महाराष्ट्र स्टेट इलेक्ट्रिसिटी बोर्ड का एलान, कर्मचारियों की कोरोना से मौत होने पर मिलेगा 30 लाख का अनुदान
ऊर्जा मंत्री नितिन राउत ने कहा कि कोरोना के इस संकट के समय बड़े पैमाने पर बिजली उत्पादन की प्रक्रिया में कई महत्वपूर्ण जिम्मेदारियों को निभाने के लिए कर्मचारी जोखिम उठाकर अपने कर्तव्यों का पालन कर रहे हैं.
मुंबई: कोरोना संकट के दौरान ज़रूरी सेवाओं से जुड़े लोग कोरोना संक्रमण का शिकार होकर जान गवां रहे हैं. कोरोना संकट काल के दौरान बिजली आपूर्ति बाधित ना हो, इसलिए महाराष्ट्र स्टेट इलेक्ट्रिसिटी बोर्ड के कर्मचारी दिन रात काम कर रहे हैं. महाराष्ट्र के ऊर्जा मंत्री नितिन राउत ने इस तरह का महत्वपूर्ण निर्णय लिया है. कोरोना से मौत होने पर महावितरण (MSEB -महाराष्ट्रा स्टेट इलेक्ट्रिसिटी बोर्ड) से जुड़े कर्मचारियों के वारिसों को 30 लाख तक का अनुदान मिलेगा.
ऊर्जा मंत्री नितिन राउत ने कहा, "संकट के समय बिजली के कामकाज को लेकर अपना कर्तव्य का निर्वाह करने वाले कर्मचारियों की मौत अगर कोरोना के कारण होती है, तो उस सबंधित कर्मचारी के वारिसों को 30 लाख रुपये का अनुदान प्रदान करने का ये एक महत्वपूर्ण निर्णय लिया गया है. साथ ही इस कार्यकाल में चाहे कॉन्ट्रैक्ट वर्कर्स की मौत के साथ-साथ, अलग-अलग कॉन्ट्रैक्टर्स के जरिए महावितरण में काम करने वाले सभी मजदूर और सिक्योरिटी गार्ड्स की भी अगर कोरोना के कारण मौत होती है, तो उनके भी वारिसों को 30 लाख रुपये का अनुदान इस निर्णय के मुताबिक दिया जाएगा. इसके अलावा ऊर्जा मंत्री नितिन राउत ने ये भी कहा है कि कोरोना के इस संकट के समय बड़े पैमाने पर बिजली उत्पादन की प्रक्रिया में कई महत्वपूर्ण जिम्मेदारियों को निभाने के लिए कर्मचारी जोखिम उठाकर अपने कर्तव्यों का पालन कर रहे हैं. इन कर्मचारियों की सुरक्षा के साथ-साथ उनके परिवारों के भविष्य के बारे में ऊर्जा विभाग की गंभीरता को देखते हुए यह महत्वपूर्ण निर्णय लिया है.
लेकिन इसमें ध्यान देना होगा कि महावितरण से जुड़े जिस किसी भी कर्मचारी की मौत कोरोना से होगी, उसे ये अनुदान का लाभ मिलने के लिए...मौत का कारण कोरोना..ये मेडिकल सर्टिफिकेट या प्रमाणपत्र, फिर चाहे ये प्रमाणपत्र सरकारी, पालिका, महानगरपालिका, और आईसीएमआर की ओर से निर्देशित निजी अस्पताल या लैब के जरिये दिया होना चाहिए. इस निर्णय के मुताबिक दिए जाने वाले अनुदान को प्राप्त करने के लिये कर्मचारियों की रोजाना की उपस्थिति और सरकार की ओर से लागू किए गए नियमों और शर्तों के मुताबिक तय किये गए हैं.
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