लखनऊ: यूपी की राजधानी लखनऊ में हिन्दूवादी नेता कमलेश तिवारी की बेरहमी से हत्या कर दी गई. अब जो जानकारी मिल रही है उसके मुताबिक कमलेश तिवारी ने ट्वीट करके सुरक्षा की मांग की थी. सवाल ये है कि अगर वक्त पर उन्हें सुरक्षा मिली होती तो क्या उनकी जान बच सकती थी?


जानकारी के मुताबिक कमलेश तिवारी आईएसआईएस के निशाने पर थे. गुजरात एटीएस ने इस बारे में यूपी पुलिस को आगाह भी किया था लेकिन यूपी पुलिस ने कमलेश को रस्म आदायगी वाली सुरक्षा दी.


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जो सिपाही यूपी पुलिस ने कमलेश तिवारी की सुरक्षा में लगाया था वो भी हत्या के वक्त मौजूद नहीं था. अब यूपी के डीजीपी ने एक्शन लेते हुए एसटीएफ को हत्या की जांच सौंपी है जिसे 48 घंटे में हत्या का खुलासा करने को कहा गया है.





बताया जा रहा है पुलिस को सीसीटीवी फुटेज मिल गई है जिसमें हत्यारे दिखाई दे रहे हैं. साथ ही पुलिस कमलेश की कॉल डिटेल की भी जांच कर रही है क्योंकि ऐसा अनुमान है कि जो लोग उनसे मिलने आए थे उन्होंने कमलेश को कॉल भी किया था.


ये हत्यारे अपने साथ एक मिठाई का डिब्बा लाए थे जिसमें हथियार थे. पहले धारदार हथियार से गर्दन पर वार दिया गया और फिर तमंचे से गोली मार दी गई.


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कमलेश की पत्नी ने पुलिस को तहरीर दी है जिसमें उन्होंने कहा है कि उनके पति की हत्या की कोशिशें लंबे वक्त से चल रही हैं. 2016 में उनका सिर कलम करने वाले को 1.5 करोड़ के ईनाम की घोषणा की गई थी.


कमलेश तिवारी हत्याकांड को लेकर लखनऊ के सांसद और रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने पुलिस महानिदेशक व जिलाधिकारी से बात की है. राजनाथ ने पूरी जानकरी ली और आरोपियों को अविलंब गिरफ्तार करने के निर्देश दिए.