नई दिल्ली: जब से मुजफ्फरपुर बालिका गृह कांड का मामला सामने आया तब से ही नीतीश कुमार की सरकार विपक्ष के निशाने पर रही है. विपक्ष की तरफ से लगातार बनाए जा रहे दबाव के बाद आज बिहार की समाज कल्याण मंत्री मंजू वर्मा ने इस्तीफा दे दिया. लेकिन ये इस्तीफा देर से आया, ऐसे में सवाल ये उठता है कि आखिर मंजू वर्मा को इस्तीफा देने में इतनी देर क्यों लगी?


दरअसल जब बालिका गृह कांड में मंजू वर्मा के पति पर आरोप लगे तो विपक्ष ने इस्तीफे की मांग शुरू कर दी. विपक्ष की इस मंजू वर्मा पर मंजू वर्मा ने जाति कार्ड खेलते हुए कहा था कि वे कुशवाहा समाज से हैं इसलिए उन्हें टारगेट किया जा रहा है. मंजु वर्मा का ये जाति कार्ड खेलना अपने आप में मायने रखता है.


बिहार में कुशवाहा जाति का वोट परसेंटेज आठ से 10 फीसदी के बीच है, जो चुनाव में किसी भी पार्टी की दशा और दिशा तय कर सकता है. इस बात को नीतीश कुमार भी बखूबी जानते हैं. मंजू वर्मा के इस्तीफे के लिए कोई ठोस वजह भी नीतीश कुमार के पास नहीं थी. लेकिन आज जब मुजफ्फरपुर कांड के मुख्य आरोपी ब्रजेश ठाकुर ने स्वीकार किया कि मंजू वर्मा के पति से उसकी कभी-कभी बात होती थी तो इस बयान के लगभग पांच घंटे बाद ही मंजू वर्मा ने इस्तीफा दे दिया. यानि इस्तीफे के लिए मुख्यमंत्री सही समय के इंतजार में थे.


इस इस्तीफे के साथ ही नीतीश कुमार ने अपनी सरकार की हो रही चौरतरफा आलोचना से बचने का उपाय निकाल लिया. नीतीश ने साफ किया था कि जिसका भी इस मामले में नाम आएगा उसे बख्शा नहीं जाएगा.


हालांकि इस्तीफे के बाद मंजू वर्मा की तरफ से दिया गया बयान भी कम अहम नहीं है. इस्तीफे के बाद मंजू वर्मा ने कहा कि रसूखदारों को बचाने के लिए उनके पति के खिलाफ साजिश की जा रही है. अब सवाल ये है कि आखिर रसूखदारों को कौन बचा रहा है और उनके पति के खिलाफ साजिश कौन कर रहा है? अब फिलहाल ये सवाल अपनी जगह बने हुए हैं जिनका जवाब आना बाकी है.