मध्य प्रदेश: दो मासूमों के साथ बलात्कार करने वाले दरिंदे को 9 महीने में दो बार उम्रकैद की सजा
मध्य प्रदेश के भिंड जिले की सेशन कोर्ट ने एक आरोपी को महज 9 महीने के भीतर दो बार आजीवन कारावास की सजा सुनाई है.
भोपाल: अक्सर सुनने में आता है कि बच्चियों से बलात्कार की घटना पर न्याय में देरी हो जाती है. लेकिन इससे इतर मध्य प्रदेश के भिंड जिले की सेशन कोर्ट ने एक आरोपी को महज 9 महीने के भीतर दो बार आजीवन कारावास की सजा सुनाई है.
पहली वारदात- 25 मई 2018 की शाम लगभग 5 बजे पुष्पेंद्र सिंह नाम का एक शख्स घर के बाहर खेल रही 3 साल की बच्ची को बहला फुसला कर अपने साथ ले गया. जिसके बाद उसने उस बच्ची को एक अंडर कंस्ट्रक्शन बिल्डिंग में ले जाकर उसके साथ बलात्कार किया. पुलिस ने मेडिकल जांच करवाने के बाद पोक्सो एक्ट लगाकर एफआईआर दर्ज कर आरोपी को गिरफ्तार किया. आरोपी की गिरफ्तारी के बाद मामला कोर्ट में जस्टिस श्वेता गोयल की बेंच पर पेश किया गया. कुछ दिनों बाद बच्ची के पिता से रहा न गया तो उसने वहां के सरकारी वकील सुशील शर्मा से न्याय दिलाने की गुहार लगाई. जिसके बाद सरकारी वकील अपनी सूझबूझ और मेहनत से आरोपी को 9 महीने के अंदर सजा दिलाने में कामयाब रहे.
दूसरी वारदात- यह मामला भी भिंड जिले का ही है जहां पहली घटना के 5 महीने के अंदर बलात्कार करने वाले दरिंदे पुष्पेंद्र सिंह ने फिर से एक 5 साल की बच्ची को अपनी हवस का शिकार बना डाला. दरअसल, 5 साल की बच्ची को दरिंदे पुष्पेंद्र ने शाम 5 बजे अपने घर के पास बने टीन शेड के अंदर ले जाकर उसके साथ बलात्कार करने की कोशिश की. इस दौरान बच्ची ने शोर मचाया और खुद को बचाने की कोशिश की. जिसके बाद दरिंदे ने उसे बुरी तरह पीटा और उसी के पायजामे से उसका गला घोंटने की कोशिश की जिससे बच्ची बेहोश हो गई.
मौके का फायदा उठाकर दरिंदे ने बेहोशी की हालत में ही उसके साथ बलात्कार किया और वहां से फरार हो गया. जब बच्ची को होश आया तो वह रोती बिलखती अपने घर पहुंची और पूरी दास्तां सुनाई. जिसके बाद घर वालों ने पुलिस थाने में बलात्कार के बाद हत्या करने की कोशिश और पोक्सो एक्ट तहत मामला दर्ज करवाया.
हालांकि पुष्पेंद्र पर पहले से ही एक बलात्कार का मामला चल रहा था इसलिए पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर 5 साल की उस मासूम से ही दरिंदे पुष्पेंद्र की शिनाख्त करवाई. इसके बाद यह मामला भी पिछले मामले की तरह जस्टिस श्वेता गोयल की बेंच पर पहुंचा और सरकारी वकील भी सुशील शर्मा ही थे. लेकिन इस बार 9 की बजाय बस 4 महीने में इस मामले में 20 फरवरी 2019 को आजीवन कारावास की सजा सुनाई.
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