भोपाल: मध्य प्रदेश में शिवराज सिंह चौहान को सत्ता संभाले तीन महीने होने को आए हैं और वो अभी तक आधी अधूरी सरकार चलाने को विवश हैं. इसकी पहली वजह तो कोरोना वायरस है जिसके चलते ढेर सारी बंदिशों के बीच उन्होंने चौथी बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ली और बाद में पांच मंत्रियों की मिनी कैबिनेट बनायी. दूसरी वजह इस बार दिल्ली के आलाकमान से भोपाल की वो दूरी है जो पहले कभी महसूस नहीं की गयी.


मंत्रिमंडल विस्तार के पहले शिवराज सिंह चौहान का दिल्ली दौरा जरूरी है. क्योंकि कुछ उनके और कुछ आलाकमान के नामों पर पेंच फंसा है. इसके लिए मिल बैठकर बातें होनी जरूरी हैं. हालांकि शिवराज सिंह चौहान की सरकार इन दिनों वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से ही चल रही है. वो रोज अपने कमरे से तीन चार घंटे वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग में ही गुजारते हैं. लेकिन मंत्रियों के नामों का पेंच वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से हल नहीं हो सकता है इसलिए आमने-सामने की बातचीत जरूरी है.


अब एक दो दिन में जो परिस्थितियां बन गयी हैं उससे लगने लगा है कि शिवराज सरकार का मंत्रिमंडल विस्तार अगले हफ्ते के शुरूआती दिनों में ही हो जायेगा. वो आज तिरूपति दौरे पर परिवार के साथ हैं जहां कुछ पूजा पाठ होनी है. इसके बाद वो शनिवार की शाम तक भोपाल लौटेंगे. फिर उनके दिल्ली जाने का कार्यक्रम तकरीबन तय हो गया है जहां मंत्रिमंडल के नामों पर चर्चा के बाद भोपाल में पंद्रह से बीस मंत्रियों को शपथ दिलायी जायेगी.


हालात इतने बिगड़ गए हैं कि मंत्रियों को शपथ कहां दिलवाई जाए, ये भी नये सिरे से सोचना होगा. भोपाल का राजभवन कोरोना की मार झेल रहा है. यहां के कुछ रहवासी कर्मचारी और सुरक्षाकर्मी कोरोना संक्रमित पाये गये हैं. शपथ के लिए नया स्थान खोजना होगा. इसके अलावा शपथ कौन दिलाएगा ये सवाल भी मुंह बाए खड़ा है. राज्यपाल लालजी टंडन गंभीर रूप से बीमार हैं और लखनऊ की अस्पताल में भर्ती है. ऐसे में छत्तीसगढ़ की राज्यपाल अनुसुइया उइके या फिर उत्तरप्रदेश की राज्यपाल आनंदी बेन को मध्यप्रदेश के राज्यपाल का प्रभार देकर शपथ दिलाने की औपचारिकता पूरी की जा सकती है.


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