नई दिल्ली: मध्य प्रदेश में डेढ़ दशक बाद कांग्रेस की सत्ता में वापसी हुई है, लिहाजा उसके लिए लोकसभा चुनाव काफी अहम है. इसी वजह से कांग्रेस राज्य की 29 लोकसभा सीटों के लिए फूंक-फूंककर कदम बढ़ा रही हैं. इसके लिए हर उस चेहरे का सियासी आंकलन जारी है जो चुनाव लड़कर जीत दिलाने में सक्षम हों.


इसी कड़ी में पार्टी राज्य में अपने वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह को कठिन सीट से लोकसभा चुनाव लड़ाना चाहती है. इसे लेकर सीएम कमलनाथ ने कहा, ''हमने दिग्विजय सिंह से कहा है कि वे मध्य प्रदेश की सबसे कठिन से कठिन जो दो तीन सीटे हैं उनसे चुनाव लडें.'' बता दें कि भोपाल, उज्जैन, इंदौर और विदिशा सीटें बीजेपी का गढ़ मानी जाती हैं. लेकिन दिग्विजय फिलहाल राजगढ़ से लड़ने पर जोर दे रहे हैं.


राजगढ़ है दिग्विजय के प्रभाव वाला क्षेत्र
राजगढ़ दिग्विजय सिंह के प्रभाव का क्षेत्र है, विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने इस संसदीय क्षेत्र की पांच विधानसभा सीटें जीती हैं, लिहाजा कांग्रेस के लिए लोकसभा चुनाव में ये सुरक्षित सीट मानी जा रही है. दिग्विजय अभी राज्यसभा के सदस्य हैं और चुनाव लड़ने का फैसला पार्टी पर छोड़ चुके हैं. इस संसदीय क्षेत्र के राघौगढ़ विधानसभा से दिग्विजय के पुत्र जयवर्धन सिंह, खिलचीपुर से भतीजे प्रियव्रत सिंह और चाचौड़ा से छोटे भाई लक्ष्मण सिंह विधायक हैं.


राजगढ़ से दो बार सांसद चुने जा चुके हैं दिग्विजय
राजगढ़ लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत विधानसभा की आठ सीटें आती हैं. इन 8 सीटों में से 5 पर कांग्रेस और 2 पर बीजेपी का कब्जा है, जबकि एक सीट पर निर्दलीय विधायक है. चाचौड़ा, खिलचीपुर, राघौगढ़, ब्यावरा, और राजगढ़ सीट पर कांग्रेस का कब्जा है. सारंगपुर और नरसिंहगढ़ सीट पर बीजेपी के विधायक हैं. सुसनेर सीट निर्दलीय विधायक के पास है. दिग्विजय सिंह राजगढ़ से दो बार सांसद चुने जा चुके हैं. फिलहाल इस सीट पर बीजेपी का कब्जा है और रोडमल नागर यहां के सांसद हैं.


राजगढ़ लोकसभा सीट पर ये थे 2014 के नतीजे
राजगढ़ लोकसभा सीट मध्य प्रदेश के चंबल इलाके में आती है. 2014 के लोकसभा चुनाव में इस सीट से बीजेपी के रोडमल नागर ने 5 लाख 96 हजार 727 वोट हासिल किये थे और 2 लाख 28 हजार 737 वोटों के भारी अंतर से जीत दर्ज की थी. राजगढ़ लोकसभा सीट पर दूसरे स्थान पर कांग्रेस के नारायण सिंह रहे थे जिन्होंने 3 लाख 67 हजार 990 वोट हासिल किये थे. बीएसपी के शिवनारायण वर्मा 13 हजार 864 वोट पाकर तीसरे तो NOTA 10 हजार 292 वोट पाकर चौथे स्थान पर था.


इस वजह से कठिन सीट पर दिग्विजय को चुनाव लड़ाना चाहती है कांग्रेस
मध्य प्रदेश में कांग्रेस चाहती है कि जहां जीत थोड़ा मुश्किल है वहां मजबूत कैंडिडेट को बीजेपी के खिलाफ टिकट दिया जाए. चूंकि दिग्विजय 10 साल तक मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री रह चुके हैं और लगभग हर क्षेत्र में उनकी मजबूत पकड़ है, इसलिए उन्हें कठिन सीटों पर जिताऊ उम्मीदवार माना जा रहा है.


