नई दिल्ली: मध्य प्रदेश के इंदौर में विधानसभा क्रमांक 2 और 4 में बीजेपी 25 से ज्यादा सालों से लगातार जीत रही है. इस बार एमपी में सवर्ण और व्यापारियों के बीच बीजेपी को लेकर आक्रोश है और इन दोनों ही सीटों पर सवर्ण और व्यापारी बड़ी मात्रा में हैं. क्या बीजेपी अपने अभेद किले को बचा पाएगी?


बता दें कि इंदौर की दो विधानसभा सीटों पर बीजेपी का 25 साल से ज्यादा समय से कब्जा है. दो नंबर विधानसभा सीट जहां बीजेपी के कैलाश-रमेश की जोड़ी के हिस्से में है तो वहीं चार नंबर सीट गौड़ परिवार के कब्जे में है. एमपी में एट्रोसिटी एक्ट को लेकर माहौल है और व्यापारी वर्ग भी बीजेपी से खासा आक्रोशित है. इसी वजह से इस बार दोनों ही सीटों पर दिलचस्प मुकाबला होने वाला है.


इंदौर जिले की दो नंबर विधानसभा सीट करीब 25 साल से बीजेपी के पास है, यहां से रमेश मेंदोला लगातार दो बार से चुनाव जीतते आ रहे हैं. इससे पहले बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय तीन बार चुनाव जीतने में सफल रहे हैं. कैलाश ने 2008 में अपने सबसे करीबी रमेश मेंदोला के लिए ये सीट छोड़ी थी. उसके बाद से पिछले दो बार से रमेश मेंदोला विधायक बनते आ रहे हैं. पिछले चुनाव में तो उन्होने कांग्रेस प्रत्याशी पर एमपी में सबसे ज्यादा 91 हजार वोटों से जीत दर्ज कर रिकार्ड बनाया था.


इस बार उनका नारा अबकी बार दो लाख पार का हैं. वहीं विधानसभी सीट चार पर पिछले पांच चुनावों से गौड़ परिवार का ही कब्जा है. हिंदूवादी बीजेपी नेता और पूर्व स्कूल शिक्षा मंत्री लक्ष्मण सिंह गौड़ ने पहली बार 1993 में यहां चुनाव जीता उसके बाद 1998 में भी वो जीत गए. लेकिन 2008 में सड़क दुर्घटना में निधन के बाद उनकी पत्नी मालिनी गौड़ मैदान में उतरीं और पिछले तीन बार से वो इस सीट से विधायक चुनती आ रहीं हैं. 2014 में विधायक रहते हुए उन्होंने नगर निगम के महापौर का चुनाव भी जीत लिया.


लक्ष्मण सिंह गौड़ से पहले 1990 में कैलाश विजयवर्गीय इस सीट का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं, यानि पिछले 28 साल से इस सीट पर बीजेपी का कब्जा है.


इंदौर की दो नंबर विधानसभा सीट का इतिहास


साल      विजयी प्रत्याशी                  पार्टी
1967    जी.तिवारी                            कांग्रेस
1972    होमी एफ दाजी               कम्युनिष्ट पार्टी
1977    यज्ञदत्त शर्मा                        कांग्रेस
1980    कन्हैया लाल यादव             कांग्रेस
1985    कन्हैया लाल यादव             कांग्रेस
1990    सुरेश सेठ                           कांग्रेस
1993   कैलाश विजयवर्गीय             बीजेपी
1998  कैलाश विजयवर्गीय              बीजेपी
2003  कैलाश विजयवर्गीय             बीजेपी
2008  रमेश मेंदोला                       बीजेपी
2013  रमेश मेंदोला                        बीजेपी


इंदौर की 4 नंबर विधानसभा सीट का इतिहास


साल       विजयी प्रत्याशी                पार्टी
1967   यज्ञदत्त शर्मा                      निर्दलयी
1972   नारायण प्रसाद शुक्ला          कांग्रेस
1977   वल्लभ शर्मा                     जनता पार्टी
1980   यज्ञदत्त शर्मा                       कांग्रेस
1985   नंदलाल माता                      कांग्रेस
1990   कैलाश विजयवर्गीय             बीजेपी
1993   लक्ष्मण सिंह गौड़                 बीजेपी
1998   लक्ष्मण सिंह गौड़                 बीजेपी
2003  लक्ष्मण सिंह गौड़                 बीजेपी
2008  मालिनी गौड़                        बीजेपी
2013   मालिनी गौड़                        बीजेपी


वहीं इस बार बीजेपी के अजेय गढ़ों को ढहाने में विपक्षी दल एड़ी चोटी का जोर लगा रहे हैं. कांग्रेस के साथ-साथ सपाक्स जो बीजेपी से नाराज है वो भी इन सीटों पर पूरा जोर लगा रही है. इन दोनो दलों के अलावा बीएसपी और एसपी भी अपने प्रत्याशी उतारकर बीजेपी का गणित बिगाड़ने की तैयारी में हैं. नेताओं का कहना है कि जब राजनारायण के सामने इंदिरा गांधी जैसी दिग्गज नेता हार सकती हैं तो इन सीटों पर उनसे बड़े नेता तो नहीं. कांग्रेस के नेताओं का दावा है कि व्यापारियों और सवर्णों के आक्रोश में बीजेपी अपने इन अभेद किलो में इस बार हारेगी.


विपक्षियों के ऐसे दावों से बीजेपी निश्चिंत है. बीजेपी के इंदौर अध्यक्ष का कहना है कि उनकी पार्टी ने समाज को विकास का रास्ता दिखाया है और इस बार फिर से मध्य प्रदेश में उनकी सरकार बनाने जा रही है.


बहरहाल लगातार बीजेपी की जीत के चलते जहां विधानसभा क्रमांक चार को बीजेपी की अयोध्या के नाम से जाना जाने लगा है तो वहीं दो नंबर सीट की पहचान भी रमेश मेंदोला के नाम से मशहूर हो गई है. लेकिन इस बार ये देखना दिलचस्प होगा कि बीजेपी अपने दोनों अपराजेय गढ़ बचाने में कामयाब हो पाती है या नहीं.


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