पटना: बिहार में गंगा नदी पर महात्मा गांधी सेतु पर चल रहे मरम्मती के काम में घोटाले के आरोप का जवाब आज बिहार सीएम प्रेस रिलीज ग्रुप में आया. यह प्रेस रिलीज आरके मिश्रा, टीम लीडर, ऑथोरिटी इंजीनियर, महात्मा गांधी सेतु की तरफ से आया है. प्रेस रिलीज में सेतु के मरम्मत को लेकर छपी खबरों का हवाला देकर सफाई दी गई है. कांग्रेस के प्रवक्ता प्रेमचन्द्र मिश्रा ने गंगा नदी में पर बने गांधी सेतु पुल के मरम्मत में घोटाले का आरोप लगाते हुए पथ निर्माण मंत्री नन्द किशोर यादव को बर्खास्त करने की मांग की थी. हालांकि नन्द किशोर यादव ने अपना पल्ला झाड़ केंद्र सरकार पर फेंक दिया था.


प्रेस रिलीज में क्या कहा गया?


इसमें लिखा है कि सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय, यानी एनएचएआई भारत सरकार द्वारा महात्मा गांधी सेतु का मरम्मत कराया जा रहा है. इस योजना में पुराने सुपर स्ट्रक्चर को हटाकर नया स्टील स्ट्रक्चर लगाया जा रहा है. यह काम एनएचएआई, भारत सरकार एक एजेंसी के माध्यम से कॉन्ट्रैक्ट के ज़रिए कराया जा रहा है. मरम्मत का काम ठीक से चले इसकी निगरानी के लिए टेंडर की शर्तों के मुताबिक खास इंजीनियर की तैनाती ऑथोरिटी के द्वारा की गई है. समाचार में जीर्णोद्धार कार्य में कमजोर गुणवत्ता के स्टील का प्रयोग की खबरें छपी हैं. इन खबरों का खंडन करते हुए तकनीकी जानकारी दी गई है.


इसके साथ ही इसमें कहा गया कि टेंडर के Schedule D में एजेंसी द्वारा High Performance Weathering Steel (HPS) का उपयोग मात्र मार्गदर्शन स्वरूप है. Schedule D के Annexure-I में प्रावधान है कि IRC अथवा मंत्रालय के विशिष्टियों के अनुरूप स्टील का प्रयोग भी Authority Engineer के अनुमोदन से किया जा सकता है.  HPS (Fe 355) का इस्तेमाल Mild Steel (Fe 250) के स्थान पर किए जाने के आधार पर शुरुआत में एजेंसी द्वारा HPS 70 W स्टील का इस्तेमाल किया गया लेकिन भारत में इसकी व्यापक अनुपलब्धता एवं परियोजना अवधि के मद्देनज़र E410 C (उच्च कोटि स्टील) Metalizing के साथ करने का अनुरोध एजेंसी द्वारा किया गया. Fe 355 और Fe 250 के मुकाबले E410C के बेहतर केमिकल एवं मैकेनिकल गुण है. निविदा शर्तों के तहत अथॉरिटी इंजीनियर द्वारा इसे एग्जामिन किया गया.


इसकी पुष्टि आईआईटी मुंबई द्वारा की गई है. E410 ग्रेड स्टील का उपयोग रेलवे के गाजीपुर रेल सह रोड पुल, चेनाब पुल, गजौल डूबा पुल (सिलीगुड़ी), मुम्बई-घाटकोपर लिंक फ्लाई ओवर आदि में भी किया गया है.


समाचार में पुराने सुपर स्ट्रक्चर को हटाने की प्रक्रिया के बारे में भी खबरें छपी हैं. तथ्य यह है कि कॉन्ट्रैक्ट में सुपर स्ट्रक्चर को तोड़ने की प्रक्रिया का निर्धारण एजेंसी को करना है. एजेंसी द्वारा प्रस्तावित प्रक्रिया की सहमति ओथोरिटी इंजीनियर द्वारा किया गया, जिसके के बाद ही तोड़ने का कार्य किया है.  पुल के स्पैन P1 से P 26 (लैंड स्पैन) क्रश करके तथा P 27 से P 46  (वाटर स्पैन) कटिंग प्रक्रिया अपनाकर तोड़े  गए हैं. टूटने के बाद  मलबा गंगा नदी में नहीं गिरे, इसे सुनिश्चित किया गया है. इसके लिए बाकायदा ओथोरिटी इंजीनियर द्वारा पर्यावरण विशेषज्ञ की नियुक्ति हुई, जिसकी निगरानी रखकर इस शर्त का अनुपालन करवाते हैं. गंगा नदी के पानी की जाँच भी पुल के दोनों और की जाती रही है.