जबलपुर: संतों के सम्मेलन ''नर्मदे संसद'' में शुक्रवार को मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को ''मां नर्मदा के साथ अन्याय करने वाला कलयुगी पुत्र'' और ''साधु संतों के साथ धोखा करने वाला व्यक्ति'' करार देते हुए उन्हें पद से हटाने के लिये विधानसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी को समर्थन देने का संकल्प लिया गया. संत सम्मेलन ''नर्मदे संसद'' का आयोजन पटदर्शन संत समिति के अध्यक्ष संत कम्प्यूटर बाबा की अगुवाई में यहां ग्वारीघाट क्षेत्र में किया गया था. नर्मदे संसद में शिरकत करने अन्य प्रदेशों के भी संत पधारे थे.
नर्मदे संसद में आचार्य प्रमोद कृष्णम और कम्प्यूटर बाबा ने मोदी सरकार एवं प्रदेश की बीजेपी सरकारों पर जमकर निशाना साधा. आचार्य कृष्णम ने कहा कि बीजेपी की सरकार ने जनता से वादा खिलाफी की है. इस बार इस सरकार को गिराना होगा और कांग्रेस को आगे लाना होगा. यदि कांग्रेस वादा खिलाफी करेगी, तो पांच साल बाद उसे भी गिरा दिया जाएगा.
बाबा ने कहा, ''सत्य को परेशान किया जा सकता है, लेकिन उसे पराजित नहीं किया जा सकता. हमें इन्हें दिखाना है, तुम हमारी ही दम पर थे. इसलिए ये जरूरी हो गया है, इनको आईना दिखाया जाए.'' संतों ने कहा कि बुधनी में नर्मदा स्वच्छता अभियान के दौरान मुख्यमंत्री ने संतों के साथ चर्चा में कहा था कि मां नर्मदा के साथ किसी प्रकार का खिलवाड़ नहीं होगा. रेत माफिया से नर्मदा नदी को बचाने और उनके संरक्षण का आश्वासन संत समाज को दिया था. मुख्यमंत्री बाद में मुकर गये और अपने रिश्तेदारों से मां नर्मदा का सीना छलनी करवाते रहे.
संतों के मुताबिक, शिवराज ने नर्मदा आयोग के गठन का झूठा दिलासा भी दिया था. स्वयं को नर्मदा पुत्र कहने वाले मुख्यमंत्री कलयुगी पुत्र की तरह मां नर्मदा को बेच रहे हैं. संतों को राजनीति से दूर करने का षडयंत्र भी रचा,जिससे नर्मदा की सच्चाई जनमानस तक नहीं पहुंच सके.
सभी संतों ने इन बातों से नाराज होकर सत्ता परिवर्तन की ठान ली है. गौरतलब है कि अप्रैल में प्रदेश सरकार ने नामदेव त्यागी उर्फ कम्प्यूटर बाबा सहित पांच संतों को मंत्री का दर्जा प्रदान किया था. कुछ माह बाद कम्प्यूटर बाबा ने मंत्री दर्जा से इस्तीफा दे दिया था.
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