नई दिल्ली: भोपाल की नवनिर्वाचित सांसद प्रज्ञा सिंह ठाकुर को 2008 के मालेगांव बम विस्फोट मामले में सोमवार को यहां की एक विशेष अदालत में पेश होने से छूट नहीं मिल पाई. प्रज्ञा इस मामले में आरोपी हैं. राष्ट्रीय जांच एजेंसी के विशेष न्यायाधीश वी एस पडालकर ने अदालत में पेश होने से छूट के लिए दिए गए प्रज्ञा के आवेदन को ठुकरा दिया. आवेदन में प्रज्ञा ने कहा था कि उन्हें संसद से जुड़ी कुछ औपचारिकताएं पूरी करनी हैं. लेकिन पडालकर ने उनका आवेदन अस्वीकृत करते हुए कहा कि मामले में फिलहाल जो स्थिति है उसमें उनकी उपस्थिति अनिवार्य है.
अदालत ने प्रज्ञा को इस सप्ताह पेश होने का आदेश दिया. अदालत ने कहा ''छूट के लिए आवेदन में बताए गए, चुनाव प्रक्रिया पूरी करने संबंधी, नामांकन और अन्य कारणों को स्वीकार नहीं किया जा सकता.'' अदालत के अनुसार, आरोपी (प्रज्ञा) ने अदालत में मौजूद रहने की बात कही लेकिन ऐसा करने में नाकाम रही. अदालत ने कहा कि शुरू में पेश होने से छूट दी गई थी.
अदालत ने कहा कि अभियोजन पक्ष आरोपियों के खिलाफ अपना मामला साबित करने के लिए सबूत पुख्ता करने की खातिर गवाहों को बुला रहा है. इसलिए आरोपी की मौजूदगी आवश्यक है. साथ ही अदालत ने कहा कि अतीत के कई आदेशों में सुप्रीम कोर्ट ने निचली अदालतों से ऐसे मामलों का तेजी से निपटारा करने की जरूरत पर जोर दिया है जिनमें राजनीतिक हस्तियां शामिल हैं.
मालेगांव मामले में सात आरोपियों के खिलाफ मामले पर सुनवाई कर रही अदालत ने इस साल मई में, सभी को सप्ताह में कम से कम एक बार अपने समक्ष पेश होने का आदेश दिया था. अदालत ने कहा था कि ठोस कारण बताए जाने पर ही पेश होने से छूट दी जाएगी. दो सप्ताह पहले अदालत ने प्रज्ञा और दो अन्य आरोपियों...लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद पुरोहित और सुधाकर चतुर्वेदी को एक सप्ताह के लिए पेश होने से छूट दी थी.
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