लखनऊ: एक तरफ बेटी के दूसरे जन्मदिन का इंतजार है, परिवार का मोह है और दूसरी तरफ वर्दी का फर्ज है. ऐसे में इन दोनों में सामंजस्य बिठाना बहुत मुश्किल है, इसलिए दोनों में ड्यूटी को चुनकर परिवार को खुद से दूर कर लेने वाले पुलिसकर्मी आपकी सेवा में लगे हैं. ऐसे ही एक पुलिसकर्मी ने अपने परिवार से दूरी बना ली और अपना फर्ज निभाने के लिए दिन रात एक किये हुए हैं.


ये कहानी है लखनऊ में तैनात एसीपी स्वतंत्र कुमार सिंह की. ड्यूटी के दौरान अपनी बेटी से दूरी ने एसीपी का दर्द फेसबुक पर ला दिया और कोरोना पर उन्होंने अपनी एक कविता लिख डाली. कविता में लिखा है कि समाज के हर भूखे बच्चे में तुम्हारा अक्स देखकर हारा मन ऊर्जा से भर जाता है.


असल में एसीपी स्वतंत्र कुमार सिंह की बेटी अक्षदा का दूसरा जन्मदिन 24 अप्रैल को है. अब उन्हें नहीं पता कि बेटी का दूसरा जन्मदिन वो बेटी के साथ मना पाएंगे या नहीं, इसलिए उन्होंने अपने थके मन को ऊर्जा से भरने के लिए एक तस्वीर फेसबुक पर डालकर एक कविता लिख डाली. देखते ही देखते उनकी मार्मिक पोस्ट वायरल हो गई.


स्वतंत्र लखनऊ में एसीपी के पद पर तैनात हैं. परिवार भी लखनऊ में ही रहता था लेकिन जैसे ही कोरोना का संक्रमण बढ़ना शुरू हुआ, उन्होंने अपने परिवार को गांव भेज दिया ताकि उनकी ड्यूटी की वजह से उनके परिवार पर खतरा ना हो. अब उनकी बेटी जौनपुर में गांव में है और खुद स्वतंत्र सिंह लखनऊ में ड्यूटी कर रहे हैं. रोज वीडियो कॉल पर पत्नी और बेटी का हाल जानते हैं और फिर अपनी ड्यूटी निभाते हैं.


एसीपी स्वतंत्र कुमार सिंह ने अपने फेसबुक पर लिखा है-


बेटी 'अक्षदा' को खत लिखना- ‘वहीं कोरोना हार जाता है’


आज पंद्रहवें दिन भी तुम्हारा मुझसे दूर रहना- वहीं कोरोना हार जाता है.


रोज तुमको याद करते हुए वर्दी पहन कर ड्यूटी पर जाना- वहीं कोरोना हार जाता है.


तुम्हारा वीडियो कॉल पर तुतलाते हुए 'डैडा' बोलना और अपने पास बुलाना- वहीं कोरोना हार जाता है.


बाय बोलने पर तुम्हारा फोन ना रखने के लिए नो-नो बोलना- वहीं कोरोना हार जाता है.


रात में या कभी कभी दो रातों बाद घर आकर तुमको खोजना- वहीं कोरोना हार जाता है.


समाज के हर भूखे बच्चे में तुम्हारा अक्स देखकर थका शरीर और हारे मन का पुनः ऊर्जा से भर जाना- वहीं कोरोना हार जाता है.


इस उम्मीद में की लोग लॉकडाउन का पूरी तरह पालन करेंगे जिससे इसका 14 अप्रैल से आगे ना बढ़ना- वहीं कोरोना हार जाता है.


और अंत में इस विश्वास के साथ की तुम्हारा दूसरा जन्मदिन (25 अप्रैल) हम साथ में मनाएंगे- वहीं कोरोना हार जाता है.


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