भोपाल: कर्नाटक में कांग्रेस-जेडीएस की सरकार गिरने के बाद सियासी गलियारे में इस बात की चर्चा हो रही है कि अब मध्य प्रदेश की कमलनाथ सरकार पर भी संकट के बादल मंडराएंगे. बीजेपी भी इस ओर इशारा कर रही है. लेकिन आज विपक्षी पार्टी बीजेपी को विधानसभा में बड़ा झटका लगा. बीजेपी के दो विधायकों ने पार्टी लाइन से हटकर विधानसभा में एक बिल के समर्थन में वोट किया.


बिल के पक्ष में वोट करने वाले बीजेपी के दो विधायकों में शरद कोल और नारायण त्रिपाठी शामिल हैं. कोल शहडोल जिले के ब्यौहारी से और त्रिपाठी सतना जिले के मैहर से विधायक हैं. वोटिंग के बाद मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ ने कहा,''बीजेपी कहती है कि हमारी (कांग्रेस) सरकार अल्पमत में है और किसी भी दिन गिर सकती हैं. आज विधानसभा में मतदान (आपराधिक कानून संशोधन पर) हुआ और बीजेपी के दो विधायकों ने बिल के पक्ष में मतदान किए.''

आपराधिक कानून संशोधन विधेयक पारित करने के लिए बीएसपी विधायक संजीव सिंह ने मत विभाजन की मांग की जिसे स्पीकर ने स्वीकार कर लिया. कमलनाथ सरकार को विधेयक पारित करने के पक्ष में 122 वोट मिले. विपक्ष में एक भी मत नहीं पड़ा क्योंकि बीजेपी ने मत विभाजन में भाग नहीं लिया. हालांकि बीजेपी के दो विधायकों ने कांग्रेस के पक्ष में वोट किया.


बीजेपी का दावा
विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव ने कहा, "ऊपर से नंबर एक और दो का आदेश हुआ तो एक दिन भी नहीं चलेगी सरकार." विधानसभा में मुख्यमंत्री कमलनाथ ने ध्यानाकर्षण पर चर्चा के दौरान बुधवार को विपक्ष को बहुमत परीक्षण की चुनौती देते हुए कहा, ''विपक्ष चाहे तो वह कभी भी बहुमत का परीक्षण कर ले, हम आज ही इसके लिए तैयार है, यहां कोई विधायक बिकाऊ नहीं है. कांग्रेस की सरकार पूरे पांच साल चलेगी और दम के साथ चलेगी. विकास का एक ऐसा नक्शा बनेगा जो हर वर्ग के लिए होगा.''


कमलनाथ जब अपनी बात कह रहे थे तभी बीच में नेता प्रतिपक्ष भार्गव ने कहा, "उनके दल को विधायकों की खरीद-फरोख्त जैसे कार्य पर विश्वास नहीं है, लेकिन उपर से नंबर एक और दो का आदेश हुआ तो राज्य में एक दिन भी नहीं लगेगा."


कांग्रेस के विधायकों ने बीजेपी पर विधायकों की खरीद-फरोख्त का आरोप लगाते हुए सदन में हंगामा किया. वहीं बीएसपी की विधायक राम बाई ने साफ तौर पर कांग्रेस सरकार का समर्थन करते हुए कहा, "कमलनाथ की सरकार अडिग है."


मध्य प्रदेश के विधानसभा चुनाव में किसी भी एक पार्टी को पूर्ण बहुमत नहीं मिला था और कांग्रेस सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी. मध्य प्रदेश विधानसभा में 230 सीटें है और यहां सरकार बनाने के लिए 116 सीटों की जररूत है. कांग्रेस के पास 114 विधायक हैं. पार्टी बीएसपी के दो, समाजवादी पार्टी के एक और चार निर्दलीय विधायकों के साथ मिलकर सरकार चला रही है. कमलनाथ सरकार को 121 विधायकों का समर्थन हासिल है. बीजेपी के पास 108 विधायक हैं.