नई दिल्ली: धार्मिक नगरी वाराणसी को जल्द ही 'बनारस' नाम का रेलवे स्टेशन मिलने जा रहा है. रेलवे मंत्रालय मंडुआडीह रेलवे स्टेशन का नाम बदलकर बनारस रेलवे स्टेशन करने पर विचार कर रहा है.


मंडुआडीह, शहर के चार रेलवे स्टेशनों में से एक है. अन्य तीन वाराणसी जंक्शन (जिसे वाराणसी कैंट स्टेशन कहा जाता है), वाराणसी सिटी और काशी हैं.


रेल राज्य मंत्री मनोज सिन्हा ने बताया, "मंडुआडीह रेलवे स्टेशन का नाम बदलने का प्रस्ताव है. मंत्रालय इस बारे में विचार कर रहा है. हमारे पास पहले से ही वाराणसी और काशी नाम पर स्टेशन हैं. बस बनारस नाम बाकी रह गया है."


आम लोगों के बीच वाराणसी की तुलना में बनारस को अधिक प्रचलित माना जाता है. काशी, शहर का प्राचीन नाम है. कहा जाता है कि वाराणसी नाम शहर की दो नदियों, वरुणा और अस्सी के नामों को मिलाकर बना है.


मंडुआडीह, वाराणसी कैंट स्टेशन से करीब चार किलोमीटर दूर है. यहीं पर डीजल लोकोमोटिव वर्क्‍स (डीएलडब्ल्यू) है जहां ट्रेन इंजन के पुर्जे बनते हैं.


रेलवे बोर्ड में राजभाषा सलाहकार दुष्यंत राय ने इस कदम का स्वागत किया है.शहर के निवासी दुष्यंत ने कहा, "बनारस नाम का अर्थ 'बना रहे रस' है. यह शब्द शहर की वास्तविक संस्कृति को दर्शाता है. बनारस में लोग हर चीज लुत्फ उठाते हैं, चाहे गीत-संगीत हो, पूजा-पाठ हो या मिष्ठान-पान."


वाराणसी संभाग के एक शीर्ष रेलवे अधिकारी ने बताया, "मंडुआडीह नाम सुनने में अच्छा नहीं लगता है और यह बनारस की विरासत से उतना नहीं जुड़ पाता है."


वाराणसी के पास स्थित मुगलसराय जंक्शन एक और महत्वपूर्ण स्टेशन है, जिसका नाम भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने उत्तर प्रदेश में सत्ता में आने के बाद अक्टूबर 2017 में बदलकर दीन दयाल उपाध्याय जंक्शन कर दिया.