नई दिल्ली: मध्य प्रदेश में 28 नवंबर को हुए विधानसभा चुनाव के नतीजों के रुझान सामने आ गए हैं. हालांकि अभी तक ये साफ नहीं है कि मध्य प्रदेश में कौन सी पार्टी सरकार बना सकती है. खबर लिखे जाने तक कांग्रेस 114 सीटों पर बढ़त बनाए हुए है तो वहीं बीजेपी 107 सीटों पर आगे चल रही है. राज्य में बहुमत के लिए 116 सीटों की जरूरत है. लेकिन अगर कांग्रेस की सरकार बनती है तो पार्टी मुख्यमंत्री किसे बनाएगी यह सबसे बड़ा पेंच फंस रहा है. मध्य प्रदेश में क्या कमलनाथ का बरसों पुराना सपना पूरा होगा या ज्योतिरादित्य सिंधिया के हाथ में कमान होगी?


मध्य प्रदेश में दोनों ही कांग्रेस के बड़े चेहरे हैं. दोनों कद्दावर नेता भी हैं. एक के पास अनुभव है तो दूसरे के पास जोश. एक रणनीति और राजनीतिक प्रबंधन के मास्टर, दूसरे भीड़ खींचने के माहिर. लेकिन मध्य प्रदेश के चुनावी रण में दोनों दिग्गजों में अब रेस इसकी है कि अगर कांग्रेस की सरकार बनी तो मुख्यमंत्री कौन होगा?


ये सवाल इसलिए भी उठ रहा है क्योंकि कमलनाथ मध्य प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष हैं, जबकि ज्योतिरादित्य सिंधिया चुनाव अभियान समिति के मुखिया. यानी इस बार के चुनावी समर में इन दोनों नेताओं पर बहुत बड़ी जिम्मेदारी थी. दोनों की अगुआई में कांग्रेस ने ये चुनाव अभी नहीं तो कभी नहीं के अंदाज में लड़ा भी. अब फाइनल नतीजों का इंतज़ार है.


कांग्रेस पार्टी की रही ये रणनीति
चुनाव अभियान समिति की कमान जरूर सिंधिया के हाथ में रही, लेकिन चुनाव शुरू होने से पहले ही कमलनाथ सीएम पद के लिए कांग्रेस के एक बड़े दावेदार के तौर पर देखे जा रहे थे. कमलनाथ बनाम सिंधिया के बीच की ये रेस कहीं चुनाव कैंपेन पर पानी न फेर दे, इसलिए शुरुआत में ही दोनों नेताओं का एक साथ फोटो सेशन करवाया गया. मगर चुनाव के दौरान कमलनाथ भावी सीएम के तौर पर कैंपेन को लीड करते दिखे.


मध्य प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनने की स्थिति में मुख्यमंत्री कौन होगा इस सवाल पर दोनों नेताओं ने पूरे चुनाव कैंपेन के दौरान चुप्पी साधे रखी. किसी भी मौके पर अपने पत्ते नहीं खोले, न अपनी महत्वाकांक्षा का सार्वजनिक तौर पर किसी रूप में इजहार किया. दोनों ने सब कुछ पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी के ऊपर छोड़ दिया.


चुनाव से 6 महीने पहले कमलनाथ बने प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष
लेकिन वो राहुल गांधी ही हैं, जिन्होंने चुनाव से करीब 6 महीने पहले कमलनाथ को मध्य प्रदेश कांग्रेस का अध्यक्ष बनाया. कमलनाथ ने मई 2018 में प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष की कमान संभाली. इसके बाद उन्होंने एमपी में कांग्रेस के तेवर ही बदल दिए. राहुल गांधी का वो फैसला कमलनाथ की सीएम पद पर दावेदारी का एक बड़ा संकेत भी माना गया.


कमलनाथ की दावेदारी की राह में हैं ज्योतिरादित्य सिंधिया
लेकिन कमलनाथ की दावेदारी की राह में ज्योतिरादित्य सिंधिया खड़े हैं जिनकी जुगलबंदी से कांग्रेस मध्य प्रदेश में लड़ने और जीतने की स्थिति में आ खड़ी हुई. मध्य प्रदेश में कांग्रेस के स्टार प्रचारक ज्योतिरादित्य सिंधिया गुना से 4 बार के सांसद हैं. सिंधिया ने चुनाव रैलियों में शिवराज सिंह चौहान को तगड़ी चुनौती भी दी है.


इन दोनों नेताओं की ताकत क्या है-
* कमलनाथ छिंदवाड़ा से 9 बार के सांसद हैं.
* ज्योतिरादित्य सिंधिया गुना से 4 बार के सांसद हैं.


* कमलनाथ रणनीति और चुनाव प्रबंधन के माहिर हैं.
* सिंधिया चुनावी रैलियों का सबसे लोकप्रिय चेहरा हैं.


* कमलनाथ 72 साल के हैं और उनके पास ज्यादा अनुभव है.
* सिंधिया 47 साल के हैं और कांग्रेस का युवा चेहरा हैं.


* कमलनाथ का महाकौशल इलाके में दबदबा है.
* तो सिंधिया का चंबल और मालवा इलाके में ज्यादा असर है.


दोनों नेताओं में एक बात कॉमन ये है कि दोनों राहुल गांधी के करीबी है. इसके अलावा कमलनाथ के पक्ष में एक और बात जाती है और वो है दिग्विजय सिंह का साथ. दिग्विजय सिंह कांग्रेस के ऐसे नेता हैं जिनका पूरे प्रदेश में अच्छा नेटवर्क है. टिकट बंटवारे पर दिग्विजय का फीडबैक भी कमलनाथ के बड़े काम आया. कांग्रेस को जिताने और कमलनाथ की राह आसान बनाने के लिए दिग्विजय इस कदर जुटे हुए थे कि उनके और सिंधिया के बीच झगड़े की ख़बर भी आई. हालांकि दोनों ने इसका खंडन किया.


अब फाइनल नतीजे का इंतजार है जो कुछ ही देर में आ जाएगा. नतीजों के बाद ही पता चलेगा कि शिवराज सिंह के मुकाबले मुख्यमंत्री चेहरा न देकर कांग्रेस ने कोई रणनीतिक भूल की या मास्टर स्ट्रोक खेला. तभी ये भी पता चलेगा कि कांग्रेस के क्षत्रप कमलनाथ की बरसों पुरानी ख्वाहिश पूरी होती है या सिंधिया का सपना.