रायपुर: छत्तीसगढ़ के कोरिया जिले के मध्य प्रदेश-छत्तीसगढ़ बॉर्डर पर प्रशासन की लापरवाही से एक बुज़ुर्ग की जान चली गई. कोरिया ज़िले के चिरमिरी में रहने वाले निलेश मिश्रा अपने 78 वर्ष के पिता केशव मिश्रा को लेकर मध्य प्रदेश के उमरिया से बिलासपुर जा रहे थे. अचानक केशव मिश्रा की तबीयत बिगड़ जाने की वजह से उन्हें उनके बेटे निलेश मिश्रा ने कोरिया जिले के अस्पताल की ओर रवाना हुए.
इसी दौरान कोरिया ज़िले के मनेंद्रगढ़ के घुटरीटोला के पास मध्य प्रदेश-छत्तीसगढ़ बॉर्डर में पुलिस ने जांच के नाम पर उन्हें रोक लिया. पास दिखाने के बाद भी पुलिस नहीं मानी. परिवार का आरोप है की काफ़ी मिन्नतों के बाद भी पुलिस प्रक्रिया में देरी करती रही. कोरिया ज़िले में प्रवेश करने की इजाज़त देने की बजाय दूसरा रास्ता सुझाती रही. पुलिस कहती रही कि बिलासपुर जाने का रास्ता मध्य प्रदेश से होकर भी है. लेकिन पुलिस ये भूल गई की तबीयत में थोड़ी सुधार के लिए केशव मिश्रा को नज़दीकी अस्पताल की ज़रूरत थी.
परिवार वालों का आरोप है कि अगर उन्हें जाने दिया जाता और समय से इलाज मिल जाता तो केशव मिश्रा की जान बचाई जा सकती थी. परिवार का यह भी आरोप है की क़रीब डेढ़ घंटे बॉर्डर पर रोका गया.
बेटे ने जो बताया, उसे सुन किसी का भी कलेजा कांप जाए
केशव मिश्रा के बेटे ने रोते-बिलखते हुए एबीपी न्यूज़ को फ़ोन पर जो जानकारी दी उसे सुनकर किसी का भी कलेजा कांप जाएगा. निलेश मिश्रा की मानें तो जब वो अपने पिता को बॉर्डर पर लेकर आए तो उनके पिता होश में थे और वो बात भी कर रहे थे. बॉर्डर से गुजरने की इजाजत में हो रही देरी को देखकर वो खुद कार से बाहर निकले और दूर से ही हाथ जोड़कर इशारा करने लगे.
उनके बेटे जब उनके पास पहुंचे तो पिता ने कहा मेरी हालात बताओ और मेरी तरफ़ से आग्रह करो. ऐसा करने पर पुलिस मान जाएगी. बेटे ने अपने पिता की जान बचाने के लिए हर प्रयास किया. हाथ जोड़, प्रशाशन के सामने गिड़गिड़ाए और पैर पकड़ने तक की बात कही, लेकिन उनकी किसी ने एक न सुनी. प्रक्रिया में प्रशासन ने इतनी देर कर दी कि मौक़े पर ही केशव मिश्रा की मौत हो गई. परिवार का यह भी आरोप है कि बॉर्डर पर बैठे लोगों ने कह दिया उन्हें ई-पास देखने नहीं आता है.
गलती मानने को तैयार नहीं प्रशासन
केशव प्रसाद मिश्रा की मौत की खबर फैलते ही इलाक़े के एसडीएम बॉर्डर पर पहुंचे. जब पत्रकारों ने उनसे सवाल किया कि पुलिस की लापरवाही से एक व्यक्ति की मौत हो गई है, तो घटना को दुखद बताने लगे. परिवार के इस आरोप को कि पुलिस और प्रशासन की लापरवाही ने उनके परिजन की जान ले ली. उन्होंने ख़ारिज कर दिया. कहने लगे डेढ़ घंटे नहीं, केवल कुछ मिनट ही रोका था.