनाव का बिगुल बज चुका है. तारीखों का एलान हो चुका ज्यादातर दलों ने उम्मीदवार भी मैदान में उतार दिए हैं. इस चुनाव में कुछ अहम मुद्दे छाए रहेंगे. इन्हीं मुद्दों में एक मुद्दा है सिलेंडर, इसी से सवाल उठता है कि क्या सिलेंडर से बदल जाएगा यूपी का चुनावी गणित ?


मेरठ के सिंधावली गांव की रहने वाली सुमन इन दिनों खूब खुश है. जब से पीएम मोदी की उज्जवला योजना के तहत सुमन को गैस सिलेंडर मिला है तब से सुमन का संसार ही बदल गया है.


इस गांव में सुमन कोई अकेली गृहिणी नहीं हैं जिनकी जिंदगी चूल्हे के बदलाव ने बदल दी है. सुमन, ओमकारी, संतोष और न जाने कितनी महिलाएं हैं जो रोज अब आसानी से मोदी के सिलेंडर पर रोटियां सेंक रही हैं. पूछने पर ओमकारी पहले हंसती हैं फिर कहती हैं कि सिलेंडर के बदले मोदी को वोट देंगे.


यूपी में महिला वोटरों की संख्या इस बार 6 करोड़ 43 लाख है. 2012 में 60 फीसदी महिलाओं ने वोट डाला था. बिहार में नीतीश की जीत में महिला वोटरों का बड़ा रोल रहा है.


यही वजह है कि बीजेपी के समर्थक सिलेंडर के बहाने ही सही महिला वोटरों को लुभाने में जुटे हैं. वैसे बीजेपी का ये आरोप भी है कि समाजवादी पार्टी के स्थानीय विधायक अपने वोट बैंक के हिसाब से लोगों को गैस सिलेंडर दिलवा रहे हैं. मेरठ के इस गांव में एबीपी न्यूज़ संवाददाता को कई ऐसी महिलाएं भी शिकायत करती हुई मिल गई जिनको नाम लिखाने के बाद भी सिलेंडर नहीं मिला है. किसी को सिलेंडर मिला तो खुश है किसी को नहीं मिला तो परेशान.


सिलेंडर की इस सियासत ने इस बार उत्तर प्रदेश का चुनावी गणित बदल दिया है. यूपी में करीब 21 फीसदी दलित वोटर हैं, 85 सीटें दलितों के लिए सुरक्षित हैं. 2012 में एसपी ने 58 सुरक्षित सीटें जीती थी, जबकि 2007 में मायावती को 62 सुरक्षित सीटों पर जीत मिली. 2014 में बीजेपी ने सभी 17 सुरक्षित लोकसभा सीटें जीत ली.