अपर जिला एवं सत्र न्यायालय (षष्टम) के सहायक जिला शासकीय अधिवक्ता विनोद कुमार लवानियां ने बताया,"यह मामला वृन्दावन कोतवाली क्षेत्र का है जहां एक विधवा घरों में झाड़ू-पोछा करके जीवन-यापन करती है."
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उस महिला ने अदालत को बताया,"उन दिनों उसकी बेटी आठवीं कक्षा में पढ़ती थी. वह कभी-कभी उसके साथ काम पर आ जाती थी. करीब पांच वर्ष पूर्व 10 दिसम्बर के दिन बच्ची जब सुबह शौच के लिए घर से बाहर गई तो वापस ही नहीं लौटी. काफी खोजबीन के बाद वह पास के मुहल्ले में एक खाली मकान में पड़ी मिली."
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होश में आने पर उसने रामकृष्ण मिशन अस्पताल के बाहर स्थित एटीएम पर तैनात एक सुरक्षा गार्ड ज्ञानवीर का नाम लिया. ज्ञानवीर मूलतः गांव गिजरौली, जिला हाथरस का निवासी था तथा उस दौरान वृन्दावन में ड्यूटी करते हुए परिक्रमा मार्ग स्थित गोपाल खार में रहता था. वही बच्ची को जबर्दस्ती उस खाली पड़े मकान में ले गया और इस घटना को अंजाम दिया.
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दोनों पक्षों की सुनवाई करने के बाद अपर जिला जज विवेकानन्द शरण त्रिपाठी ने ज्ञानवीर को दोषी करार देते हुए दुष्कर्म मामले में 15 साल का कारावास व 40 हजार का जुर्माना अदा करने के आदेश दिए. इसके साथ ही अनुसूचित जाति-जनजाति अधिनियम के तहत भी 5 साल की कैद व 10 हजार का जुर्माना लगाया.
एडीजीसी विनोद कुमार लवानियां ने बताया, ‘आरोपी को सुनाई गई दोनों सजा साथ चलेंगी. जुर्माना न भरने की स्थिति में डेढ़ साल की अतिरिक्त सजा भुगतनी होगी. दोषी पर लगे जुर्माने की धनराशि पीड़िता को दिलाए जाने की मांग अदालत से की गई है.’