चीनी कंपनियों के साथ होल्ड पर रखे 5000 करोड़ के करार को महाराष्ट्र सरकार ने दिखाई हरी झंडी
महाराष्ट्र सरकार का ये मानना है कि कोरोना से बने आर्थिक संकट से उबरने के लिए इस निवेश को मंज़ूरी देना आज की जरुरत है.
मुंबई: महाराष्ट्र की महाविकास गठबंधन की सरकार ने चीनी कंपनियों के साथ होल्ड पर रखे करार को हरी झंडी दिखा दी है. भारत-चीन सीमा विवाद और हमारे जनावों की शहादत के बाद ठाकरे सरकार ने तीन चीनी कंपनियों के साथ किए 5000 करोड़ के करार को होल्ड पर रखा था, लेकिन दोनों देशों के बीच हो रही सकारात्मक बातचीत और तनाव कम होने से राज्य सरकार ने ये प्रोजेक्ट आगे बढ़ाने में कोई दिक्कत नहीं आने की उम्मीद जताई.
राज्य के उद्योग मंत्री सुभाष देसाई ने जानकारी दी, "पहले की स्थिती और आज की स्थिती में अंतर है. हमें आज सुबह ही पता चला कि दोनों देश की बीच हालात सुधर रहे हैं. हमें विश्वास है कि आर्थिक करार को आगे बढ़ाने में भविष्य में कोई समस्या नहीं होगी और हम ये करार आगे ले जा सकेंगे."
सरकार का ये मानना है कि कोरोना से बने आर्थिक संकट से उबरने के लिए इस निवेश को मंज़ूरी देना आज की जरुरत है. इससे पहले सरहद पर हमारे बहादुर जवानों की शहादत के बाद ठाकरे सरकार ने 5000 करोड़ के इस चीनी निवेश को होल्ड पर रख दिया था. कोरोना से बने आर्थिक संकट से उबरने के लिए महाराष्ट्र सरकार ने हाल ही में मुंबई में हुए मैगनेटिक महाराष्ट्र 2.0 इन्वेस्टर मीट का आयोजन किया.
इस मीट में महाराष्ट्र की ठाकरे सरकार ने तीन चीनी कंपनी GMW (ग्रेट वॉल मोटर्ज़), PMI इलेक्ट्रो मोबिलिटी और FOTON (China), HELGI Engineering के साथ करार किया. ये तीनों कंपनियां 5000 करोड़ का महाराष्ट्र में निवेश करने जा रही थीं. ये करार 15 जून को हुआ था. मंगलवार को भारत सीमा विवाद में 20 जवानों की शहादत की खबर आई और महाराष्ट्र सरकार ने फ़ौरन देशहित में ये एग्रीमेंट आगे नहीं ले जाने का निर्णय लिया था.
राज्य के उद्योग मंत्री सुभाष देसाई ने उस समय एबीपी न्यूज़ को जानकारी दी थी, "ये तीनों करार गलवान घाटी में हमारे जवानों पर हुए हमले से पहले हुए थे. जवानों की शहादत के बाद केंद्र सरकार से सलाह मशविरा करके हमने इस प्रोजेक्ट को होल्ड करने का निर्णय लिया है. केंद्र सरकार ने राज्य सरकार से भविष्य में चीनी कंपनियों के साथ कोई भी करार नहीं करने की सूचना दी है, हम इस मामले पर केंद्र सरकार के साथ हैं."
जानकारी के मुताबिक़ बीते 15 जून को हुए ऑनलाइन इन्वेस्टर मीट में कुल 12 MOU साइन किए गए थे. जिनमें चीन के अलावा सिंगापूर, अमेरिका, साउथ कोरिया जैसे देशों की कंपनियां भी थीं. ठाकरे सरकार उस वक्त चीन की तीन कंपनियों को छोड़कर अन्य 9 कंपनियों के साथ हुए एग्रामेंट को आगे बढ़ाने वाली थी.
सराकर से मिली जानकारी के मुताबिक, जिन चीनी कंपनियों के साथ करार करार किया गया था, उनकी जानकारी कुछ इस प्रकार है:-
GMW (ग्रेट वॉल मोटर्ज़) कंपनी के साथ पुणे, तलेगांव में 3770 करोड़ का ऑटोमोबाइल प्लांट का एग्रीमेंट.
PMI इलेक्ट्रो मोबिलिटी और Foton (China) के साथ 1000 करोड़ का पुणे के तलेगांव में प्रोजेक्ट.
HELGI engineering के साथ पुणे के तलेगांव में ही ढाई सौ करोड़ के प्रोजेकट के लिए करार.
ठाकरे सरकार का ये निर्णय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ हुई सर्वदलीय बैठक के बाद आ रहा है. इस बैठक में मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने प्रधानमंत्री पर भरोसा जताते हुए कहा था कि वो और पूरा देश उनके साथ है. उद्धव ठाकरे ने कहा था, "भारत शांति चाहता है. इसका मतलब ये नहीं की हम कमजोर हैं. भारत मज़बूत है, मजबूर नहीं. हमारी सरकार में मुंह तोड़ जवाब देने की काबीलियत है. हम सब एक हैं. हम सरकार के साथ हैं. हम प्रधानमंत्री के साथ हैं. हम हमारे जवान और उनके परिवारों के साथ खड़े हैं."
चीन की आर्थिक मोर्चे पर घेराबंदी करने के लिए देश के हर कोने से चीनी सामान का बहिष्कार हो रहा है. चीनी सामान हो या चीनी कंपनियां सभी का देश निकाला हो रहा है. वहीं, ठाकरे सरकार का पहले हां फिर ना और अब फिर हां को विपक्ष यू टर्न करार दे रहा है.
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