मुंबई: महाराष्ट्र की महाविकास गठबंधन की सरकार ने चीन को एक बहुत बड़ा झटका दिया है. महाराष्ट्र की ठाकरे सरकार ने तीन चीनी कंपनियों के साथ किए 5000 करोड़ रुपये के करार को होल्ड करते हुए एक स्पष्ट संदेश दिया है कि हमारे वीर जवानों की शहादत और देशप्रेम के आगे कुछ मायने नहीं रखता.


कोरोना से बने आर्थिक संकट से उबरने के लिए महाराष्ट्र सरकार ने हाल ही में मुंबई में हुए मैग्नेटिक महाराष्ट्र 2.0 इन्वेस्टर मीट का आयोजन किया था. इस मीट में महाराष्ट्र की ठाकरे सरकार ने तीन चीनी कंपनी GMW (ग्रेट वॉल मोटर्ज़), PMI इलेक्ट्रो मोबिलिटी और FOTON (China), HELGI Engineering के साथ करार किया. ये तीनों कंपनियां 5000 करोड़ रुपये का महाराष्ट्र में निवेश करने जा रही थीं. ये करार बीते सोमवार को हुआ था. मंगलवार को भारत सीमा विवाद में 20 जवानों की शहादत की खबर आई और महाराष्ट्र सरकार ने फौरन देशहित में ये एग्रीमेंट आगे ना ले जाने का निर्णय लिया.


राज्य के उद्योग मंत्री सुभाष देसाई ने एबीपी न्यूज़ को जानकारी दी, "ये तीनों करार गलवान घाटी में हमारे जवानों पर हुए हमले से पहले हुए थे. जवानों की शहादत के बाद केंद्र सरकार से सलाह मशविरा करके हमने इस प्रोजेक्ट को होल्ड करने का निर्णय लिया है. केंद्र सरकार ने राज्य सरकार से भविष्य में चीनी कंपनियों के साथ कोई भी करार नहीं करने की सूचना दी है. हम इस मामले पर केंद्र सरकार के साथ हैं."


जानकारी के मुताबिक बीते सोमवार को हुए ऑनलाइन इन्वेस्टर मीट में कुल 12 MOU साइन किए गए थे. जिनमें चीन के अलावा सिंगापुर, अमरिका, साउथ कोरिया जैसे देशों की कंपनियां भी थीं. ठाकरे सरकार चीन की तीन कंपनियों के छोड़कर अन्य 9 कंपनियों के साथ हुए एग्रीमेंट को आगे बढ़ाने वाली है.


सराकर से मिली जानकारी के मुताबिक, जिन चीनी कंपनियों के साथ करार करार किया गया था, उनकी जानकारी कुछ इस प्रकार है:-


GMW (ग्रेट वॉल मोटर्ज़) कंपनी के साथ पुणे, तलेगांव में 3770 करोड़ का ऑटोमोबाइल प्लांट का एग्रीमेंट.


PMI इलेक्ट्रो मोबिलिटी और Foton (China) के साथ 1000 करोड़ का पुणे के तलेगांव में प्रोजेक्ट.


HELGI engineering के साथ पुणे के तलेगांव में ही ढाई सौ करोड़ के प्रोजेकट के लिए करार.


ठाकरे सरकार का ये निर्णय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ हुई सर्वदलीय बैठक के बाद आ रहा है. इस बैठक में मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने प्रधानमंत्री पर भरोसा जताते हुए कहा था कि वो और पूरा देश उनके साथ है. उद्धव ठाकरे ने कहा था, "भारत शांति चाहता है. इसका मतलब ये नहीं की हम कमजोर हैं. भारत मज़बूत है, मजबूर नहीं. हमारी सरकार में मुंह तोड़ जवाब देने की काबीलियत है. हम सब एक हैं. हम सरकार के साथ हैं. हम प्रधानमंत्री के साथ हैं. हम हमारे जवान और उनके परिवारों के साथ खड़े हैं."


चीन की आर्थिक मोर्चे पर घेराबंदी करने के लिए देश के हर कोने से चीनी सामान का बहिष्कार हो रहा है. चीनी सामान हो या चीनी कंपनियां सभी का देश निकाला हो रहा है. ऐसे में ठाकरे सरकार के इस कदम में भी ये बता दिया गया है कि हमारे लिए हमारा देश और हमारे सैनिकों का बलिदान सबसे ऊपर है.


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