मुंबई: महाराष्ट्र की उद्धव ठाकरे सरकार और राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी के बीच फिर एक बार टकराव हो सकता है. इस बार टकराव की आशंका 12 विधान परिषद की उन सीटों को लेकर जताई जा रही है जो राज्यपाल के कोटे की हैं. अब तक की प्रक्रिया के मुताबिक मंत्रिमंडल की ओर से सुझाये गये नामों को राज्यपाल इन सीटों पर मनोनीत कर देते हैं, लेकिन जिस तरह की कडुवाहट हाल के वक्त में राज्यपाल और ठाकरे सरकार के बीच देखी गई उसके मद्देनजर माना जा रहा है कि राज्यपाल ऐसा आसानी से करेंगे.


जब से भगत सिंह कोश्यारी महाराष्ट्र के राज्यपाल नियुक्त किए गया हैं तब से शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस के साथ उनका छत्तीस का आंकडा रहा है. जिस तरह से उन्होने 23 नंवबर 2019 की सुबह गुपचुप देंवेंद्र फडणवीस को सीएम पद और अजीत पवार को उपमुख्यमंत्री पद की शपथ दिलाई उससे तीनों पार्टियां उनसे खफा हो गईं. विशेषकर शिवसेना की ओर से कई बार कोश्यारी पर निशाना साधा गया और उनपर राजनीति करने का आरोप लगाया गया. शिवसेना ने यहां तक आरोप लगा दिया कि राजभवन राजनीतिक चालों का अड्डा बन गया है.


पहले भी हो चुकी है टकरार
पिछले महीने भी राज्यपाल के रवैये की वजह से ठाकरे सरकार खतरे में आ गई थी. 28 नवंबर को शपथ लेने के 6 महीने के भीतर ही उद्धव ठाकरे को राज्य विधिमंडल के किसी एक सदन का सदस्य बनना था. चूंकि कोरोना माहामारी की वजह से विधान परिषद के चुनाव टल गये इसलिये राज्य की कैबिनेट ने राज्यपाल कोटे से उनका नाम मनोनीत करने का प्रस्ताव कोश्यारी के पास भेजा.. लेकिन कोश्यारी उस प्रस्ताव पर कोई फैसला नहीं ले रहे थे.


28 नवंबर को 6 महीने पूरे हो रहे थे और अगर ठाकरे तब तक विधान परिषद के सदस्य नहीं चुने जाते तो उन्हें इस्तीफा देना पड़ता और तीन पार्टियों की गठबंधन सरकार गिर जाती. गनीमत रही कि चुनाव आयोग ने खाली पडी 9 सीटों पर चुनाव कराने की पेशकश मान ली और उनमें से एक सीट पर ठाकरे मनोनीत हो गये, उनकी सरकार बच गई.


राज्यपाल ने फिर किया विरोध..
इसके बाद यूनिवर्सिटी की परीक्षाओं को रद्द करने के राज्य सरकार के फैसले का भी राज्यपाल ने विरोध किया. इस बीच बीजेपी नेता नारायण राणे राज्यपाल से मिलने चले गये और राजभवन से बाहर निकल कर उन्होने कि महाराष्ट्र सरकार कोरोना महामारी से निपटने में नाकाम साबित हुई है और राज्य में राष्ट्रपति शासन लगा देना चाहिये. उनके इस बयान से सियासी हलकों में आशंका जताई जाने लगी कि कहीं बीजेपी, राज्यपाल की मदद से ठाकरे सरकार को गिराने की कोई साजिश तो नहीं रच रही. विवाद तब थमा जब देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि बीजेपी का सरकार को गिराने का कोई इरादा नहीं है और सरकार अपने अंतर्विरोध के कारण खुद ब खुद गिर जायेगी.


अब राज्यपाल और ठाकरे सरकार के बीच ताजा टकराव विधान परिषद की राज्यपाल कोटे की सीट को लेकर आशंकित हैं. कुल 12 सीटों को शिव सेना, एनसीपी और कांग्रेस आपस में बांटेंगीं और कैबिनेट के जरिये अपने उम्मीदवारों के नाम राज्यपाल को भेजेंगीं. आमतौर पर इस सीटों को लिये उन लोगों को उम्मीदवारी दी जायेगी जिन्हें विधान सभा और परिषद के चुनाव में टिकट नहीं दिया जा सका, जो दूसरी पार्टी से आये हैं और जिनका राजनीतिक पुनर्वसन करना है. अब ये देखना दिलचस्प होगा कि कोश्यारी इन नामों को मंजूरी दे देते हैं या फिर ठाकरे सरकार से टकराव का तेवर अपनाते हैं.


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