ये हैं कांग्रेस के लिए कठिन सीटें
विदिशा- विदिशा से केंद्रीय मंत्री और वर्तमान सांसद सुषमा स्वराज के चुनाव लड़ने से इंकार किए जाने के बाद से इस संसदीय क्षेत्र से शिवराज सिंह चौहान या उनकी पत्नी साधना सिंह के चुनाव लड़ने की चर्चा जोरों पर है. यह शिवराज का प्रभाव वाला क्षेत्र है लिहाजा पार्टी शिवराज को यहां से चुनाव लड़ाकर उन्हें एक क्षेत्र तक सीमित नहीं करना चाहेगी, उनका राज्य और बाहर उपयोग किया जाएगा. इस स्थिति में उनकी पत्नी को पार्टी चुनाव मैदान में उतार सकती है. इस लोकसभा सीट पर विधानसभा की आठ सीटें हैं जिसमें 6 पर बीजेपी तो 2 पर कांग्रेस का कब्जा है. 2014 के लोकसभा चुनाव में इस सीट से सुषमा स्वराज ने 7 लाख 14 हजार 348 वोट हासिल किये थे और 4 लाख 10 हजार 698 वोटों के भारी अंतर से जीत दर्ज की थी.


भोपाल- कांग्रेस 30 साल से भोपाल लोकसभा सीट से दूर है. इसलिए अब वो राजधानी में बीजेपी के इस किले को तोड़ने का लक्ष्य लेकर चल रही है. 2014 के लोकसभा चुनाव में इस सीट से बीजेपी के आलोक संजर ने 7 लाख 14 हजार 178 वोट हासिल किये थे और 3 लाख 70 हजार 696 वोटों के भारी अंतर से जीत दर्ज की थी. भोपाल की आठ विधानसभा सीटों में से 5 पर बीजेपी तो 3 पर कांग्रेस का कब्जा है.


इंदौर- बीजेपी की दिग्गज नेता और लोकसभा स्पीकर सुमित्रा महाजन, इंदौर क्षेत्र की लोकसभा में साल 1989 से लगातार नुमाइंदगी कर रही हैं. इस बार के लोकसभा चुनाव में भी इंदौर सीट से उन्होंने दावेदारी पेश की है. इंदौर लोकसभा सीट पर विधानसभा की आठ सीटें हैं जिसमें चार पर बीजेपी तो वहीं चार पर ही कांग्रेस का कब्जा है. 2014 के लोकसभा चुनाव में इस सीट से सुमित्रा महाजन (ताई) ने 8 लाख 54 हजार 972 वोट हासिल किये थे और 4 लाख 66 हजार 901 वोटों के भारी अंतर से जीत दर्ज की थी.


ये थे राज्य में विधानसभा चुनाव के नतीजे
राज्य में 2018 में हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को पूर्ण बहुमत नहीं मिला है, उसने बीएसपी, एसपी और निर्दलीय विधायकों के सहयोग से सरकार बनाई है. राज्य की 230 विधानसभा सीटों में कांग्रेस को 114, बीजेपी को 109 सीटें मिली है. वहीं बीएसपी दो, एसपी एक और निर्दलीय चार स्थानों पर जीते हैं. वहीं वोट प्रतिशत बीजेपी का कांग्रेस से ज्यादा है. लोकसभा की 29 सीटों में से बीजेपी के पास 26 और कांग्रेस के पास तीन सीटें हैं. अब कांग्रेस लोकसभा सीटों के फासले को कुछ कम करना चाहती है.


मध्य प्रदेश में 29 अप्रैल, 6 मई, 12 मई और 19 मई को चार चरणों में चुनाव होंगे. लोकसभा चुनाव सात चरणों में 11 अप्रैल से 19 मई तक होंगे. वहीं गुरुवार 23 मई को नतीजों का एलान किया जाएगा.


मध्य प्रदेश
पहला चरण- 29 अप्रैल- सीधी, शहडोल,जबलपुर, मंडला, बालाघाट, छिंदवाड़ा.
दूसरा चरण- 6 मई- टीकमगढ़, दमोह, खजुराहो, सतना, रीवा, होशंगाबाद, बैतूल
तीसरा चरण- 12 मई- मुरैना, भिंड, ग्वालियर, गुना, सागर, विदिशा, भोपाल, राजगढ़.
चौथा चरण- 19 मई- देवास, उज्जैन, मंदसौर, रतलाम, धार, इंदौर, खरगौन, खंडवा.


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