लखनऊ: लखनऊ हिंसा के आरोपियों से वसूली के पोस्टर लगाने पर इलाहाबाद होई कोर्ट नाराजगी जताई है. चीफ जस्टिस गोविंद माथुर ने पोस्टर पर स्वत: संज्ञान लेते हुए योगी सरकार को नोटिस जारी कर दिया है. चीफ जस्टिस ने पूछा है कि आखिरकार किस नियम के तहत ये पोस्टर लगाए गए. कोर्ट ने लखनऊ के पुलिस कमिश्नर और डीएम को सुबह 10 बजे अदालत में हाजिर होने का आदेश दिया है.


चीफ जस्टिस गोविन्द माथुर और जस्टिस रमेश सिन्हा की डिवीजन बेंच इस मामले की सुनवाई करेगी. पिछले साल 19 दिसंबर को उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में नागरिकता कानून के खिलाफ हिंसा हुई थी जिसमें बड़े पैमाने पर सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचाया गया. इसी हिंसा के बाद सीएम योगी ने दंगाईयों से वसूली का एलान किया था.कई ज़िलों में वसूली के नोटिस जारी किए जा चुके हैं. जिसके ख़िलाफ़ लोग अदालत भी पहुंच गए हैं.


 57 लोगों को लखनऊ हिंसा को जिम्मेदार बताते हुए प्रशासन ने जगह-जगह पोस्टर लगाए थे


76 साल के पूर्व आईपीएस अधिकारी श्रवण राम दारापुरी, सामाजिक कार्यकर्ता सदफ जाफर, कलाकार दीपक कबीर, वकील मोहम्मद शोएब और ऐसे ही 57 लोगों को लखनऊ हिंसा को जिम्मेदार बताते हुए प्रशासन ने जगह-जगह पोस्टर लगाए थे.तस्वीरों में दिख रहे इन लोगों को आगजनी, तोड़फोड़ और सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचाने का दोषी बताते हुए एक करोड़ 55 लाख रुपये हर्जाना भरने के लिए कहा गया था, और ऐसा ना करने पर संपत्ति कुर्क करने की चेतावनी दी गई थी.


 हिंसा को करीब ढाई महीने से ज्यादा का वक्त हो गया है. यूपी सरकार ने हिंसा में सार्वजनिक संपत्ति के नुकसान की भरपाई आरोपियों से करने का फैसला लिया. इसी फैसले के तहत चौराहों पर हिंसा करने वालों के पोस्टर लगाए हैं. इन पोस्टरों में आरोपियों के नाम पते भी लिखे हैं.


1 करोड़ 55 लाख रुपये की रिकवरी होनी है


लखनऊ के कुल 4 अलग अलग थानाक्षेत्रों में 1 करोड़ 55 लाख रुपये की रिकवरी होनी है. चारों इलाकों में आरोपियों के ऐसे ही पोस्टर लगे हुए हैं. सरकार ये पहले ही तय कर चुकी थी कि हिंसा के नुकसान की भरपाई दंगाइयों से करवाई जाएगी, अब इसकी प्रक्रिया भी शुरू हो चुकी है.


लखनऊ जिला मजिस्ट्रेट ने क्या कहा था?


लखनऊ जिला मजिस्ट्रेट अभिषेक प्रकाश ने कहा था, "प्रशासन ने इनकी फोटो लगी हुई होर्डिग्स उन इलाकों में लगवाई, जहां इन्होंने तोड़फोड़ की थी। आगे अगर पुलिस साक्ष्य उपलब्ध कराएगी तो बाकियों से भी वसूली होगी। सभी को नोटिस जारी होने की तिथि से 30 दिन का समय दिया गया है. वसूली राशि जमा करने में असफल रहने की स्थिति में आरोपियों की संपत्तियां जब्त कर ली जाएंगी."


उन्होंने कहा कि उपद्रवियों के पोस्टर और होर्डिग्स लगाने से दूसरे लोगों को सबक मिलेगा कि आगे किसी तरह के प्रदर्शन में बहकावे में आकर हिंसा या तोडफोड़ नहीं करें. ऐसा करने पर इसी तरह उनके घर के बाहर भी पोस्टर चस्पा हो सकते हैं.