लखनऊ: यूपी के लाल संजय चौहान अब इस दुनिया में नहीं हैं. वो शहीद हो गए. आखिरी सांस तक वो कोशिश करते रहे. कोशिश अपने जगुआर विमान को खाली जमीन पर उतारने की. कोशिश उस विमान को आबादी वाले इलाके में ना गिरने देने की और कोशिश लोगों की जान बचाने की.


एयर कोमोडोर संजय चौहान चाहते तो प्लेन से इजेक्ट हो सकते थे, अपनी जान बचा सकते थे लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया. उन्हें समझ आ गया था कि जगुआर में खराबी आ गई है और उनका फाइटर प्लेन क्रैश हो सकता है.



वो नहीं चाहते थे कि प्लेन आबादी वाली जगह में गिरे और निर्दोष लोगों की जान चली जाए. इसलिए उन्होंने प्लेन को खाली जमीन पर लैंड कराने का प्रयास किया. उन्होंने अपनी जान दे दी ताकि लोगों की जान बच सके.


उनको फाइटर प्लेन उड़ाने का अच्छा अनुभव था. वे 3800 घंटे की उड़ान भर चुके थे. भारतीय वायुसेना के 17 विमान वे उड़ा चुके थे. उन्होंने कई विदेशी विमानों की भी टेस्टिंग की थी. उन्होंने राफेल भी उड़ाया था.



संजय के पिता भी एनएस चौहान सेना में अधिकारी थे. 1986 में संजय वायुसेना में शामिल हुए थे. 1989 में वे कमीशंड हुए. वे फ्लाइंग इंस्ट्रक्टर भी थे. 2010 में उन्हें वायुसेना मेडल भी मिला था.


आपको बता दें कि गुजरात के कच्छ जिले में उनका लड़ाकू विमान जगुआर दुर्घटनाग्रस्त हो गया. इस हादसे में उनकी जान चली गई.


चार दिन पहले ही वो अपने परिवार से मिलने लखनऊ आए थे. उन्होंने मां से जल्दी वापस लौटने का वादा किया था लेकिन आई उनकी मौत की खबर जिसके परिवार को तोड़ कर रख दिया.