मुंबई: दुनियाभर में कोरोना से इलाज करने के लिए अब तक कोई दवा बनी नहीं है. मेडिकल एक्सपर्ट अलग-अलग तरीकों से मरीजों के इलाज की कोशिश कर रहे हैं. प्लाज्मा थेरेपी इन में से ही एक चर्चा का विषय है. बड़े पैमाने पर इसका इस्तेमाल किया जा रहा है. महाराष्ट्र में अब तक 60 हज़ार से ज्यादा मरीज कोरोना से रिकवर कर चुके हैं. प्लाज्मा थेरेपी के लिए ब्लड की जरूरत होती है लेकिन कोरोना वायरस से रिकवर कर चुके मरीज महाराष्ट्र में ब्लड डोनेट करने के लिए आगे नहीं आ रहे हैं.


अब तक केवल सौ के आसपास मरीजों ने अपना ब्लड डोनेट किया है. महाराष्ट्र सरकार अपील कर रही है कि मरीज आगे आएं और अपना ब्लड डोनेट करें ताकि लोगों की जान बच सके. महाराष्ट्र में अब तक तकरीबन 67 हज़ार मरीज कोरोना से रिकवर कर चुके हैं. जिन मरीजों की स्थिति खराब है कई बार उनके इलाज के लिए प्लाज्मा थेरेपी तकनीक का इस्तेमाल हो रहा है. इसके लिए कोरोना वायरस कवर कर चुके मरीजों के ब्लड से प्लाज्मा निकालने की जरूरत है.


कुल रिकवर कर चुके मरीजों में अब तक केवल तकरीबन 180 मरीज़ों ने ही अपना ब्लड डोनेट किया है. ज्यादातर मरीज ब्लड डोनेट करने से बच रहे हैं. उनके मन में डर है. लोगों को ऐसा लगता है कि खून देने से उनके शरीर में एंटीबॉडी कम हो सकती है या फिर उनके इम्युनिटी पर असर पड़ सकता है.


 महाराष्ट्र में कोरोना का आंकड़े लगातार बढ़ रहे हैं. चुनौती भी बढ़ती जा रही है. ऐसे में प्रशासन अपील कर रहा है कि जनता आगे आए और जो रिकवर कर चुके हैं वह अपना ब्लड डोनेट करें.


मुंबई कि मेयर किशोरी पेडणेकर भी यही अपील कर रहे हैं. उनकी अपील है कि कोरोना से रिकवर कर चुके मरीजों के ब्लड डोनेट करने के लिए अलग व्यवस्था बनाई गई है. लोग आगे आए ब्लड डोनेट करें. मुंबई में ही करोना के मरीजों का इलाज करते-करते बीमार होकर ठीक हो चुके डॉक्टर जलील यही कह रहे हैं कि लोगों की जान बचाने के लिए प्लाज्मा डोनेट करने की जरूरत है. इनका कहना है कि लोग आगे आएं और प्लाज्मा डोनेट करें. आज मेडिकल एक्सपर्ट्स एक स्वर में रिकवर कर चुके मरीजों से ब्लड डोनेट करने की अपील कर रहे हैं.


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