भोपाल: मध्य प्रदेश के चुनावी समर में सीहोर जिले पर लोगों की सबसे ज्यादा नजरें टिकी हैं. वजह ये है कि यह जिला सीएम शिवराज सिंह चौहान की ना सिर्फ कर्मभूमि बल्कि जन्मभूमि भी है. सीहोर के बुधनी में ही शिवराज सिंह का जन्म हुआ था. बुधनी से ही वो विधायक भी हैं. वोटर्स ने राजनीतिक उलटफेर के बीच भी शिवराज का साथ कभी नहीं छोड़ा लेकिन समय-समय पर अपनी ताकत का एहसास जरुर कराया है.


सीहोर का सियासी समीकरण
सीहोर जिले में विधानसभा की कुल 4 सीटें हैं. मुख्यमंत्री का गृह क्षेत्र होने के बावजूद पिछले विधानसभा चुनावों में बीजेपी को सिर्फ 2 ही सीटें मिली थीं. एक-एक सीट पर कांग्रेस और निर्दलीय उम्मीदवार सेंधमारी में कामयाब हुए थे. सीहोर जिले की 2 विधानसभा सीटें विदिशा, 1 सीट भोपाल और 1 सीट देवास लोकसभा सीट में आती है.


बता दें कि विदिशा, भोपाल और देवास तीनों लोकसभा सीटों पर 2014 में बीजेपी को जीत मिली थी. जिले के सियासी दांव-पेंच में बीजेपी हमेशा से भले ही अव्वल रही हो लेकिन लोगों का भला नहीं हुआ. सीएम के जिले की तीन बड़ी मिल आज भी बंद पड़ी हैं. लोगों के सामने रोजगार का संकट है.


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सीहोर की समस्या
सीहोर में रोजगार नहीं है तो युवा पलायन कर रहा है. सिंचाई की व्यवस्था खराब है. गर्मियों में पेय जल की समस्या के साथ रेत का अवैध उत्खनन भी बड़ा मुद्दा है. अब 28 नवंबर को फैसला सीहोर जिले के मतदाताओं को करना है कि आखिर वो सत्ता की चाबी किसे सौंपते हैं.


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