मेरठ: अपने जवान बेटे के किडनैप के बाद महज केस दर्ज कराने के लिए बेबस पिता 11 दिन तक भटकता रहा. बेटे के कत्ल का अंदेशा होने के बाद पिता ने आरोपियों की गिरफ्तारी कराई और फिर 10 दिन तक बेटे की लाश खोजता रहा. 10 अक्टूबर को पिता ने गंगनहर के किनारे से बेटे की लाश खुद बरामद की. पीड़ित पिता यूपी विजिलेंस का रिटायर्ड सब-इंस्पेक्टर है.


पिता बोला किडनैप, मगर दर्ज हुई गुमशुदगी

यूपी पुलिस की विजिलेंस विंग से रिटायर्ड सब-इंस्पैक्टर प्रताप सिंह मेरठ के ब्रह्मपुरी इलाके में रहते है. 21 सितंबर 2018 को उनका बेटे मनोज (35 साल) का किडनैप हो गया. पिता ने ब्रह्मपुरी थाना पुलिस से केस दर्ज करने की गुहार की तो महज मनोज की गुमशुदगी दर्ज करके पुलिस बैठ गई.

मनोज की तलाश के लिए पुलिस ने कोई कोशिश नही की. दरअसल, मनोज कुछ दिनों से इलाके के ही सटोरियों के झांसे में था. प्रताप सिंह को अपने सूत्रों से पता चला था कि सटोरियों ने ही उनके बेटे का किडनैप किया है. मगर ब्रह्मपुरी थानेदार सतीशराय ने महज पूछताछ के बाद आरोपियों को थाने से छोड़ दिया और उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की.

थाने का निजाम बदला, तो पुलिस ने गिरफ्तार किये आरोपी

3 अक्टूबर को एसएसपी के दखल के बाद गुमशुदगी को अपहरण के मामले में बदला दिया गया. मगर जांच ठंडे बस्ते में पड़ी रही. इसी बीच ब्रह्मपुरी थानेदार सतीश राय का तबादला हो गया. 5 अक्टूबर को नये थानेदार समरजीत सिंह ने प्रतापसिंह की गुहार पर केस की जांच एसएसआई विनयकुमार को दे दी.

प्रताप की निशानदेही पर पुलिस ने शुरूआती तफ्तीश के बाद इलाके के सट्टा माफिया दो सगे भाई इमरान और फिरोज और उनके चौकीदार रामबाबू की गिरफ्तारी कर ली. पुलिस ने दो दिन पहले हत्या का खुलासा करते हुए तीनों को जेल भेज दिया मगर तब तक मनोज की लाश बरामद नहीं हुई थी.

हत्या के खुलासे के बाद पिता ने खुद खोजी बेटे की लाश

पुलिस ने खुलासे के बाद भी मनोज का शव खोजने में दिलचस्पी नहीं दिखाई. प्रताप सिंह बीते दो दिनों से जानी गंगनहर के किनारे अकेले ही अपने बेटे का शव खोज रहे थे. बुधवार (10 अक्टूबर) को उन्हें नहर के किनारे झाड़ियों में मनोज का सड़ा-गला शव मिल गया. शव को जंगली जानवर नौंचकर खा चुके थे. शव के ऊपर मिले कपड़ों के आधार पर प्रताप सिंह ने शव की शिनाख्त की. पिता ने ही मौके पर जांच अधिकारी और इलाके के सीओ को फोन करके बुलाया.

लाश लेकर घूमता रहा सट्टा किंग

पुलिस के मुताबिक मनोज सट्टाकिंग को पुलिस के नाम पर ब्लैकमेल करके उससे पैसे मांग रहा था. 21 सितंबर को जब मनोज इमरान और फिरोज के हत्थे चढ़ा तो दोनो ने अपने आधा दर्जन साथियों के साथ मिलकर पहले उसे शराब पिलाई और फिर ऊपरी मंजिल से धक्का दे दिया. इसके बाद उसका गला घोंटकर मार डाला गया. बाद में मनोज की लाश को कार में डालकर हत्यारोपी पूरे शहर को पार करते हुए गंगनहर पहुंचे और उसके शव को ठिकाने लगा दिया. कार में शव लेकर जाते समय कई जगह पुलिस भी दिखाई दी. मगर उन्हें कहीं भी रोका नही गया.

एसपी सिटी कुमार रणविजय सिंह ने बताया कि पुख्ता सुराग मिलने के बाद ही आरोपियों की गिरफ्तारी हुई और केस का खुलासा किया गया. पीड़ित पिता के साथ पुलिस ने भी शव की तलाश की और उसे बरामद भी कराया है. तीन आरोपियों की गिरफ्तारी करके उन्हें जेल भेजा गया है चौथा आरोपी दिल्ली का निवासी है, उसकी तलाश भी जारी है. पूरे केस में निष्पक्षता से कार्रवाई होगी.