लखनऊ: इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ पीठ ने उत्तर प्रदेश के पूर्व कैबिनेट मंत्री गायत्री प्रजापति की अल्प अवधि की जमानत याचिका पर जवाब देने के लिए राज्य सरकार को 10 दिन का समय दिया है. मामले की सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति अनिल कुमार ने उक्त आदेश दिया और राज्य सरकार को यह पता लगाने का निर्देश दिया कि क्या गायत्री सचमुच बीमार हैं और क्या केजीएमयू में पर्याप्त इलाज की सुविधा नहीं है जैसा कि प्रजापति ने अपनी अर्जी में कहा है.
प्रजापति की ओर से जमानत याचिका दायर करते हुए उनके वकील वालकेश्वर श्रीवास्तव ने कहा कि प्रजापति ने एक मेडिकल रिपोर्ट पेश की है जो केजीएमयू के यूरोलॉजी विभाग की है . गायत्री सामूहिक बलात्कार के एक मामले में फिलहाल जेल में बंद हैं.
कौन हैं गायत्री प्रजापति?
गायत्री प्रजापति पर भ्रष्टाचार के कई आरोप हैं. उन्हें मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने अपने मंत्रिमंडल से बर्खास्त भी किया था. लेकिन बाद में दोबारा शामिल कर लिया. उन्होंने समाजवादी पार्टी के टिकट पर अमेठी से विधानसभा चुनाव भी लड़ा था.
क्या है मामला?
खुद को समाजवादी पार्टी का कार्यकर्ता बताने वाली महिला ने दावा किया था कि गायत्री प्रजापति ने 2014 से जुलाई 2016 तक, 2 साल उसके साथ बलात्कार किया. प्रजापति और उनके सहयोगियों ने कुछ मौकों पर उसके साथ सामूहिक बलात्कार भी किया. जब प्रजापति ने उसकी 14 साल की बेटी के साथ बलात्कार की कोशिश की तब उसने पुलिस में शिकायत की.
गायत्री के साथ विवादों की लंबी लिस्ट
खनन घोटाले से लेकर आय से अधिक संपत्ति और बीपीएल की लिस्ट में नाम का मामला, गायत्री के साथ विवादों की लंबी लिस्ट है.
खनन घोटाले का आरोप
2012 के चुनावी हलफनामे में 1 करोड़ 70 लाख की संपत्ति बताने वाले गायत्री पर आरोप है कि इन्होंने चंद सालों में करीब 1 हजार करोड़ की अवैध संपत्ति जमा कर ली है. आरोप लगता है कि राज्य भर में अवैध खनन का कारोबार इन्हीं की देखरेख में फल फूल रहा था.
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